नान्दी श्राद्ध – षोडश मातृका पूजन, सप्तघृत मातृका पूजन सहित
दाह संस्कार के अतिरिक्त सभी संस्कारों में नान्दीमुख श्राद्ध किया जाता है। इसके साथ ही यज्ञ, प्राण-प्रतिष्ठा आदि कर्मों में नान्दीश्राद्ध आवश्यक होता है। लेकिन जिस प्रकार पवित्रीकरण, संकल्प, सम्पूर्ण कर्मकाण्ड का अनिवार्य प्रारंभिक अंग होता है उस प्रकार से सभी कर्मों में अनिवार्य नहीं होता। जिस प्रकार कलश स्थापन सभी पूजा पाठ में आवश्यक होता है उस प्रकार से नान्दी श्राद्ध सभी शुभ कर्मों में अनिवार्य नहीं है। जैसे सत्यनारायण पूजा करनी हो तो नान्दी श्राद्ध आवश्यक नहीं है।