सनातन में अनेकानेक व्रत का विधान है जिसमें से एक श्रेष्ठ व्रत एकादशी है। किसी भी व्रत की पूर्णता हेतु उस व्रत का उद्यापन किया जाता है और जब तक उद्यापन नहीं किया गया हो तब तक व्रत पूर्ण नहीं होता है। एकादशी व्रत की भी पूर्णता हेतु उद्यापन करने की एक विस्तृत विधि है और पूर्व आलेख में एकादशी उद्यापन की शास्त्र-सम्मत विधि दी गयी है एवं उसे सरल रूप से समझाया भी गया है। उद्यापन में पूजा-कथा-हवन आदि के साथ मुख्य विषय दान होता है। इस आलेख में एकादशी उद्यापन में दान करने की विधि और मंत्र दिया गया है।
एकादशी उद्यापन की दान विधि – Dan ki vidhi aur mantra
पूर्व आलेख में एकादशी उद्यापन की पूजा-हवन आदि से संबंधित विधि और मंत्र दिया गया है, उद्यापन का एक मुख्य अंग दान भी होता है और इस आलेख में दान करने की विधि और मंत्र के साथ कुछ अन्य महत्वपूर्ण विषय भी समाहित किया गया है। एकादशी उद्यापन विधि में शय्यादान की विधि और मंत्र दी गयी थी किन्तु यहाँ पुनः शय्यादान से ही दान विधि का आरंभ किया जायेगा, क्योंकि सर्वप्रथम शय्यादान ही किया जाता है।
दान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :
- दान करना उद्यापन का महत्वपूर्ण अंग होता है।
- दान में एक नये परिवार हेतु सभी आवश्यक वस्तुओं का दान करना चाहिये।
- दान ब्राह्मण मात्र को ही दिया जाता है, भिक्षा किसी को भी दी जा सकती है।
- दान विद्वान और चरित्रवान ब्राह्मण को देना चाहिये।
- दान करने हेतु सामर्थ्य का विचार करते हुये ही निर्णय लेना चाहिये, असामर्थ्यों हेतु दान करना अनिवार्य नहीं होता है।
- दान मंत्र के बिना नहीं किया जाता है, बिना मंत्र के भिक्षा अथवा उपहार दिया जाता है।
- किसी भी सामग्री/पात्र को रिक्त नहीं दान किया जाता है, पात्र में पात्रानुसार द्रव्य भी देना चाहिये, जैसे जलपात्र में जल, बड़े टोकना में चावल, छोटे टोकना में दाल आदि।
दान करने की विधि और मंत्र
एकादशी उद्यापन हेतु सभी पूजा आदि करने के उपरांत शय्या आदि सभी दान सामग्री पूर्वाभिमुख व्यवस्थित कर ले, वहीं पर लक्ष्मीनारायण प्रतिमा अथवा शालिग्राम जिनकी पूजा की गयी हो स्थापित करें, दानकर्ता उत्तराभिमुख बैठे। व्यवस्था इस प्रकार करे कि दान सामग्री का पूजन अथवा लक्ष्मीदामोदर की पूजा में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो। यदि स्थानाभाव हो तो एक बार में सभी दान सामग्री न लगाये, दो-तीन भागों में विभक्त करके करे।
एक पात्र में पूजा करने हेतु गंधपुष्पाक्षत ले, एक पात्र में तिल-पुष्प-चंदन, जल पात्र में जल, व एक पात्र में तिल-जल रखे। दान-सामग्री की गंध-पुष्पाक्षत से तीन बार पूजा करे, तत्पश्चात सलक्ष्मी-दामोदर की तिल-पुष्प-चंदन से तीन बार पूजा करे, फिर जल से दान सामग्री को सिक्त करे, तत्पश्चात तिल-जल लेकर दान-सामग्री का सलक्ष्मीदामोदर के प्रति उत्सर्ग करे।
अन्यत्र दान के उपरांत ही सभी दान की दक्षिणा भी दी जाती है, एकादशी उद्यापन पद्धतियों में दक्षिणा अंत में तंत्र से प्राप्त होती है। यहाँ उन्हीं पद्धतियों का अवलम्बन लिया गया है।
शय्यादान
तत्पश्चात दानसामग्री (शय्यादि) प्रसारित करके उत्तराभिमुख हो दान करे; सर्वप्रथम शय्यादान करे :
- शय्यापूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर शय्या पूजन (तीन बार) करे : ॐ सोपकरणशय्यायै नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर (अक्षत के स्थान पर तिल-जौ ले) की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित शय्या को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ………… पक्षे ………… तिथौ …………. गोत्रायाः अस्याः श्री …………… देव्याः दीयमानशय्यान्तर्गत यावत्तन्तु समसंख्यक सहस्त्रवर्षावच्छिन्न विष्णुसदनाधिकरण शय्यासुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इमां सोपकरणां शय्यां प्रजापतिदैवतां सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
- शय्या निवेदन : ॐ नानोपकरणोपेतां ताम्बूलपरिपूरिताम् । पुण्यदां कल्पितां शय्यां गृहाण भगवन् हरे ॥
तण्डुल पाकपात्र (बड़ा टोकना) दान
तत्पश्चात तण्डुल पाकपात्र अर्थात बड़ा टोकना दान करे। जिस प्रकार जलपात्र में जल भरकर किया गया उसी प्रकार तण्डुल पाकपात्र में तण्डुल भरना चाहिये। पाकपात्र पीतल के होते हैं, कुछ ऐसे पाकपत्र जो पीतल के बनाये ही नहीं जाते वही अन्य धातुओं के होते हैं। स्वर्ण/रजत का सामर्थ्य नहीं होने पर पीतल को स्वीकार किया जाता है, किन्तु लौह का निषेध ही किया गया है, विशिष्ट लौह होने पर भी वह लौह ही होता है इस बिन्दु का स्मरण रखना चाहिये।
