वराह पुराणोक्त गदाधर स्तोत्रं - gadadhara stotram

वराह पुराणोक्त गदाधर स्तोत्रं – gadadhara stotram

वराह पुराणोक्त गदाधर स्तोत्रं – gadadhara stotram : वराह पुराण में रैभ्य के द्वारा भगवान विष्णु का जो स्तवन किया गया है उस स्तोत्र का नाम गदाधर स्तोत्र (gadadhara stotram) है। इस स्तोत्र में कुल ९ बार गदाधर नाम लिया गया है और इसी कारण इसे गदाधर स्तोत्र कहा गया है।

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वासुदेव स्तुति - vasudev stuti

वासुदेव स्तुति – vasudev stuti

वासुदेव स्तुति – vasudev stuti : भगवान श्रीकृष्ण वसुदेव पुत्र होने के कारण वासुदेव नाम से जाने जाते हैं। वासुदेव नाम कितना महत्वपूर्ण है इसे इस तथ्य से सरलतापूर्वक समझा जा सकता है कि विष्णु भगवान का जो सबसे प्रसिद्ध और प्रशस्त मंत्र है वह द्वादशाक्षर मंत्र है जिसमें वासुदेव नाम को ही ग्रहण किया गया है। यहां वासुदेव स्तुति संस्कृत में दिया गया है।

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गोपी गीत संस्कृत में - gopi geet in sanskrit

गोपी गीत संस्कृत में – gopi geet in sanskrit

गोपी गीत संस्कृत में – gopi geet in sanskrit : श्रीमद्भागवत महापुराण में तीन गीत हैं जिनमें से एक है गोपी गीत। यह उस प्रसंग से सम्बंधित है जब रासक्रीड़ा में एक गोपी को किंचित अहंकार होने से भगवान श्रीकृष्ण चले गये और ढूंढने से भी मात्र उनके चरण-चिह्न ही दिखे किन्तु वो नहीं दिखे। तब व्याकुल गोपियों ने गायन करते हुये भगवान की जो करुण पुकार की वही गोपी गीत नाम से जानी जाती है।

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बाल कृष्ण सहस्रनाम - bal krishna sahasranam

बाल कृष्ण सहस्रनाम – bal krishna sahasranam

बाल कृष्ण सहस्रनाम – bal krishna sahasranam : भगवान कृष्ण की पूजा में उनके बालरूप का विशेष महत्व है जिन्हें बालकृष्ण, बालगोपाल कहा जाता है। यदि हाथ में लड्डू हो तो लड्डू गोपाल भी कहा जाता है। यदि आप बालकृष्ण के सहस्रनाम का अवलोकन करना चाहते हैं तो वह नारद पंचरात्र में शिव-पार्वती संवादात्मक है।

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राधा कृष्ण स्तुति - radha krishna stuti

राधा कृष्ण स्तुति – radha krishna stuti

राधा कृष्ण स्तुति – radha krishna stuti : भगवान श्री कृष्ण का नाम राधा के साथ ही लिया जाता है जैसे राधे कृष्ण, राधे श्याम आदि। इसी प्रकार भगवान श्री कृष्ण की स्तुति में भी युगल स्तुति का विशेष महत्व होता है और इसके लिये पुराणों में राधा कृष्ण स्तुति भी मिलती है। यहां राधा कृष्ण स्तुति (radha krishna stuti) संस्कृत में दी गयी है।

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राधाकृष्ण युगल सहस्रनाम - radha krishna yugala sahasranama

राधाकृष्ण युगल सहस्रनाम – radha krishna yugala sahasranama

राधाकृष्ण युगल सहस्रनाम – radha krishna yugala sahasranama : जब युगल छवि, युगल सरकार आदि बोलते हैं तो राधाकृष्ण का ही बोध होता है। पुराणादि में दोनों के संयुक्त स्तोत्र भी प्राप्त होते हैं। नारद पुराण में सनत्कुमार व सूत संवाद से राधाकृष्ण युगल सहस्रनाम मिलता है जिसमें ५०० श्री कृष्ण के नाम हैं और तदनन्तर ५०० श्री राधाजी के नाम हैं।

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गोपाल दिव्य सहस्रनाम स्तोत्रम् - Gopala Divya Sahasranama Stotram

गोपाल दिव्य सहस्रनाम स्तोत्रम् – Gopala Divya Sahasranama Stotram

गोपाल दिव्य सहस्रनाम स्तोत्रम् – Gopala Divya Sahasranama Stotram : भगवान श्री कृष्ण का ही एक नाम है गोपाल जिनके नाम से सहस्रनाम स्तोत्र तो हैं ही और एक विशेष सहस्रनाम स्तोत्र भी है जिसका नाम गोपाल दिव्य सहस्रनाम स्तोत्र है। इस स्तोत्र की फलश्रुति में रोग, बंधन, आपदा आदि का निवारण तो बताया ही गया है इसके साथ एक अन्य विशेषता जो बताई गयी है वो है पाषंडियों के संसर्गजन दोष का शमन।

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सम्मोहन तन्त्रोक्त गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र - gopala sahasranama stotram

सम्मोहन तन्त्रोक्त गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र – gopala sahasranama stotram

सम्मोहन तन्त्रोक्त गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र – gopala sahasranama stotram : भगवान श्री कृष्ण गोपालन भी करते थे और उनका एक नाम गोपाल भी है। भगवान श्री कृष्ण के गोपाल नाम से भी अनेकानेक स्तोत्र हैं जिनमें से एक है गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र जो सम्मोहन तंत्र में शिव-पार्वती संवाद रूप में मिलता है। अनेकानेक विशेष पुण्यप्रद अवसरों पर तो इसके पाठ का विधान है ही साथ ही श्राद्ध में भी इसके पाठ का विशेष महत्व बताया गया है और ये इसकी अतिरिक्त विशेषता है।

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गोपाल हृदय स्तोत्र - gopal hriday stotra

गोपाल हृदय स्तोत्र – gopal hriday stotra

गोपाल हृदय स्तोत्र – gopal hriday stotra : भगवान गोपाल का जो हृदय स्तोत्र है उसे गोपाल हृदय स्तोत्र नाम से तो जानते ही हैं, इसके साथ ही इसे विष्णु हृदय स्तोत्र नाम से भी जाना जाता है। यहां गोपाल हृदय स्तोत्र (gopal hriday stotra) संस्कृत में दिया गया है।

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श्री गोपाल स्तवराज - Shri Gopala Stavaraja

श्री गोपाल स्तवराज – Shri Gopala Stavaraja

श्री गोपाल स्तवराज – Shri Gopala Stavaraja : भगवान श्रीकृष्ण गोपालन करते थे और इसी कारण उनका एक नाम है गोपाल। भगवान के विषय में कहा गया है “गो द्विज धेनु देव हितकारी”, कर्मकांड में बिना गव्य प्रयोग के कुछ भी संभव नहीं है। यज्ञ का मूल गो है और गो के पालक भगवान स्वयं ही हैं एवं इसी कारण भगवान का एक नाम गोपाल है। स्तोत्रों में जो बहुत ही महत्वपूर्ण होता है उसे स्तवराज कहा जाता है।

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