हवन विधि मंत्र सहित – वाजसनेयी

हवन विधि मंत्र सहित – वाजसनेयी

वैदिक हवन विधि में संपूर्ण हवन विधि को तीन भागों में बांटा गया है :
पूर्वाङ्ग – पवित्रीकरणादि के उपरान्त पञ्चभूसंस्कार से पञ्चमहावारुणी होम तक की सभी क्रियायें पूर्वाङ्ग कहलाती है। सभी प्रकार के हवनों में पूर्वाङ्ग समान ही रहता है।
मध्याङ्ग – पूजित देवी-देवता सहित मुख्य देवता का हवन मुख्य अंग होता है; जिसे समझने में सुविधा के लिये यहां मध्याङ्ग भी कहा गया है, जिसकी विधि, हविर्द्रव्य, मंत्र परिवर्तित होते रहते हैं।
उत्तराङ्ग – मध्याङ्ग अर्थात मुख्य देवता का होम करने के बाद की शेष क्रियायें उत्तराङ्ग कहलाती है। सभी प्रकार के वैदिक हवन विधि में उत्तराङ्ग भी समान रहता है।

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हवन विधि पूर्वाङ्ग व उत्तराङ्ग – पारस्कर गृह्यसूत्र के अनुसार

हवन विधि पूर्वाङ्ग व उत्तराङ्ग – पारस्कर गृह्यसूत्र के अनुसार

मुख्य रूप से आपस्तम्बकृत पारस्करगृह्यसूत्र के हवन सूत्रानुसार हवन विधान पर विमर्श करते हैं। इस विमर्श का तात्पर्य यह है कि हवन विधि को सरलतापूर्वक समझा जा सके। सरल हवन पद्धति का तात्पर्य यही होता है कि शास्त्रोक्त हवन विधि को सरलता पूर्वक जिस पद्धति में समझाया गया हो।

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हवन करने की विधि एवं मंत्र – संपूर्ण हवन विधि मंत्र – havan vidhi

हवन करने की विधि एवं मंत्र – संपूर्ण हवन विधि मंत्र – havan vidhi

सरल हवन विधि कहकर भ्रमित करने वालों की संख्या बहुत अधिक है, यहां हम हवन विधि को समझेंगे। पहले हवन के विषय-क्रियाविधि को समझने का प्रयास करेंगे और तत्पश्चात संपूर्ण हवन विधि एवं मंत्र का भी अवलोकन करेंगे।

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