पापशमनं नामक हरिशङ्कर स्तोत्र - Harishankara stotra

पापशमनं नामक हरिशङ्कर स्तोत्र – Harishankara stotra

वामन पुराण में भगवान विष्णु और भगवान शंकर का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जिसका नाम पाप शमन स्तोत्र या हरिशंकर स्तोत्र (Harishankara stotra) है। यह स्तोत्र जब दोनों का संयुक्त स्तवन करना हो तो महत्वपूर्ण हो जाता है। हम जानते हैं कि एक यज्ञ हरिहर यज्ञ भी होता है और ऐसी अर्चना में यह स्तोत्र महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

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हरिहराष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् - hariharashtottara shatanama stotram

हरिहराष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् – hariharashtottara shatanama stotram

क्या आपको कभी हरिहर अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र की आवश्यकता हुई है। हरिहर यज्ञ में तो विशेष रूप से इसकी आवश्यकता होगी ही। स्कन्दपुराण में धर्मराज के द्वारा हरिहर के अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का वर्णन मिलता है। यहां स्कन्दपुराणोक्त हरिहराष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (hariharashtottara shatanama stotram) संस्कृत में दिया गया है।

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मार्कण्डेयप्रोक्तं हरिहराभिन्नतावर्णन स्तोत्रम् - Hariharabhinnatavarnana Stotram

मार्कण्डेयप्रोक्तं हरिहराभिन्नतावर्णन स्तोत्रम् – Hariharabhinnatavarnana Stotram

हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव और भगवान विष्णु में भेदबुद्धि नहीं रखनी चाहिये और यदि ऐसा करते हैं तो यह एक अपराध है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। शास्त्रों में भगवान विष्णु और शिव दोनों ने ही परस्पर अभेदता का उपदेश दिया है। हरि हर की अभेदता का विशेष वर्णन हरिवंश पुराण में मार्कण्डेय मुनि ने एक स्तोत्र करके किया है जिसे हरिहराभिन्नतावर्णन स्तोत्रम् (Hariharabhinnatavarnana Stotram) कहते हैं।

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हरि स्तोत्र संस्कृत में - Hari stotra

हरि स्तोत्र संस्कृत में – Hari stotra

भगवान विष्णु का ही एक महत्वपूर्ण नाम हरि है और भगवान विष्णु के हरि नाम से भी पुराणों में अनेकानेक स्तोत्र हैं। क्या आप भगवान हरि के अनेकों स्तोत्रों का अवलोकन करना चाहते हैं यदि हां तो यहां आपको अनेकों हरि स्तोत्र (Hari stotra) मिलेंगे यथा : कालिका पुराणोक्त पृथ्वी कृत हरि स्तोत्र, ब्रह्मवैवर्त पुराणोक्त ब्रह्मा कृत हरि स्तोत्र, कालिका पुराणोक्त मनु कृत हरि स्तोत्र, ब्रह्मवैवर्त पुराणोक्त महालक्ष्मी कृत हरि स्तोत्र।

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श्री हरि मंगलाष्टक स्तोत्र संस्कृत में - shri hari mangalashtak stotra

श्री हरि मंगलाष्टक स्तोत्र संस्कृत में – shri hari mangalashtak stotra

“जय जयाजय मङ्गलमङ्गल” से प्रत्येक श्लोक का आरम्भ होता है जिसे श्री हरि मंगलाष्टक स्तोत्र नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु का एक नाम मंगलायतन है और “मंगलायतनो हरिः” कहा जाता है। मंगलायतन हरि के लिये श्री शांडिल्य मुनि कृत एक मंगलाष्टक स्तोत्र भी है जिसे श्री हरि मंगलाष्टक स्तोत्र (shri hari mangalashtak stotra) नाम से जाना जाता है और यह शांडिल्य संहिता में वर्णित है।

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