- तण्डुल पाकपात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर तण्डुल पाकपात्र पूजन (तीन बार) करे : ॐ सतण्डुल तण्डुल पाकपात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित तण्डुल पाकपात्र को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन तण्डुल पाकपात्र सुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सतण्डुल तण्डुल पाकपात्रं विष्णुदैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
द्विदल पाकपात्र (छोटा टोकना) दान
तत्पश्चात द्विदल पाकपात्र अर्थात छोटा टोकना दान करे। द्विदल पाकपात्र में दाल के साथ-साथ करछुल (डब्बू) भी होना चाहिये :
- द्विदल पाकपात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर द्विदल पाकपात्र पूजन (तीन बार) करे : ॐ सद्विदल–सदर्विक द्विदल पाकपात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित तण्डुल पाकपात्र को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन द्विदल पाकपात्र सुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सद्विदल-सदर्विक द्विदल पाकपात्रं विष्णुदैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
कटाही/व्यञ्जनपाकपात्र (सब्जी और छोलनी सहित) दान
तत्पश्चात कटाही अर्थात व्यञ्जनपाकपात्र दान करे। कटाही में व्यंजन/सब्जी के साथ-साथ चालक (छोलनी) भी हो :
- कटाही पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सव्यञ्जन-सचालक कटाह्यै नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित कटाही को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सचालक कटाहीसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सव्यञ्जन-सचालक पैत्तल कटाहीं विष्णुदैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
चौकला-बेलन दान
तत्पश्चात चौकला-बेलन दान करे। चौकला पर बेलन के साथ गोधूमचूर्ण भी रखना चाहिये :
- चौकला-बेलन पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सगोधूमचूर्ण काष्ठ बेलनचतुष्कुलाभ्यां नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित चौकला-बेलन को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन काष्ठबेलनचतुष्कुला सुखप्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इमे सगोधूमचूर्णे काष्ठबेलनचतुष्कुले वनस्पति दैवते सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
गमला (पूरी-मिठाई सहित) दान
तत्पश्चात गमला (पूरी-मिठाई सहित) दान करे :
- परिवेषण पात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सशष्कुली-मिष्टान्न परिवेषण पात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित गमला को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सशष्कुली-मिष्टान्न परिवेषण पात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम सशष्कुली-मिष्टान्न परिवेषण पात्रं विष्णु दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
परात/थार (चावल सहित) दान
तत्पश्चात परात/थार (चावल सहित) दान करे :
- बृहत्स्थाली पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सतण्डुल पैत्तल बृहत्स्थाल्यै नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित परात/थार को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सचालक सतण्डुल पैत्तल बृहत्स्थालीसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सतण्डुल पैत्तल बृहत्स्थालीं विष्णु दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
हंसिया (सब्जी सहित) दान
तत्पश्चात हंसिया (सब्जी सहित) दान करे :
- कर्तनी पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सव्यञ्जन कर्तन्यै नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित हंसिया को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सव्यञ्जन कर्तनीसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सव्यञ्जन लौह कर्तनीं विष्णुदैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥ (लौह कर्तनी में यम दैवतं प्रयोग करे)
सस्पेन-कप-छन्ना (चायपत्ती-चीनी सहित) दान
तत्पश्चात सस्पेन-कप-छन्ना (चायपत्ती-चीनी सहित) दान करे :
