महाशिवरात्रि पूजा विधि और मंत्र- mahashivratri puja vidhi

महाशिवरात्रि पूजा विधि और मंत्र- mahashivratri puja vidhi महाशिवरात्रि पूजा विधि और मंत्र- mahashivratri puja vidhi

Table of Contents

वैदिक शिव पूजन विधि

शिव पूजा में विशेष लाभ हेतु आगे वेद मंत्रों द्वारा भगवान शिव की पूजा विधि दी गयी है जिसे वैदिक शिव पूजन विधि कहा जाता है :

शिवजी का ध्यान

आसन

पाद्य

अर्घ्य

आचमन

स्नान

पय:स्नान

दधिस्नान

घृतस्नान

मधुस्नान

शर्करास्नान

पञ्चामृतस्नान

गन्धोदकस्नान

शुद्धोदकस्नान

वस्त्र

आचमन – वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं ॐ भूर्भुवः स्वः साम्बसदाशिवाय नमः ॥

यज्ञोपवीत

आचमन – यज्ञोपवीतान्ते आचमनीयं जलं ॐ भूर्भुवः स्वः साम्बसदाशिवाय नमः ॥

उपवस्त्र

आचमन – उपवस्त्रान्ते आचमनीयं जलं ॐ भूर्भुवः स्वः साम्बसदाशिवाय नमः ॥

गन्ध

भस्म

सुगन्धित द्रव्य

अक्षत

पुष्पमाला

बिल्वपत्र

शमीपत्र

नानापरिमलद्रव्य

अङ्गपूजा

धूप

दीप

नैवेद्य

(नैवेद्य निवेदित करे, तदनन्तर भगवान का ध्यान करके आचमन के लिये जल चढ़ाये )

करोद्वर्तन

ऋतुफल

धतूराफल

ताम्बूल

दक्षिणा

आरती

प्रदक्षिणा

पुष्पाञ्जलि

भगवान शंकर की आरती – जय शिव ओंकारा

जय शिव ओंकारा मन भज शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
॥ ॐ हर हर हर महादेव ॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर ….. ॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर ….. ॥

अक्षमाला वनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद चंदा भाले शशिधारी ॥ ॐ हर ….. ॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुडादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर ….. ॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जगहर्ता जगपालनकर्ता ॥ ॐ हर ….. ॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर ….. ॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर ….. ॥

त्रिगुण स्वामि जी की आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर ….. ॥

॥ जय शिव ओंकारा ॥ हो मन भज शिव ओंकारा ॥ हो मन रट शिव ओंकारा ॥ हो शिव गले में रुण्डमाला ॥ हो शिव बैल चढ़न वाला ॥ हो शिव पहिरे बघछाला ॥ हो शिव पीते भंग प्याला ॥ हो शिव रहते मतवाला ॥ हो शिव पार्वती प्यारा ॥ हो शिव ऊपर जलधारा ॥ हो शिव भूरी जटा वाला ॥ जटवा में गंग विराजे ॥ मस्तक पर चंद्र विराजे ॥ आसन मृगछाला ॥ ॐ हर हर हर महादेव ॥

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply