संपूर्ण कर्मकांड विधि

संपूर्ण कर्मकांड विधि

दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित

दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित

दुर्गा पूजा विधि – ॐ अद्यैतस्य ब्रह्मणोह्नि द्वितीय परार्द्धे ……… सपरिवारस्योपस्थित शरीराविरोधेन महाभयाभावपूर्वक विपुलधन धान्य सुतान्विताऽतुल विभूति चतुर्वर्ग फलप्राप्तिपूर्वक सर्वाऽरिष्ट निवारणार्थं सकल मनोरथ सिद्ध्यर्थं श्रीदुर्गायाः प्रीत्यर्थं साङ्गसायुधसवाहन सपरिवारायाः भगवत्याः श्रीदुर्गादेव्याः पूजनमहं करिष्ये ।

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दुर्गा पूजा सामग्री

दुर्गा पूजा सामग्री

यह सामग्री दुर्गा पूजा की पूजन विधि, सामग्री और महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में जानकारी देती है। दुर्गा पूजा की सामग्री विशेष रूप से उल्लेखित की गयी है और उनकी सूची दी गयी है, जिसे डाउनलोड भी किया जा सकता है। यह विशेष रूप से नवरात्री और अक्षय नवमी आदि के दौरान दुर्गा पूजा के लिए है।

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श्राद्ध विधि pdf

श्राद्ध कर्म विधि मंत्र

आजकल कई ब्राह्मण श्राद्ध कर्म सीखना चाहते हैं, परन्तु कई बाधाएँ इसमें आती हैं। हमारी पुस्तक ‘सुगम श्राद्ध विधि’ इसमें मदद करती है, जिसका PDF डाउनलोड करने का विकल्प भी है। पुस्तक में विभिन्न श्राद्ध विधियों का वर्णन है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न विषयों पर श्राद्ध सम्बंधी वीडियो भी उपलब्ध हैं।

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16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार

16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार

16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार : मनुष्य जन्म अत्यंत दुर्लभ होता है और यह पुण्योदय के परिणामस्वरूप प्राप्त होता है। मनुष्य शरीर की प्राप्ति का प्रमुख उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति करना होता है। इसके लिए, हमें अपने पहले संचित दोषों को साफ करना होता है और नए सद्गुणों को स्थापित करना होता है, जिसे “संस्कार” कहा जाता है। सनातन या हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जो गर्भाधान से लेकर अंतिम संस्कार तक होते हैं और ये हमें मोक्ष प्राप्ति के योग्य बनाने में मदद करते हैं।

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व्यापार कैसे बढ़ाएं - रेस्टोरेंट (भोजनालय)

व्यापार कैसे बढ़ाएं – रेस्टोरेंट (भोजनालय)

यह आलेख भोजनालय व्यवसाय की वृद्धि के उपायों पर केंद्रित है, जिसमें ग्रहों के प्रसन्नता का महत्व बताया गया है। यदि किसी का व्यवसाय मिठाईयों आदि पर है, तो चंद्र ग्रह को प्रसन्न करना चाहिए, जबकि यदि नास्ते-भोजन आदि मुख्य वस्तु है, तो शुक्र ग्रह को प्रसन्न करना चाहिए।

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मेरे पास किराने की दुकान है, व्यापार वृद्धि के उपाय कौन से हैं ?

मेरे पास किराने की दुकान है, व्यापार वृद्धि के उपाय कौन से हैं

यदि आपके पास विविध सामान बेचने की दुकान है, तो व्यापार वृद्धि के लिए बुद्ध ग्रह की उपासना सबसे सही है। व्यापार या कारोबार का कारक ग्रह बुद्ध है और ऐसी स्थिति में उसकी उपासना विशेष रूप से उपयुक्त है। बुद्ध यंत्र की स्थापना, मंत्र-स्तोत्र का जप व्यापार की उन्नति में सहायक साबित हो सकता है।

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खरमास कब से कब तक है

खरमास कब से कब तक है ~ Kharmas

खरमास कब से कब तक है ~ Kharmas : जब सूर्य धनु और मीन राशि में होता है, उसे खरमास कहते हैं। इस दौरान सूर्य का तेज मंद हो जाता है और सभी प्रकार के मांगलिक कार्य निषिद्ध होते हैं। 2023 में खरमास 13 दिसम्बर से 14 जनवरी तक और 2024 में 14 मार्च से 13 अप्रैल और फिर 15 दिसम्बर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। इस महीने में मांगलिक कार्यों के आयोजन का निषेध होता है।

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सत्यनारायण पूजा विधि मंत्र सहित

सत्यनारायण पूजा विधि मंत्र सहित – Satyanarayan Puja Vidhi

सत्यनारायण पूजा विधि मंत्र सहित – Satyanarayan Puja Vidhi : १. पवित्रीकरण मंत्र : ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याऽभंतर: शुचि:॥ ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॥ हाथ में गंगाजल/जल लेकर इस मंत्र से शरीर और सभी वस्तुओं पर छिड़के ।२. आसन पवित्रीकरण मंत्र : ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुनाधृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ इस मंत्र से आसन पर जल छिड़क कर आसनशुद्धि करें।

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सत्यनारायण भगवान के भजन - भक्ति भजन हिंदी लिखित में

सत्यनारायण भगवान के भजन – भक्ति भजन हिंदी लिखित में

सत्यनारायण भगवान के भजन – भक्ति भजन हिंदी लिखित में : यह पोस्ट सत्यनारायण भगवान की आराधना के गानों, आरतियों और भजनों से संपन्न हैं, उनकी कहानियों और पूजा विधान के विषय में जानकारी प्रदान करते हैं। ये श्रद्धा और भगवान के प्रति अपनी समर्पण की भावना को व्यक्त करने का एक अद्वितीय माध्यम प्रस्तुत करते हैं। यह संपूर्ण पोस्ट भक्ति, विश्वास और भगवान के प्रति अद्वितीय प्रेम को उजागर करती है।

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सत्यनारायण पूजा सामग्री

सत्यनारायण पूजा सामग्री एवं नियम

सत्यनारायण पूजा सामग्री : कलयुग में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व कहा गया है। सत्यनारायण पूजा को शीघ्र फल प्रदान करने वाला भी कहा गया है। भगवान विष्णु ने नारद को सत्यनारायण-व्रत-पूजा का महत्व बताते हुये स्वयं कहा है – सत्यनारायणस्येदं व्रतं सम्यग्विधानतः। कृत्वा सद्यः सुखं भुक्त्वा परत्र मोक्षमालभेत्।।

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