- क्वथनपात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सोपकरण सकामरूपिका-ससित क्वथनपात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित सस्पेन-कप-छन्ना को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सोपकरण सकामरूपिका-ससित क्वथनपात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सोपकरण सकामरूपिका-ससित क्वथनपात्रं गन्धर्वदैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
बाल्टी रस्सी बंधा हुआ (जल सहित) दान
तत्पश्चात बाल्टी रस्सी बंधा हुआ (जल सहित) दान करे :
- जलाहरण पात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सजल-सरज्जु-जलाहरण पात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित बाल्टी को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सरज्जु-जलाहरण पात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सजल-सरज्जु-जलाहरण पात्रं वरुण दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
जग (जल सहित) दान
तत्पश्चात जग (जल सहित) दान करे :
- जलपरिवेषण पात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सजल जलपरिवेषण पात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित जग को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सजल जलपरिवेषणपात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सजल जलपरिवेषण पात्रं वरुण दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
चूल्हा (गैस चूल्हा) दान
तत्पश्चात चूल्हा (गैस चूल्हा) दान करे :
- चुल्लिका पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सद्रवीभूत वायवीयेंधन ईंधनपात्र सहित चुल्लिकायै नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित चूल्हा को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन चुल्लिकासुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इमां सद्रवीभूत वायवीयेंधन ईंधनपात्रसहित चुल्लिकां अग्निदैवतां सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
चूड़ा-दही-चीनी (डाला सहित) दान
तत्पश्चात चूड़ा-दही-चीनी (डाला सहित) दान करे :
- सडल्लक ससित-दधि-चिपटान्न पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सडल्लक ससित-दधि-चिपटान्नेभ्यो नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित चूड़ा-दही-चीनी (डाला सहित) को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सडल्लक ससित-दधि-चिपटान्नसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम एतानि सडल्लक ससित-दधि-चिपटान्नानि सवनस्पति-चंद्र-प्रजापति दैवतानि सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
कांस्य थाली (चावल सहित) दान
तत्पश्चात कांस्य थाली (चावल सहित) दान करे :
- भोजनपात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सतण्डुल कांस्य भोजनपात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित थाली को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन कांस्य भोजनपात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं कांस्य भोजनपात्रं विष्णु दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
कांस्य कटोरी चम्मच सहित (दाल सहित) दान
तत्पश्चात कांस्य कटोरी चम्मच सहित (दाल सहित) दान करे :
- लघुभोजनपात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सद्विदल सचमस कांस्य लघुभोजनपात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित कटोरी को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन सद्विदल सचमस कांस्य लघुभोजनपात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सद्विदल सचमस कांस्य लघुभोजनपात्रं विष्णु दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
घट (सजल पित्तल) दान
तत्पश्चात घट (सजल पित्तल) दान करे :
- घट पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सजल पित्तल घटा नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित घट को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः एतज्जलपात्रस्थित जलबिन्दु समसंख्यक सहस्त्रवर्षावच्छिन्न विष्णुसदन सजल घटसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इमं सजल पित्तल घटं वरुणदैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
कांस्य लोटा (जल सहित) दान
तत्पश्चात कांस्य लोटा (जल सहित) दान करे :
