अष्टाक्षर माहात्म्य : ॐ नमो नारायणाय मंत्र की महिमा - ashtakshara mantra mahatmya

अष्टाक्षर माहात्म्य : ॐ नमो नारायणाय मंत्र की महिमा – ashtakshara mantra mahatmya

ॐ नमो नारायणाय मंत्र जो कि अष्टाक्षर मंत्र है इसके ऋषि स्वयं नारायण हैं, छंद गायत्री है, देवता परमात्मा हैं, ॐकार का वर्ण शुक्ल, नकार का रक्त, मोकार का कृष्ण, नाकार का पुनः रक्त, राकार का कुंकुमाभ, यकार पीत, णाकार का अञ्जन और यकार का बहुवर्ण है। सर्वार्थ सिद्धिप्रद अष्टाक्षर मंत्र का माहात्म्य श्री नरसिंह पुराण में वर्णित है जिसके प्रश्नकर्त्ता श्री शुकदेव हैं और उपदेशक व्यास हैं। यहां अष्टाक्षर माहात्म्य अर्थात ॐ नमो नारायणाय मंत्र की महिमा (ashtakshara mantra mahatmya) संस्कृत में दिया गया है।

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नारायण सूक्त अर्थ सहित – शुक्ल यजुर्वेदोक्त

नारायण सूक्त अर्थ सहित – शुक्ल यजुर्वेदोक्त

नारायण सूक्त में ब्रह्मज्ञान विषयक गूढ़ार्थ सन्निहित है।
इसे पुरुष सूक्त का परभाग भी कहा जा सकता है।
यह ब्रह्म ज्ञान के महत्व को भी बताता है।
देवता ब्रह्मज्ञानियों के वश में होते हैं इसमें ऐसा भी बताया गया है।
इसमें परमात्मा के विषय में यह बताया गया है की वह सर्वव्यापी तो है ही अर्थात उसे बाहर भी देखा जा सकता है किन्तु वह सबके भीतर भी है और उसे भीतर भी पाया या जाना जा सकता है।
इसमें यह भी बताया गया है कि परमात्मा को जाने बिना कल्याण अर्थात मोक्ष का कोई अन्य उपाय नहीं है।

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