लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजियउ तेहु॥

लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजियउ तेहु॥

लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजियउ तेहु॥ : जनभावना और भारतीय परंपरा या व्यवहार यही है कि गांवों के लोग आज भी “न जाने किस वेश में नारायण मिल जाय” में विश्वास रखते हैं भले ही कितने ही पाखंडियों ने ठगा क्यों न हो।

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भक्ति की शक्ति भाग २

भक्ति की शक्ति भाग 2

भक्ति की शक्ति का वर्णन यदि भगवान भी करना चाहें तो बड़ी विकट स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। भगवान स्वयं भी स्वयं का पूर्ण वर्णन नहीं कर सकते हैं और जैसे भगवान स्वयं का वर्णन नहीं कर सकते वैसे ही भक्ति की महिमा या शक्ति का वर्णन भी नहीं कर सकते।

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भक्ति की शक्ति भाग - १

भक्ति की शक्ति भाग – 1

भक्ति की शक्ति : ये विज्ञान का अहंकार है जो चमत्कार को अस्वीकार करता है। ये विज्ञान की तानाशाही है जो ऐसे कानून बनवा देता है जिससे चमत्कार संबंधी वार्तालाप भी अपराध सिद्ध हो जाये। हमें उस कानून के बारे में विशेष ज्ञात तो नहीं कि वो कानून क्या कहता है और हमारा आलेख किसी प्रकार से उस कानून का उल्लंघन भी करता है या नहीं, तदपि यदि ऐसा कानून है जिसका इस आलेख से उल्लंघन हो रहा हो तो वो कानून गलत है उस कानून को बदलने की आवश्यकता है।

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