- कांस्य जलपात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सजल कांस्य जलपात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित लोटा को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः एतज्जलपात्रस्थित जलबिन्दु समसंख्यक सहस्त्रवर्षावच्छिन्न विष्णुसदन सजल जलपात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सजल कांस्य जलपात्रं वरुण दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
कांस्य गिलास (जल सहित) दान
तत्पश्चात कांस्य गिलास (जल सहित) दान करे :
- कांस्य लघुजलपात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सतण्डुल सजल कांस्य लघुजलपात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित गिलास को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः एतज्जलपात्रस्थित जलबिन्दु समसंख्यक सहस्त्रवर्षावच्छिन्नविष्णुसदन सजल लघुजलपात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं सजल कांस्य लघुजलपात्रं वरुण दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
पादप्रक्षालन पात्र दान
तत्पश्चात पादप्रक्षालन पात्र दान करे :
- पादप्रक्षालन पात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ पादप्रक्षालन पात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित पादप्रक्षालन पात्र को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदन पादप्रक्षालन पात्रप्राप्ति पूर्वक प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं पादप्रक्षालनपात्रं विष्णु दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
पतद्ग्रहपात्र दान
तत्पश्चात पतद्ग्रहपात्र दान करे :
- पतद्ग्रहपात्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ पतद्ग्रहपात्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित पतद्ग्रहपात्र को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनस्थ पतद्ग्रहपात्रसुख प्राप्तिपूर्वक विष्णुसदनवास काम इदं पतद्ग्रहपात्रं विष्णु दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
फल-पूप सहित 14 डाला दान
तत्पश्चात फल-पूप सहित 14 डाला दान करे :
- चतुर्दशडल्लक पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सफल-सपूप चतुर्दशडल्लकेभ्यो नमः नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित फल-पूप सहित 14 डाला को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम एतान् सफल-सपूप चतुर्दशडल्लकान् विष्णु दैवतान् सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
१२ प्रकार के भोजन (वस्त्राच्छादित)दान
तत्पश्चात १२ प्रकार के भोजन (वस्त्राच्छादित) दान करे :
- भोज्यान्न पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ द्वादशविध भोज्यान्नेभ्यो नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित १२ प्रकार के भोजन को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः एतद् द्वादशविध भोजनीयान्न समसंख्यक वर्ष सहस्रावच्छिन्न शास्वतसौख्यपूर्वक विष्णुलोकमहितत्व काम एतानि द्वादशविध भोज्यान्नानि सोपकरणानि वस्त्राच्छादितानि प्रजापतिदैवतानि सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
चामर दान
तत्पश्चात चामर दान करे :
- चामर पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ चामराय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित चामर को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः एतच्चामरलोम समसंख्यकवर्ष सहस्रावच्छिन्न विष्णुसदनवास काम इदं चामरं विष्णु दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
उपानद् (जूता) दान
तत्पश्चात उपानद् (जूता) दान करे :
- उपानद् पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ उपानद्भ्यां नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित उपानद् को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः तप्त-बालुकासि-कण्टकित-भूदुर्ग-सन्तरण काम मे उपानहौ उत्तानाङ्गिरो दैवते सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
छत्रत्र दान
तत्पश्चात छत्र दान करे :
- छत्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ छत्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित छत्र को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः शीततापवारणकाम इदं छत्रं उत्तानाङ्गिरो दैवतम् सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
मुद्रिका (आभूषण) दान
तत्पश्चात मुद्रिका (आभूषण) दान करे :
