श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में - narayana kavacham

श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में – narayana kavacham

श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में – narayana kavacham : श्रीमद्भागवत महापुराण को पंचम वेद भी कहा गया है। भगवान विष्णु का वास क्षीरसागर में है, जल का ही नाम नार होता है और नार जिसका अयन है उसका नाम नारायण है। भगवान नारायण का कवच श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित है।

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गोपाल कवच संस्कृत में - gopal kavach

गोपाल कवच संस्कृत में – gopal kavach

गोपाल कवच संस्कृत में – gopal kavach : नारद पंचरात्र में गोपाल कवच वर्णित है जिसे बाल गोपाल कवच भी कहा जा सकता है। इसी के साथ एक और महत्वपूर्ण गोपाल कवच ब्रह्मसंहिता में वर्णित है जिसे श्रीगोपालाक्षयकवचं नाम से जाना जाता है। प्रथम गोपाल कवच का मुख्य फल नित्य पाठ से शत्रुरहित होना बताया गया है तो द्वितीय श्रीगोपालाक्षयकवचं के अन्य अनेकानेक फल भी बताये गये हैं।

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श्री कृष्ण त्रैलोक्य विजय कवच | श्री कृष्ण कवच - krishna kavach

श्री कृष्ण त्रैलोक्य विजय कवच | श्री कृष्ण कवच – krishna kavach

श्री कृष्ण त्रैलोक्य विजय कवच | श्री कृष्ण कवच – krishna kavach : भगवान श्री कृष्ण के भी कई कवच स्तोत्र हैं जो पुराणों में मिलते हैं और इनमें से एक विशेष महत्वपूर्ण कवच है महादेव द्वारा परशुराम जी को दिया गया श्री कृष्ण कवच (krishna kavach) जो ब्रह्मवैवर्त्त पुराण में वर्णित है। इस कवच स्तोत्र का एक नाम श्री कृष्ण त्रैलोक्य विजय कवच भी है।

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नरसिंह कवच स्तोत्र - narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra : दशावतारों में नरसिंह अवतार का विशेष महत्व इसलिये है क्योंकि इसमें नरसिंह भगवान भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हैं और इसके लिये हिरण्यकशिपु को मिले सभी वरदानों की तोड़ निकालकर एक ऐसा स्वरूप धारण करते हैं जो अद्वितीय है और वो है नर व सिंह का संयुक्त स्वरूप। इस प्रकार रक्षा की भावना हो तो भगवान नृसिंह से रक्षा कामना विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है।

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एकादश मुखी हनुमान कवच - ekadash mukhi hanuman kavach

एकादश मुखी हनुमान कवच – ekadash mukhi hanuman kavach

एकादश मुखी हनुमान कवच – ekadash mukhi hanuman kavach : जिस प्रकार हनुमान जी का एक स्वरूप पंचमुखी है और वो इसलिये कि भगवान शिव के पांच मुख हैं और हनुमान रुद्रावतार ही हैं। उसी प्रकार से रुद्रों की संख्या ११ है और इसलिये हनुमान का एक स्वरूप एकादश मुखी हनुमान वाला भी है।

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सुदर्शनसंहितोक्त पंचमुखी हनुमान कवच - panchmukhi hanuman kavach

सुदर्शनसंहितोक्त पंचमुखी हनुमान कवच – panchmukhi hanuman kavach

सुदर्शनसंहितोक्त पंचमुखी हनुमान कवच – panchmukhi hanuman kavach : हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप को अराधना में विशेष महत्व प्राप्त है और इनकी अराधना में सबसे मुख्य कवच है जिसे पंचमुखी हनुमान कवच (panchmukhi hanuman kavach) कहते हैं। यदि हम पंचमुखी हनुमान कवच की बात करें तो यह विशेष महत्वर्पूण है जो श्रीसुदर्शन संहिता में शिव-पार्वती संवाद रूप में मिलता है।

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एकमुखी हनुमान कवच - ekmukhi hanuman kavach

एकमुखी हनुमान कवच – ekmukhi hanuman kavach

एकमुखी हनुमान कवच – ekmukhi hanuman kavach : यदि एकमुखी हनुमान कवच कहें तो इसका कोई विशेष अर्थ नहीं होता, जो सामान्य स्वरूप है वही एकमुखी क्योंकि सामान्य स्वरूप में तो एक मुख ही है। तथापि जैसे पंचमुखी हनुमान कवच मिलता है उसी प्रकार से ब्रह्माण्डपुराण में नारद अगस्त्य संवाद रूप में एकमुखी हनुमान कवच मिलता है।

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हनुमान कवच - hanuman kavach

हनुमान कवच – hanuman kavach

हनुमान कवच – hanuman kavach : यदि हम हनुमान कवच की बात करें तो हनुमान जी के भी विभिन्न पुराणों में अनेकानेक कवच स्तोत्र हैं जिनमें से दो प्रमुख स्तोत्र श्रीबृहन्नारदीय पुराणोक्त और सुदर्शन संहितोक्त हनुमान कवच (hanuman kavach) अर्थात श्रीहनुमत्कवचम् यहां संस्कृत में दिया गया है।

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सीता कवच स्तोत्र - sita kavacham

सीता कवच स्तोत्र – sita kavacham

सीता कवच स्तोत्र – sita kavacham : ऐसा प्रायः होता है कि हम भगवान राम के अनेकानेक स्तोत्रों का पाठ तो करते हैं किन्तु सीता के किसी स्तोत्र को जानते तक नहीं और सीता कवच स्तोत्र में ऐसा भी कहा गया है कि बिना सीता कवच पाठ किये राम कवच का पाठ करना वृथा है। इसमें कवच चतुष्टय का पाठ करने का निर्देश प्राप्त होता है।

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राम कवच स्तोत्र - ram kavach stotra

राम कवच स्तोत्र – ram kavach stotra

राम कवच स्तोत्र – ram kavach stotra : भगवान श्रीराम का एक कवच आनन्द रामायण में अगस्त्यकृत”आजानुबाहुमरविन्ददलायताक्षमाजन्म” है और एक कवच स्तोत्र ब्रह्माण्डपुराण में है जो श्रीराम त्रैलोक्यमोहन वज्रपञ्जर स्तोत्र नाम से भी जाना जाता है।

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