वास्तु शांति पूजा विधि – गृह वास्तु, मंडपांग वास्तु

वास्तु शांति पूजा विधि – गृह वास्तु, मंडपांग वास्तु वास्तु शांति पूजा विधि – गृह वास्तु, मंडपांग वास्तु

81 पद में प्राग्राग्र रेखा : १. ॐ शान्त्यै नमः॥ २. ॐ यशोवत्यै नमः॥ ३. ॐ कान्त्यै नमः॥ ४. ॐ विशालायै नमः॥ ५. ॐ प्राणवाहिन्यै नमः॥ ६. ॐ सत्यायै नमः॥ ७. ॐ सुमत्यै नमः॥ ८. ॐ नन्दायै नमः॥ ९. ॐ भद्रायै नमः॥ १०. ॐ सुरथायै नमः॥

उपरोक्त नाम मंत्रों को पढ़ते हुये पूर्वाग्र १० रेखायें करके फिर नीचे के मंत्रों से उत्तराग्र १० रेखा करे। पहली रेखा पश्चिम में करे।

81 पद में उत्तराग्र रेखा : १. ॐ हिरण्यायै नमः॥ २. ॐ सुप्रभायै नमः॥ ३. ॐ लक्ष्म्यै नमः॥ ४. ॐ विभूत्यै नमः॥ ५. ॐ विमलायै नमः॥ ६. ॐ प्रियायै नमः॥ ७. ॐ जयायै नमः॥ ८. ॐ कालायै नमः॥ ९. ॐ विशोकायै नमः॥ १०. ॐ इन्द्राण्यै नमः॥

यज्ञ वास्तु में 64 पद के लिये 9-9 रेखा ही करे। 64 पद वास्तु रेखा देवता मंत्र :

  • 64 पद में प्राग्राग्र रेखा : १. ॐ लक्ष्म्यै नमः॥ २. ॐ यशोवत्यै नमः॥ ३. ॐ कान्त्यै नमः॥ ४. ॐ सुप्रियायै नमः॥ ५. ॐ विमलायै नमः॥ ६. ॐ शिवायै नमः॥ ७. ॐ सुभगायै नमः॥ ८. ॐ सुमत्यै नमः॥ ९. ॐ इडायै नमः॥
  • 64 पद में उत्तराग्र रेखा : १. ॐ धन्यायै नमः॥ २. ॐ प्राणायै नमः॥ ३. ॐ विशालायै नमः॥ ४. ॐ स्थिरायै नमः॥ ५. ॐ भद्रायै नमः॥ ६. ॐ जयायै नमः॥ ७. ॐ निशायै नमः॥ ८. ॐ विरजायै नमः॥ ९. ॐ विभवायै नमः॥

रेखा करने के बाद रेखा देवताओं की पूजा करे। रेखा देवता की मंडल निर्माण के बाद पूजा समय भी की जा सकती है। रेखा देवताओं की पृथक-पृथक पंचोपचार का समय हो तो पृथक-पृथक करे अन्यथा तंत्र से ही करे।

वास्तु चक्रानुसार मंडल का निर्माण करके पूजन करे : सर्वप्रथम पूर्वोक्त रेखा देवता मंत्र से १०० रेखा देवताओं की पूजा करे। फिर मध्य भाग में मण्डूकादि पीठ देवता की पूजा करे :

मण्डूकादि पीठ देवता पूजन मंत्र : १. ॐ मण्डूकाय नमः॥ २. ॐ मूलप्रकृत्यै नमः॥ ३. ॐ आधारशक्त्यै नमः॥ ४. ॐ कूर्माय नमः॥ ५. ॐ अनन्ताय नमः॥ ६. ॐ पृथिव्यै नमः॥ ७. ॐ श्वेतद्विपाय नमः॥ ८. ॐ कल्पवृक्षाय नमः॥ ९. ॐ रत्नमंडपाय नमः॥ १०. ॐ सिंहासनाय नमः॥

पूर्वादि चारों दिशाओं में : १. ॐ धर्माय नमः॥ २. ॐ ज्ञानाय नमः॥ ३. ॐ वैराग्याय नमः॥ ४. ॐ ऐश्वर्याय नमः॥

अग्निकोण से आरंभ कर चारों कोण में : १. ॐ अधर्माय नमः॥ २. ॐ अज्ञानाय नमः॥ ३. ॐ अवैराग्याय नमः॥ ४. ॐ अनैश्वर्याय नमः॥

मध्य में : १. ॐ आत्मने नमः॥ २. ॐ अन्तरात्मने नमः॥ ३. ॐ ज्ञानात्मने नमः॥ ४. ॐ परमात्मने नमः॥ ५. ॐ अग्निमण्डलाय नमः॥ ६. ॐ सोममण्डलाय नमः॥ ७. ॐ सूर्यमण्डलाय नमः॥ ८. ॐ सं सत्वाय नमः॥ ९. ॐ रं रजसे नमः॥ १०. ॐ तं तमसे नमः॥ ११. ॐ सर्वशक्ति कमलासनाय नमः ॥

वास्तु मंडल चक्र
वास्तु मंडल चक्र

तत्पश्चात ब्रह्मा से आरम्भ कर अनन्त तक सभी देवताओं का आवाहन पूजन करे :

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