हवन विधि – छन्दोग

हवन विधि – छन्दोग

छन्दोग हवन विधि में पञ्चभूसंस्कार के समय बांयां हाथ भूमि पर रखने का विधान है अतः पञ्चभूसंस्कार के समय अग्निस्थापन तक बांयां हाथ भूमि पर रखे और सभी क्रियायें एक ही हाथ से करें; अङ्गिरा – सव्यं भूमौ प्रतिष्ठाप्य प्रोल्लिखेद्दक्षिणेन तु । तावन्नोस्थापयेत्पाणिं यावदग्निं निधापयेत् ॥

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हवन विधि मंत्र सहित – वाजसनेयी

हवन विधि मंत्र सहित – वाजसनेयी

वैदिक हवन विधि में संपूर्ण हवन विधि को तीन भागों में बांटा गया है :
पूर्वाङ्ग – पवित्रीकरणादि के उपरान्त पञ्चभूसंस्कार से पञ्चमहावारुणी होम तक की सभी क्रियायें पूर्वाङ्ग कहलाती है। सभी प्रकार के हवनों में पूर्वाङ्ग समान ही रहता है।
मध्याङ्ग – पूजित देवी-देवता सहित मुख्य देवता का हवन मुख्य अंग होता है; जिसे समझने में सुविधा के लिये यहां मध्याङ्ग भी कहा गया है, जिसकी विधि, हविर्द्रव्य, मंत्र परिवर्तित होते रहते हैं।
उत्तराङ्ग – मध्याङ्ग अर्थात मुख्य देवता का होम करने के बाद की शेष क्रियायें उत्तराङ्ग कहलाती है। सभी प्रकार के वैदिक हवन विधि में उत्तराङ्ग भी समान रहता है।

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