रात्रि सूक्त – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

रात्रि सूक्त – श्री दुर्गा सप्तशती पाठ

वास्तविक सृजन रात्रि की अधिष्ठात्री देवी भुवनेश्वरी के ही हाथों में होता है और जब प्रलय के बाद भगवान भी सो जाते हैं तब भी रात्रि की अधिष्ठात्री देवी जाग्रत रहती है और सृजन कार्य को सम्पादित करती रहती है। ये सृजन सामान्य जीवों में स्पष्टतः दृष्टिगत होता है और विज्ञानसिद्ध भी होता है। कोई भी जीव जब सो रहा होता है तब यही अधिष्ठात्री देवी उसके शरीर का निर्माण (विकास, क्षतिपूर्ति आदि) करती हैं।

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