फिर कुश द्वारा ब्रह्मा से अन्वारब्ध करके पातितदक्षिणजानु होकर, प्रज्वलित अग्नि में स्रुवा से आज्याहुति दे। आहुति के पश्चात् शेष प्रोक्षणी में प्रक्षेप करे :-
- ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये। (मानसिक मात्र) प्रजापति का स्वाहाकार मंत्र बिना बोले आहुति दे, इदं प्रजापतये भी बिना बोले शेष प्रोक्षणीपात्र में प्रक्षेप करे।
- ॐ इन्द्राय स्वाहा, इदं इन्द्राय।
- ॐ अग्नये स्वाहा, इदं अग्नये।
- ॐ सोमाय स्वाहा, इदं सोमाय।
तत्पश्चात चरुहोम करे :
- ॐ मिताय स्वाहा। इदं मिताय ॥
- ॐ संमिताय स्वाहा । इदं संमिताय ॥
- ॐ शालाय स्वाहा । इदं शालाय ॥
- ॐ कटङ्कटाय स्वाहा । इदं कटङ्कटाय ॥
- ॐ कूष्मांडाय स्वाहा । इदं कूष्मांडाय ॥
- ॐ राजपुत्राय स्वाहा । इदं राजपुत्राय ॥
षडाहुति के उपरान्त व्योमकेशादि आहुति दे :
- ॐ व्योमकेशाय स्वाहा। इदं व्योमकेशाय ॥
- ॐ पार्वत्यै स्वाहा। इदं पार्वत्यै ॥
- ॐ भीमजाय स्वाहा। इदं भीमजाय ॥
- ॐ वसुदेवाय स्वाहा। इदं वसुदेवाय ॥
- ॐ अर्काय स्वाहा। इदं अर्काय ॥
- ॐ सोमाय स्वाहा। इदं सोमाय ॥
- ॐ भौमाय स्वाहा। इदं भौमाय ॥
- ॐ शुक्राय स्वाहा। इदं शुक्राय ॥
- ॐ बृहस्पतये स्वाहा। इदं बृहस्पतये ॥
- ॐ बुधाय स्वाहा। इदं बुधाय ॥
- ॐ शनैश्चराय स्वाहा। इदं शनैश्चराय ॥
- ॐ राहवे स्वाहा। इदं राहवे ॥
- ॐ केतवे स्वाहा। इदं केतवे ॥
- ॐ बाहुलेयाय स्वाहा। इदं बाहुलेयाय ॥
- ॐ विष्णवे स्वाहा। इदं विष्णवे ॥
- ॐ इंद्राय स्वाहा। इदं इंद्राय ॥
- ॐ अग्नये स्वाहा। इदं अग्नये ॥
- ॐ यमाय स्वाहा। इदं यमाय ॥
- ॐ निर्ऋतये स्वाहा। इदं निर्ऋतये ॥
- ॐ वरुणाय स्वाहा। इदं वरुणाय ॥
- ॐ वायवे स्वाहा। इदं वायवे ॥
- ॐ कुबेराय स्वाहा। इदं कुबेराय ॥
- ॐ ईशानाय स्वाहा। इदं ईशानाय ॥
- ॐ ब्रह्मणे स्वाहा। इदं ब्रह्मणे ॥
- ॐ अनन्ताय स्वाहा। इदं अनन्ताय ॥
तत्पश्चात 108 वा 28 आहुति ॐ गणानान्त्वा गणपति से दे।
उत्तरपूजन : स्थापित-पूजित सभी देवता और अग्नि का उत्तरपूजन करें। तत्पश्चात् चूंकि आज्य के अतिरिक्त चरुहोम भी किया जाता है इसलिये स्विष्टकृत् होम वाराहुति से पहले ही करे :