विष्णु स्तवराज स्तोत्र संस्कृत में : Vishnu stavaraja stotram

विष्णु स्तवराज स्तोत्र संस्कृत में : Vishnu stavaraja stotram

किसी भी देवता के अनेकानेक स्तवनों में जो विशेष महत्वपूर्ण स्तोत्र होता है उसे स्तवराज स्तोत्र कहा जाता है। भगवान विष्णु के स्तवराज की भी चर्चा करें तो अनेकों मिलते हैं। यहां दो प्रमुख विष्णु स्तवराज स्तोत्र (Vishnu stavaraja stotram) संस्कृत में दिये गये हैं प्रथम नरसिंह पुराणोक्त है जो नारद जी के प्रश्न करने पर महेश्वर द्वारा बताया गया और दूसरा कल्किपुराणोक्त है जो पद्मा कृत है।

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श्री गोपाल स्तवराज - Shri Gopala Stavaraja

श्री गोपाल स्तवराज – Shri Gopala Stavaraja

श्री गोपाल स्तवराज – Shri Gopala Stavaraja : भगवान श्रीकृष्ण गोपालन करते थे और इसी कारण उनका एक नाम है गोपाल। भगवान के विषय में कहा गया है “गो द्विज धेनु देव हितकारी”, कर्मकांड में बिना गव्य प्रयोग के कुछ भी संभव नहीं है। यज्ञ का मूल गो है और गो के पालक भगवान स्वयं ही हैं एवं इसी कारण भगवान का एक नाम गोपाल है। स्तोत्रों में जो बहुत ही महत्वपूर्ण होता है उसे स्तवराज कहा जाता है।

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