गणितीय क्रिया –
- तिथि को 2 से गुना करें।
- लब्धि में 5 जोड़ें।
- पुनः जो प्राप्त हो उसमें 7 से भाग दें।
- भाग देने पर जो शेष बचे उसके अनुसार शिववास होगा। (0 शेष का अर्थ 7 शेष होता है)
गणितीय क्रिया उदहारण :
गणितीय क्रिया को उदाहरण पूर्वक समझेंगे और इसके लिये हम मध्य तिथि अष्टमी लेंगे साथ ही दोनों पक्षों की गणना को भी करके देखेंगे।
शुक्लपक्ष अष्टमी = 8 (तिथिसंख्या) | कृष्णपक्ष अष्टमी = 23 (तिथिसंख्या) |
चरण 1. – तिथि को 2 से गुणा करना : 8 × 2 = 16 चरण 2. – लब्धि में 5 जोड़ना : 16 + 5 = 21 चरण 3. – प्राप्त योग में 7 से भाग देना : 21 ÷ 7 = 0 शेष । चरण 4. – “शून्य (0) शेष का अर्थ 7” शेष होता है और तदनुसार श्मशान में शिववास होगा। | चरण 1. – तिथि को 2 से गुणा करना : 23 × 2 = 46 चरण 2. – लब्धि में 5 जोड़ना : 46 + 5 = 51 चरण 3. – प्राप्त योग में 7 से भाग देना : 51÷ 7 = 2 । चरण 4. – यहां शेष 2 ज्ञात हुआ और तदनुसार शिववास गौरी सांनिध्य होगा। |
विभिन्न शेषों के अनुसार शिववास इस प्रकार निर्धारित किया जाता है –
एकेन वासः कैलासे द्वितीये गौरीसंन्निधौ ।
तृतीये वृषभारूढः सभायां च चतुष्टये ॥
पंञ्चमे भोजने चैव क्रीडायां षण्मिते तथा ।
श्मशाने सप्तशेषे च शिववास इतीरितः ॥
- 1 शेष बचे तो कैलास पर।
- 2 शेष बचे तो गौरी के साथ।
- 3 शेष बचे तो वृषारूढ़ अर्थात बसहे पर सवार।
- 4 शेष बचे तो सभा में।
- 5 शेष बचे तो भोजन की अवस्था।
- 6 शेष बचे तो क्रीड़ा रत।
- 7 शेष बचे तो श्मशानवासी।
शिववास का फल इस प्रकार बताया गया है :
कैलासे लभते सौख्यं गौर्यां च सुख सम्पदः ।
वृषभेऽभीष्टसिद्धिः स्यात सभासंतापकारिणी ॥
भोजने च भवेत् पीडा क्रीडायां कष्टमेव च ।
श्मशाने मरणं ज्ञेयं फलमेवं विचारयेत ॥
श्लोक के अनुसार शिववास का फल इस प्रकार होता है :
- कैलाश में हों तो सुख प्राप्ति।
- गौरी के साथ हों तो सुख और सम्पदा दोनों की प्राप्ति।
- वृषारूढ़ हों तो अभीष्ट की सिद्धि अर्थात मनोवांछित फल की प्राप्ति।
- सभा में रहने पर संतापकारी।
- भोजन वेला में पीड़ादायक।
- क्रीड़ारत रहें तो कष्टकारी।
- श्मशानवास होने पर मृत्यु कारक।
Shiv kalp ka samay hota hai
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