
विष्णुधर्मोक्त नर नारायण स्तोत्र संस्कृत में – narnarayan stotra
भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में से चौथे अवतार नर-नारायण थे। इस अवतार में श्री विष्णु ने नर और नारायण रूपी युगलावतार ग्रहण किया था। विष्णुधर्म में अप्सरा द्वारा इनका स्तवन किया गया था जिससे उसे दिव्यज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके साथ ही एक अन्य स्तोत्र भी है जिसमें “नरनारायणदेव पाहि माम्” कहकर रक्षा की प्रार्थना की गयी है। इसमें ८ श्लोक हैं इस कारण इसे नर नारायण अष्टक भी कहा जा सकता है।