यद्यपि सभी संक्रांतियों का विशेष महत्व ही होता है तथापि सभी संक्रांतियों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। अन्य सभी संक्रांतियों में भी स्नान-दान-पूजा-हवन आदि का महत्व होता है किन्तु मकर संक्रांति के दिन विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण का आरंभ होता है, उत्तरायण आरंभ होने के साथ ही देवताओं के दिन का आरंभ होता है। इस आलेख में मकर संक्रांति के धार्मिक महत्व, वैज्ञानिक महत्व की चर्चा के साथ साथ मकर संक्रांति में करने वाले दान विधि और मंत्र की चर्चा की गयी है।
मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? दान करने की विधि
- राशियों की कुल संख्या १२ है। किसी भी राशि में सूर्य का प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है।
- सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है तो उसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
- मकर संक्रांति का अन्य सभी संक्रांति से अधिक महत्व होता है।
- संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान, दान आदि करना चाहिये।
- मकर संक्रांति से माघ मास आरंभ होता है। शिशिर ऋतू का आरंभ होता है अर्थात विशेष ठंढ का माह होता है।
- मकर के सूर्य में तिल का विशेष उपयोग किया जाता है इसलिये इसे तिलासंक्रान्ति भी कहते हैं।
- मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व तो है ही साथ-ही-साथ वैज्ञानिक महत्व भी होता है। यहाँ हम दोनों महत्व को पहले समझेंगे तत्पश्चात दान करने की विधि एवं मंत्र को समझेंगे।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
- इस दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं।
- इस दिन से देवताओं का दिन आरंभ होता है।
- इस दिन गंगा एवं सरयू स्नान करना बहुत अधिक पुण्यदायक होता है।
- यदि गंगा-सरयू स्नान न कर सकें तो अन्य समुद्रगामिनी नदियों में भी स्नान किया जा सकता है।
- इस दिन तिल, चूड़ा, खिचड़ी, शक्कर, घी, कम्बल आदि वस्तु दान करना कल्याणकारी होता है।
- दक्षिणायण में मृत व्यक्तियों को स्वर्ग के द्वार पर इस दिन तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, क्योंकि स्वर्ग का द्वार इसी दिन खुलता है।
- इस दिन खरमास समाप्त होता है।
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व
- इस दिन से सूर्य धीरे-धीरे उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हैं।
- इस दिन शिशिर ऋतु का आरंभ होता है, अर्थात सबसे अधिक ठण्ड आरम्भ होता है।
- तिल, शक्कर और खिचड़ी का उपयोग ठण्ड के प्रभाव में कमी करता है, इसलिये इस दिन से विशेष उपयोग आरंभ किया जाता है।
- प्रातः स्नान स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद होता है, इसलिये भयंकर शीत होने पर भी प्रातः स्नान किया जाता है।
- इस दिन से दिनमान बढ़ने लगता है। (दिनमान सायन संक्रांति से ही बढ़ने लगता है और मकर संक्रांति का पर्व निरयण संक्रांति को मनाया जाता है)
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