राम भजन हिंदी में लिखित

राम जी के भजन

यह भजन सामग्री भक्ति भावना से भरपूर है। पहले भाग में संतों की दुर्दशा और सज्जनों की पीड़ा का चित्रण है, और ईश्वर से उनके संरक्षण की प्रार्थना है।

दूसरे भाग में आत्म-चिंतन और आनंद का जीवन में महत्व बताया गया है। तीसरे भाग में कृपा, प्रतिज्ञा और अहंकार के त्याग की बात की गयी है।

इसमें ३ भजन जो फिल्मी गीत की तर्ज पर है दिया गया है :

  1. स्वर :~ दिल में फिर आज तेरी याद
  2. स्वर :~ हुजूर आते आते बहुत देर
  3. स्वर :~ तेरी वेवफाई का शिकवा
राम जी का भजन

राम कौन हैं ?

  • जो कण-कण में रमण करता है अर्थात व्याप्त हो वह राम है।
  • कण-कण में ब्रह्म (परमात्मा) रमण करता है अर्थात व्याप्त है।
  • कण-कण में रमण करने वाला राम ब्रह्म है जो निर्गुण-निराकार है।
  • निर्गुण ब्रह्म का सगुन-साकार रूप साकेत धाम में विराजमान होता है।
  • एक राम जमदग्नि पुत्र रूप में परशुराम नाम से प्रसिद्ध हैं।
  • दूसरे राम दशरथ नंदन अयोध्यापति हैं।
  • तीसरे राम वासुदेव नंदन कृष्ण के अग्रज बलराम हैं।
  • तीनों राम को भगवान विष्णु का अवतार बताया गया है।
  • अवतार का तात्पर्य जन्म से भिन्न होता है जिसे प्रकट होना कहते हैं।
  • अर्थात तीनों राम जन्म लेने वाले सामान्य मनुष्य नहीं हैं, प्रकट होने वाले परमात्मा हैं।
  • तीनों अवतारों में क्रमशः कलाओं की वृद्धि हुई है।
  • कल्पभेद से दशरथनंदन राम साकेतवासी राम बताये गए हैं।
राम कौन हैं ?
राम कौन हैं ?

राम भजन हिंदी में लिखित

  • यहां जो भजन दिये गये हैं उसका कॉपीराइट अधिकार लेखक के पास सुरक्षित है।
  • इसलिये इन भजनों का किसी प्रकार से व्यावसायिक लाभ के लिए प्रयोग न करें।
  • आत्मकल्याण हेतु, प्रभुराम की कृपाप्राप्ति हेतु कोई भी इन भजनों को गा सकते हैं, यूट्यब पर वीडियो डाल सकते हैं, किन्तु विज्ञापन रहित और कर्मकाण्ड विधि से लिया गया है ऐसी घोषणा के साथ।
  • अपनी वेबसाइट पर भी इन भजनों को प्रकाशित कर सकते हैं किन्तु कर्मकाण्ड विधि का वर्णन करते हुये लिंक समाहित करना अनिवार्य होगा।

स्वर :~ दिल में फिर आज तेरी याद

जय हो सियाराम लखन वीर बजरंगबली।
अयोध्या जी धाम श्रीसरयू पावन हो जयी ।
चारों भैयन चारों दुल्हन जय जयकार तेरी ।
संत चरणन में नमन है बारम्बार मेरी ।
जय हो सियाराम….

आज तो लाखों हैं रावण मगर तुम हो कहां ।
आज तो पिटने लगे संत भी अब तो हैं यहां ।
आज तो सज्जन दुःखी दुर्जन सुखी होते यहां ।
आज तो जलती है रामायण मगर तुम हो कहां।
जय हो सियाराम ….

कैसे घुटघुट के जियें भक्त तेरे हे भगवन्।
सुन लो विनती नहीं विकल्प है कोई भगवन्।
रक्षा का भार लिया है जो निभाओ भगवन्।
जा रही लाज बचाने को कुछ करो भगवन् ।
जय हो सियाराम …

स्वर :~ हुजूर आते आते बहुत देर

किये जो करम थे भोगो उसे तुम, समझते समझते बहुत देर कर दी।
पछाड़ है खाया आखिर में मन तू, समझते समझते बहुत देर कर दी।।
मिला था आनंद तुझको बहुत ही निराला, किये थे कुकर्म जिनसे पड़ा अब है पाला ।
था करना तुझको जो पुण्य कर्म तूने, वही करते करते बहुत देर कर दी। किये जो करम थे …..

कृपासिंधु की पूजा कभी भी नहीं की, तीर्थ जप ध्यान व्रत दान मान नहीं की ।
अब कुछ न होगा भजना तभी था, हरि भजते भजते बहुत देर कर दी।
किये जो करम थे …..

मिला था जो तुझको देह मानव का, कृपा से प्रभु की जो अति दुर्लभ था।
विचार करने की बारी तेरी तभी थी, चिंतन करते करते बहुत देर कर दी।
किये जो करम थे ….

स्वर :~ तेरी वेवफाई का शिकवा

अकारण कृपा करना छोड़ दोगे!, किस मुख आकर फिर तुम मिलोगे ।

दया की जो लत है भुला यदि दोगे, कहो कौन सा मुंह दिखाते फिरोगे ।।
गाता जहां है, विराजित वहीं हूं, किसने कहा है? ये किसने सुना है?
सुनाउं तुझे ऐसा ज्ञान नहीं है, आगे तेरे तेरी आन पड़ी है।
अकारण कृपा ……

वचन जो दिया था, क्यूं सोचा नहीं था, तेरा न सही पर समय मेरा कम है ।
मुझे क्या पड़ी है क्या जाएगा मेरा, जो जानी तो जाएगा मान तुम्हारा ।।
अकारण कृपा …

राम भजन - स्वर :~ तेरी वेवफाई का शिकवा
राम भजन – स्वर :~ तेरी वेवफाई का शिकवा

श्री राम के अयोध्या आगमन पर हनुमान नाच और और भक्त गा रहे हैं – राम हमारे अयोध्या पधारे, नाच रहे हनुमान। जय श्री राम (अयोध्या पुरी में विराजमान श्री राम लला को उनकी प्राणप्रतिष्ठा पर समर्पित भजन)

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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