छन्दोगी त्रिपिंडी श्राद्ध विधि – पितृदोष शांति के उपाय

त्रिपिंडी श्राद्ध पद्धति – छन्दोगी प्रेतश्राद्ध बहुवचन प्रयोग पूर्वक – प्रेत बाधा निवारण के उपाय

जिन घरों में श्राद्ध सही विधि से नहीं किया जाता उनके पितर अतृप्त होकर कुपित हो जाते हैं। किसी भी प्रकार से यदि पितृ दोष ज्ञात हो तो त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिये। जब प्रेत बाधा हो और किसी प्रकार से शांत न हो रही हो तो उस स्थिति में त्रिपिण्डी श्राद्ध करना चाहिये।

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त्रिपिंडी श्राद्ध pdf सहित – विधि और मंत्र, पितृदोष शांति के उपाय

त्रिपिंडी श्राद्ध विधि – वाजसनेयी प्रेतश्राद्ध बहुवचन प्रयोग पूर्वक – प्रेत बाधा से मुक्ति के उपाय

प्रेत बाधा से मुक्ति के उपाय में त्रिपिण्डी श्राद्ध का प्रमुख स्थान आता है। अज्ञात नामगोत्र वाले प्रेत के लिये अज्ञात नामगोत्र से सात्विक, राजसिक और तामसिक प्रेत कहकर बहुवचन में श्राद्ध किया जाता है।

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त्रिपिंडी श्राद्ध pdf सहित – विधि और मंत्र, पितृदोष शांति के उपाय

त्रिपिंडी श्राद्ध pdf सहित – विधि और मंत्र, पितृदोष शांति के उपाय

जिन घरों में श्राद्ध सही विधि से नहीं किया जाता उनके पितर अतृप्त होकर कुपित हो जाते हैं। किसी भी प्रकार से यदि पितृ दोष ज्ञात हो तो त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिये। जब प्रेत बाधा हो और किसी प्रकार से शांत न हो रही हो तो उस स्थिति में त्रिपिण्डी श्राद्ध करना चाहिये।

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एकादशाह श्राद्ध विधि | छन्दोग | shraddh vidhi

एकादशाह श्राद्ध विधि | छन्दोग | shraddh vidhi

एकादशाह श्राद्ध विधि | छन्दोग | shraddh vidhi : दीप जलाकर यदि पाककर्त्ता द्वारा पाककर्म हुआ हो तो श्राद्धकर्त्ता पाककर्त्ता से पूछे “सिद्धम्” और पाककर्त्ता कहे “ॐ सिद्धम्” ॥ यदि पाककर्ता न हो तो पूछने की आवश्यकता नहीं है।

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एकादशाह श्राद्ध विधि pdf – सहित | shraddh vidhi | वाजसनेयी

एकादशाह श्राद्ध विधि pdf – सहित | shraddh vidhi | वाजसनेयी – 11 Shraddh

एकादशाह श्राद्ध विधि pdf : हम प्रेत श्राद्ध की बात करते हैं तो वर्त्तमान में उसका तात्पर्य दो-दिवसीय एकादशाह और द्वादशाह श्राद्ध से होता है। इसे षोडश श्राद्ध भी कहा जाता है

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