श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का अद्भुत माहात्म्य है, इसके प्रभाव से कुछ भी असम्भव नहीं होता। आज के युग में कोई अविष्कार यदि किया जाता है, कोई कानून बनाया जाता है तो उसका सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों सरलता से होता है। किन्तु जो विशेष प्रभावशाली मंत्र-स्तोत्रादि होते हैं उनको महादेव द्वारा कीलित कर दिया गया है। कीलित का तात्पर्य है लॉक किया हुआ। दुर्गा सप्तशती पाठ क्रम में अर्गला स्तोत्र पाठ करने के बाद कीलक स्तोत्र का पाठ किया जाता है। इस आलेख में कीलक स्तोत्र दिया गया है।
कीलक स्तोत्र का परिचय
जैसे कोई भी फाइल लॉक है तो उसे पढ़ने के लिये अनलॉक करने की आवश्यकता होती और अनलॉक करने के लिये पासवर्ड की आवश्यकता होती है। यदि पासवर्ड (उत्कीलन विधा) नहीं पता हो तो उस फाइल को खोला नहीं जा सकता।
कीलक स्तोत्र का महत्व समझाने के लिये ये वैकल्पिक उदहारण है जो पूर्ण सटीक कदापि नहीं हो सकता किन्तु समझने में सहयोग अवश्य कर सकता।
- जब स्वयं भगवान शिव ने इसे (श्री दुर्गा सप्तशती को) कीलित कर रखा है तो वास्तविक उत्कीलन विधि भी अत्यंत गुप्त है।
- तथापि उत्कीलन की कुछ विधियां पुस्तकों में प्राप्त होती है, और उन्हीं में से एक है कीलक स्तोत्र अथवा दुर्गा कीलक या देवी कीलक।
- यद्यपि कीलक स्तोत्र में उत्कीलन विधि का वर्णन है तथापि इसके पाठ का भी महत्व है।

॥अथ कीलकम्॥
विनियोग : ॐ अस्य श्रीकीलकमन्त्रस्य शिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहासरस्वती देवता, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थं सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः ॥
॥ ॐ नमश्चण्डिकायै ॥
मार्कण्डेय उवाच
ॐ विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे।
श्रेयःप्राप्तिनिमित्ताय नमः सोमार्धधारिणे॥१॥
सर्वमेतद्विजानीयान्मन्त्राणामभिकीलकम्।
सोऽपि क्षेममवाप्नोति सततं जाप्यतत्परः॥२॥
सिद्ध्यन्त्युच्चाटनादीनि वस्तूनि सकलान्यपि।
एतेन स्तुवतां देवी स्तोत्रमात्रेण सिद्ध्यति॥३॥
न मन्त्रो नौषधं तत्र न किञ्चिदपि विद्यते।
विना जाप्येन सिद्ध्येत सर्वमुच्चाटनादिकम्॥४॥
समग्राण्यपि सिद्ध्यन्ति लोकशङ्कामिमां हरः।
कृत्वा निमन्त्रयामास सर्वमेवमिदं शुभम्॥५॥
स्तोत्रं वै चण्डिकायास्तु तच्च गुप्तं चकार सः।
समाप्तिर्न च पुण्यस्य तां यथावन्नियन्त्रणाम्॥६॥
सोऽपि क्षेममवाप्नोति सर्वमेवं न संशयः।
कृष्णायां वा चतुर्दश्यामष्टम्यां वा समाहितः॥७॥
ददाति प्रतिगृह्णाति नान्यथैषा प्रसीदति।
इत्थंरुपेण कीलेन महादेवेन कीलितम्॥८॥
यो निष्कीलां विधायैनां नित्यं जपति संस्फुटम्।
स सिद्धः स गणः सोऽपि गन्धर्वो जायते नरः॥९॥
न चैवाप्यटतस्तस्य भयं क्वापीह जायते।
नापमृत्युवशं याति मृतो मोक्षमवाप्नुयात्॥१०॥
ज्ञात्वा प्रारभ्य कुर्वीत न कुर्वाणो विनश्यति।
ततो ज्ञात्वैव सम्पन्नमिदं प्रारभ्यते बुधैः॥११॥
सौभाग्यादि च यत्किञ्चिद् दृश्यते ललनाजने।
तत्सर्वं तत्प्रसादेन तेन जाप्यमिदं शुभम्॥१२॥
शनैस्तु जप्यमानेऽस्मिन् स्तोत्रे सम्पत्तिरुच्चकैः।
भवत्येव समग्रापि ततः प्रारभ्यमेव तत्॥१३॥
ऐश्वर्यं यत्प्रसादेन सौभाग्यारोग्यसम्पदः।
शत्रुहानिःपरो मोक्षः स्तूयते सा न किं जनैः॥१४॥
॥ इति देव्याः कीलकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
- वास्तविक उत्कीलन विद्या की प्राप्ति गुरु से ही किया जा सकता है।
- वास्तविक उत्कीलन विद्या पुस्तकों में लिखित होने पर भी प्रभावी नहीं होते।
- वास्तविक उत्कीलन विद्या में प्रभाव तभी हो सकता है जब सिद्ध गुरु से प्राप्त हो।
- कोई भी सिद्ध गुरु किसी गुप्त विद्या को कभी सार्वजनिक नहीं करते।
- यदि कोई गुप्त विद्या सार्वजनिक रूप से उपलब्ध भी हो तो निष्प्रभावी ही होता है।
कीलक स्तोत्र के लाभ
श्रीदुर्गा सप्तशती अपने विशिष्ट शक्ति के कारण भगवान शिव द्वारा कीलित किया गया है जिसका उत्कीलन भी गुप्त ही है। लेकिन फिर भी श्रद्धालुओं के लिये कीलक स्तोत्र पुस्तकों में उपलब्ध होता है जिसका पाठ लाभकारी माना जाता है।
- कीलक स्तोत्र के लाभ का तात्पर्य कोई अन्य उपलब्धि नहीं हो सकती, लेकिन बहुत सारे लोग बहुत प्रकार के लाभ बताते हुये मिलें तो आश्चर्य की भी कोई बात नहीं होती।
- क्योंकि जब तक वास्तविक उत्कीलन विद्या का ज्ञान न हो तब तक तो पुस्तकों में जो बातें लिखी हुयी हो उसी का पालन किया जा सकता है।
- पुस्तकों में लिखी हुयी बातें भी सत्य हैं, किन्तु शक्तियुक्त नहीं।
- जैसे किसी घर में बहुत सारे बल्व हों किन्तु बिजली न हो तो अंधेरा ही रहेगा।
- इस विषय को भलीभांति समझाना भी सरल नहीं है।
- उस स्थिति में कीलक स्तोत्र बहुत लाभकारी होता है।
- कीलक स्तोत्र इस दृष्टिकोण से लाभकारी होता है कि यह उत्कीलन विद्या की प्रेरणा देता है।

॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ सुशांतिर्भवतु ॥ सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु ॥
आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।