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गृह प्रवेश मुहूर्त 2024

गृह प्रवेश मुहूर्त 2024

शुभ मुहूर्त दैवज्ञ ब्राह्मण से ही क्यों बनवाना चाहिये ?

ब्राह्मण भौतिक दृष्टिकोण से तो मनुष्य ही होते हैं किन्तु आध्यात्मिक दृष्टिकोण से शास्त्रों में देवता तुल्य या पृथ्वी का देवता बतलाया गया है। इस कारण धर्म संबंधी किसी भी कार्य (चाहे कर्मकाण्ड हो या ज्योतिष) में ब्राह्मण की अनिवार्यता कही गई है।

  • किसी भी आध्यात्मिक कार्य को करने के लिये भी ब्राह्मण/गुरु की आज्ञा आवश्यक होती है।
  • दैवज्ञ ब्राह्मण से शुभ मुहूर्त बनवाने का एक परोक्ष भाव यह भी होता है की ब्राह्मण की आज्ञा ले ली गयी।
  • दैवज्ञ ब्राह्मण द्वारा निर्धारित शुभ मुहूर्त में ही शुभ फल की प्राप्ति हो सकती है।
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शुभ मुहूर्त दैवज्ञ ब्राह्मण से ही क्यों बनवाना चाहिये ?

गृह प्रवेश मुहूर्त का निर्धारक सूत्र क्या है ?

यहाँ हमें गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त कैसे बनाये जाते हैं उसके लिये माह, तिथि, नक्षत्र आदि का क्या नियम है उसे भी समझना आवश्यक है क्योंकि कैलेंडरों और समाचारों में बिना सही से जांचे-परखे किसी भी दिन किसी भी प्रकार का मुहूर्त बता दिया जाता है। उस स्थिति में शुभ मुहूर्त का निर्णय लेने के लिये यह आवश्यक हो जाता है कि वह वास्तव में सही है या नहीं। लेकिन मुख्य बात यही है की कहीं से जाना हुआ मुहूर्त शुभ नहीं होता है वह शुभ मुहूर्त तब होता है जब ब्राह्मण निर्धारित करे।

  1. माह – वैशाख, आषाढ़, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष, फाल्गुन (सौर मास ग्राह्य) ज्येष्ठ माह को मध्यम माना गया है।
  2. पक्ष – शुक्ल पक्ष सम्पूर्ण ग्राह्य होता है और कृष्ण पक्ष में पञ्चमी तक ही ग्राह्य होता है।
  3. तिथि – द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा ।
  4. नक्षत्र – अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती और तीनों उत्तरा।
  5. दिन – सोम, बुध, गुरु, शुक्र और शनिवार।
  6. समय – दिन-रात में जब कभी शुभ मुहूर्त प्राप्त हो।
  7. दिशा – सम्मुख काल की दिशा को छोड़कर। सौर मास – अगहन से आरम्भ होकर तीन-तीन महीने राहू (काल) वास पूर्वादि दिशाओं में होता है। इसमें ध्यान यह रखना चाहिये की प्रवेशकर्ता के सम्मुख काल का वास न हो।
  8. लग्न – उत्तम लग्न : वृष, सिंह, वृश्चिक, और कुम्भ। मध्यम लग्न : मिथुन, कन्या, धनु और मीन।
  9. इसके साथ अन्य भी कई विचार किये जाते हैं जैसे गुरु-शुक्र का उदित रहना, कुम्भचक्र विचार, अर्कविचार आदि।

दैवज्ञ ब्राह्मण द्वारा निर्धारित किये गये मुहूर्त को जांचने की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि दैवज्ञ ब्राह्मण द्वारा घोषित शुभ मुहूर्त में त्रुटि होने पर भी शुभ फल प्रदान करने की शक्ति समाहित हो जाती है। किन्तु अन्य स्रोतों से ज्ञात मुहूर्त को जांचना आवश्यक होता है और उसके शुभ मुहूर्त होने के लिये दैवज्ञ ब्राह्मण द्वारा अनुमोदन।

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