- मुद्रिका पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ मुद्रिकायै नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित मुद्रिका को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम इमां मुद्रिकां विष्णु दैवताम् सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
मञ्जूषा दान
तत्पश्चात मञ्जूषा दान करे :
- मञ्जूषा पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सावरण सोपकरण मञ्जूषायै नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित मञ्जूषा को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम इमां सोपकरणां मञ्जूषां वनस्पति दैवतां सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
लाइट (जलाकर, चार्जर सहित) दान
तत्पश्चात लाइट (जलाकर, चार्जर सहित) दान करे :
- प्रकाशिका पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सोपकरण प्रकाशिकायै नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित लाइट को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम इमां सोपकरणां प्रकाशिकां अग्निदैवतां सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
मोबाइल (चार्जर सहित) दान
- चलभाष यन्त्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सोपकरण चलभाष यन्त्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित मोबाइल को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम इदं सोपकरण चलभाष यंत्रं विश्वकर्म दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
टेलीविजन (उपकरण सहित) दान
- दूरदर्शन पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सोपकरण दूरदर्शन यन्त्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित टेलीविजन को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम इदं सोपकरण दूरदर्शन यंत्रं विश्वकर्म दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
फ्रिज (बोतल में जल, फल, मिष्टान्न आदि सहित) दान
- शीतक यन्त्र पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सोपकरण शीतक यन्त्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित शीतक यंत्र को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम इदं सोपकरण शीतक यंत्रं विश्वकर्म दैवतं विश्वकर्म दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
व्यजन (पंखा) दान
- व्यजन पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ व्यजन यन्त्राय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित व्यजन को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम इदं व्यजन यंत्रं विश्वकर्म दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
मोटरसाइकिल दान
- वाहन पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सोपकरण गतिशक्तियंत्रयुत् द्विचक्रवाहनाय नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित वाहन को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम इदं सोपकरण गतिशक्तियंत्रयुत् द्विचक्रवाहनं उत्तानाङ्गिरो दैवतं सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
सप्तधान्य (सात कोठी में करके) दान
- सप्तधान्य पूजन : त्रिकुशा, गन्धपुष्पाक्षत लेकर कटाही पूजन (तीन बार) करे : ॐ सदक्षिणाक सप्तधान्येभ्यो नमः ॥३॥
- सलक्ष्मीदामोदर पूजन : तत्पश्चात लक्ष्मीदामोदर की पूजा करे : ॐ सलक्ष्मीकाय दामोदराय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात जल से पूजित सप्तधान्य को सिक्त करे : ॐ तत्सत् ॥
- उत्सर्ग : तत्पश्चात त्रिकुशा-तिल-जल लेकर उत्सर्ग करे : ॐ अस्यां रात्रौ ………. मासि ……… पक्षे ……… तिथौ ………. गोत्रायाः अस्याः श्री ……… देव्याः विष्णुसदनवास काम एतानि सदक्षिणाकानि सप्तधान्यानि प्रजापति दैवतानि सलक्ष्मीकाय दामोदरायाऽहं ददे ॥
सामर्थ्यानुसार दान सामग्री में न्यूनाधिक्यता संभव है। इस प्रकार से सभी दान करके दान संबंधी दक्षिणा करे। त्रिकुशा-तिल-जल-द्रव्यादि लेकर पढ़े :
दक्षिणा : ॐ अस्यां रात्रौ कृतैतद्यावद्वस्तु सहित सोपकरण शय्यादान प्रतिष्ठार्थं एतावत् द्रव्यमूल्यकं हिरण्यं अग्नि दैवतं लक्ष्मीनारायणाभ्यां दक्षिणां अहं ददे ॥ इस प्रकार दक्षिणा करके ब्राह्मण को समर्पित करे।
तत्पश्चात भगवान को अगले मंत्र से पुनः अर्घ्य प्रदान करे : ॐ नारायण जगन्नाथ लक्ष्मीकांत दयानिधे। गृहाणर्घ्यं मयादत्तं व्रतसम्पूर्तिहेतवे ॥
तत्पश्चात हवन आदि करे। पुनः एकादशी उद्यापन विधि पर जाने हेतु यहां क्लिक करें।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।