जागते रहो : बाबाओं का लगा है मेला, हो रहा है ठेलम-ठेला
यत्र-तत्र-सर्वत्र उन चोर-उचक्कों ने वेष बदल कर, तिलक लगाकर, मालाओं का बोझ उठाते हुये बाबाओं का रूप धारण कर लिया है और इनसे बचाने वाला कोई नहीं है। जो भी हैं इनका सहयोग ही करते हैं चाहे मीडिया हो या राजनीति, सिस्टम हो या इको सिस्टम ! सबकी मोटी कमाई होती है, किसी को नोट मिलता है तो किसी को वोट।