
हवन विधि मंत्र सहित – वाजसनेयी
वैदिक हवन विधि में संपूर्ण हवन विधि को तीन भागों में बांटा गया है :
पूर्वाङ्ग – पवित्रीकरणादि के उपरान्त पञ्चभूसंस्कार से पञ्चमहावारुणी होम तक की सभी क्रियायें पूर्वाङ्ग कहलाती है। सभी प्रकार के हवनों में पूर्वाङ्ग समान ही रहता है।
मध्याङ्ग – पूजित देवी-देवता सहित मुख्य देवता का हवन मुख्य अंग होता है; जिसे समझने में सुविधा के लिये यहां मध्याङ्ग भी कहा गया है, जिसकी विधि, हविर्द्रव्य, मंत्र परिवर्तित होते रहते हैं।
उत्तराङ्ग – मध्याङ्ग अर्थात मुख्य देवता का होम करने के बाद की शेष क्रियायें उत्तराङ्ग कहलाती है। सभी प्रकार के वैदिक हवन विधि में उत्तराङ्ग भी समान रहता है।