संकल्प विधि और मंत्र

संकल्प विधि और मंत्र – Sankalp

कर्मकांड में पूजा, पाठ, जप, हवन, अनुष्ठान, यज्ञ, प्राण प्रतिष्ठा, नित्यकर्म, नैमित्तिक कर्म, शांति कर्म, श्राद्ध किसी भी प्रकार का कोई भी कर्म हो कर्म से पूर्व उस कर्म का संकल्प करना आवश्यक होता है। संकल्परहित कर्म का औचित्य ही नहीं होता। संकल्प हेतु हेमाद्रि संकल्प जैसे विस्तृत संकल्प से लेकर अत्यंत लघु संकल्प का भी विधान पाया जाता है और कर्म-काल आदि के अनुसार विवेकानुसार संकल्प का प्रयोग किया जाता है।

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हेमाद्रि संकल्प प्रयोग – विस्तृत संकल्प

हेमाद्रि संकल्प प्रयोग – विस्तृत संकल्प (Sankalp 2)

हेमाद्रि संकल्प बृहद् होने के कारण सामान्यतः प्रयोग नहीं किया जाता है किन्तु, प्रयास करना चाहिये। इसमें भारत का विशद विवरण किया गया है और जो लोग भारत को किसी मुगल या आक्रमणकारी से जोड़कर सिद्ध करने का प्रयास करते हैं उनको इसका विशेष रूप से अध्ययन करना चाहये।

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