राष्ट्रहित सर्वोपरि मानकर राष्ट्र की सुरक्षा के लिये सेना को विशेषाधिकार की आवश्यकता है
एक गंभीर प्रश्न है कि जब सत्ता एवं विपक्ष की राजनीतिक लड़ाई चल रही हो और संविधान का संरक्षक मूकदर्शक बन जाये तो खतड़े में पड़ी राष्टीय सुरक्षा व आम नागरिकों के मौलिक अधिकार को कौन बचायेगा ?