16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार

16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार

16 संस्कारों के नाम

संस्कारों की वास्तविक संख्या को लेकर मतैक्य का अभाव है कोई १३ तो कोई १६ तो कोई २५ तो कोई ४० संस्कार बताते हैं किंतु १६ संस्कार को व्यावहारिक रूप से ग्रहण किया गया है। सनातन अथवा हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है। हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का विधान किया। धार्मिक दृष्टिकोण से तो ये महत्वपूर्ण हैं ही वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। मुख्य रूप से सोलह संस्कारों का विधान किया गया है। सोलह संस्कारों के नाम –

संस्कार

गर्भाधानं पुंसवनं सीमं तो जातकर्म च।
नामक्रिया निष्क्रमोप्राशनं वपनक्रिया ।।
कर्णवेधो व्रतादेशो वेदारंभ क्रियाविधि।
केशान्तःस्नान उद्वाहो विवाहोग्नि परिग्रहः।।
प्रेताग्नि संग्रहश्चैव संस्काराः षोडशस्मृताः।
– महर्षि व्यास

किञ्चित अंतर के साथ सोलह संस्कार इस प्रकार हैं : – १. गर्भाधान, २. पुंसवन, ३. सीमन्तोन्नयन, ४. जातकर्म, ५. नामकरण, ६. निष्क्रमण, ७. अन्नप्राशन, ८. चूड़ाकर्म, ९. विद्यारम्भ, १०. कर्णवेध, ११. उपनयन, १२. वेदारम्भ, १३. केशान्त, १४. समावर्तन, १५. विवाह और १६. अन्त्येष्टि।

निष्कर्ष : मनुष्य जन्म अत्यंत दुर्लभ है और पुण्योदय से ही प्राप्त होता है। मनुष्य शरीर की प्राप्ति का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति करना है। इसके लिए, हमें अपने पहले संचित दोषों को साफ करना होता है और नए सद्गुणों को स्थापित करना होता है, जिसे “संस्कार” कहा जाता है। सनातन धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जो गर्भाधान से लेकर अंतिम संस्कार तक होते हैं और ये हमें मोक्ष प्राप्ति के कर्मों के लिये योग्य बनाते हैं।

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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