
अगस्त्य अर्घ्य (अगस्त्यार्घ्य) दान विधि – agastya arghya
तर्पण नित्यकर्म है तथापि संध्या-तर्पणादि नित्यकर्म कुछ कर्मकाण्डी ब्राह्मणों तक ही सीमित रह गया है। अगस्त्य अर्घ्य देने के विषय में विधि यह है कि भाद्र पूर्णिमा को ऋषि तर्पण करने के पश्चात् अर्थात् पितृतर्पण से पूर्व अगस्त्य को अर्घ्य देना चाहिये।