१. खिचड़ी दान : त्रिकुशहस्त चंदन मिश्रित पुष्पाक्षत लेकर तीन बार खिचड़ी, चूड़ा, सब्जी, तिलकुट, शक्कर आदि पर छिड़के :
ओं तिलचिपटान्नलड्डूकसहितसोपकरणकृशरान्तेभ्यो नमः ॥३॥
तीन बार ब्राह्मण या उत्तराग्र त्रिकुशा की पूजा करे : ओं ब्राह्मणाय नमः ॥३॥
तत्पश्चात दान वस्तु को जल से सिक्त करके तिल, जल लेकर उत्सर्ग करे – ओं सर्वात्मा सर्वलोकेशः सर्वव्यापी सनातनः । नारायणः प्रसन्नः स्यात् कृशरान्नप्रदानतः ॥ ओं अद्य …… मासे, …….. पक्षे, …… तिथौ, ……. वासरे मकरार्कसंक्रमणप्रयुक्तपुण्यकाले ……… गोत्रस्य मम श्री ……… शर्मणः विष्णुप्रीतिकामः एतानि तिलचिपटान्नलड्डूकसहितानि सोपकरणकृशरान्नानि विष्णु दैवतानि यथानामगोत्राय ब्राह्मणायाऽहं ददे ॥
प्रणाम करते हुये अगला मंत्र पढ़े –
ओं कृशरं सर्वंशीतघ्नं शनिप्रीतिकरं सदा । तस्मादस्य प्रदानेन मम सन्तु मनोरथाः ॥
ओं सतिलं गुडसंयुक्तं रसप्रीतिकरं नृणाम् । वर्धितं संगृहाणेदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥
इसके बाद तिल-जल-दक्षिणा लेकर इस मंत्र से दक्षिणा दे – ओमद्य कृतैतत्तिल चिपटान्नलड्डूकसहित सोपकरणकृशरान्नदान प्रतिष्ठार्थमेतावद्रव्यमूल्यकं हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ॥ ओं स्वस्तोति प्रतिवचनम् ॥
२. तिल से भरा घड़ा दान : त्रिकुश हस्त चंदन मिश्रित उजला फूल अक्षत लेकर तिल भरे हुये घड़े पर इस मंत्र से तीन बार छिड़के – ओं तिलपूर्णकुम्भाय नमः ॥३॥
ब्राह्मण या उत्तराग्र त्रिकुशा की इस मंत्र से तीन बार पूजा करे – ओं ब्राह्मणाय नमः ॥३॥
तिल जल लेकर इस मंत्र से उत्सर्ग करे – ओं अद्य …… मासे, …….. पक्षे, …… तिथौ, ……. वासरे मकरार्कसंक्रमणप्रयुक्तपुण्यकाले ……… गोत्रस्य मम श्री ……… शर्मणः रसवारि निमित्त सकल दुरितोपसर्वापच्छान्ति पूर्वक यावत्तिल संख्यक वर्षसहस्रावच्छिन्न विष्णुलोक प्राप्ति कामनया इदं तिलपूर्ण कुम्भं विष्णु दैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणायाऽहं ददे।
उत्सर्ग करके प्रणाम करे – ओं नमो वरुणरूपाय रसाम्बुपतये नमः । रसवारिनिमित्तानि यान्तु नाशमघानि मे ॥
फिर तिल, जल, दक्षिणा लेकर यह मंत्र पढ़े – ओमद्य कृतैतत तिलकुम्भदान प्रतिष्ठार्थमेतावद्रव्य मूल्य हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ॥
३. कम्बल दान : चंदन मिश्रित पुष्पाक्षत लेकर अगले मंत्र को पढ़ते हुये तीन बार कम्बल पर छिड़के – ओं शीतवर्षाहरकम्बल वस्त्राय नमः ॥३॥
तीन बार अगले मंत्र से ब्राह्मण या उत्तराग्र त्रिकुशा की पूजा करे – ओं ब्राह्मणाय नमः ॥३॥
ब्राह्मण पूजा करने के बाद तिल-जल लेकर अगले मंत्र से उत्सर्ग करे – ओं अद्य …… मासे, …….. पक्षे, …… तिथौ, ……. वासरे मकरार्कसंक्रमणप्रयुक्तपुण्यकाले ……… गोत्रस्य मम श्री ……… शर्मणः कम्बलवस्त्रतन्तु समसंख्यकवर्ष सहस्रावच्छिन्न विष्णुलोकवास कामनया अमुं कम्बलवस्त्रं विष्णु दैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणायाऽहं ददे ॥
तत्पश्चात प्रणाम करके अगला मंत्र पढ़े –
ओं शीतवर्षाहरः पुण्यो दृष्टो बलविवर्धनः । कम्बलस्य प्रदानेन शान्तिरस्तु सदा मम ॥
ओं ऊर्णावस्त्रं चारु चित्रं देवानां प्रीतिवर्धनम् । सुखस्पर्शकरं यस्मादतः शान्तिं प्रयच्छ मे॥
फिर तिल, जल, दक्षिणा लेकर यह मंत्र पढ़े – ओमद्य कृतैतत कम्बलवस्त्रदान प्रतिष्ठार्थमेतावद्रव्य मूल्य हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ॥
यदि रजाई दान करे तो ‘ओं तूलपट्टिकायै नमः’ कहें ।
४. वस्त्र दान : चंदन मिश्रित पुष्पाक्षत लेकर अगले मंत्र को पढ़ते हुये तीन बार वस्त्रों पर छिड़के – ओं वस्त्राय नमः ॥३॥
अगले मंत्र से तीन बार ब्राह्मण या उत्तराग्र त्रिकुशा की पूजा करे – ओं ब्राह्मणाय नमः ॥३॥
ब्राह्मण पूजा करने के बाद तिल-जल लेकर अगले मंत्र से उत्सर्ग करे – ओं अद्य …… मासे, …….. पक्षे, …… तिथौ, ……. वासरे मकरार्कसंक्रमणप्रयुक्तपुण्यकाले ……… गोत्रस्य मम श्री ……… शर्मणः कार्पास वस्त्रतन्तु समसंख्यकवर्ष सहस्रावच्छिन्न विष्णुलोकवास कामनया अमुं कार्पासिकं वस्त्रं विष्णुदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणायाऽहं ददे ।
तत्पश्चात प्रणाम करके अगला मंत्र पढ़े –
ओं शरण्यं सर्वलोकानां लज्जाया रक्षणं परम् । देहालङ्करणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ मे ॥
फिर तिल, जल, दक्षिणा लेकर यह मंत्र पढ़े – ओमद्य कृतैतत वस्त्रदान प्रतिष्ठार्थमेतावद्रव्य मूल्य हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ॥
यदि ‘रेशमी वस्त्र’ दान करे तो ‘ओं कौशेयवस्त्राय नमः’ उच्चारण करे ।
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