सभी विद्यार्थी विपुल विद्या प्राप्त करना चाहते हैं एवं सामान्य जन भी ज्ञान प्राप्ति करना चाहते हैं। यदि वाणी में दोष हो तो उसका निवारण करना चाहते हैं। लोगों को प्रभावित करने वाली वाचाशक्ति प्राप्त करना चाहते हैं। इसके लिये माता सरस्वती का एक विशेष स्तोत्र है जिसका प्रतिदिन पाठ करना चाहिये। विद्यार्थियों के लिये विद्या प्राप्ति हेतु एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है सिद्ध सरस्वती स्तोत्र। सिद्ध सरस्वती स्तोत्र श्री सनत्कुमान संहिता में वर्णित है। इस आलेख में विनियोगादि सहित सिद्ध सरस्वती स्तोत्र दिया गया है।
भक्तिभाव से जो मनुष्य (विद्यार्थी) प्रतिदिन उषाकाल में सिद्ध सरस्वती स्तोत्र का पाठ करता है उसे वाणी का वैभव प्राप्त होता है, वाक्पटु और मुक्तकंठ हो जाता है।
- भगवती सरस्वती पुत्र की तरह उसकी देखभाल करती हैं।
- संसार में उसके सौभाग्य का उदय हो जाता है।
- उसकी कविता और रचनायें के लिये बाधायें समाप्त हो जाती है।
- माता सरस्वती की कृपा से विद्याप्राप्ति में होने वाली बाधायें समाप्त हो जाती है।
- उसने जो नहीं सुना-पढ़ा हो उन ग्रंथों का भी ज्ञान उसे प्राप्त हो जाता है।
- सरस्वती उसकी जिह्वा में वास करती है।
- साथ ही वह दीर्घायु, लोकपूज्य, सर्वमान्य, गुणों की खान, राजसम्मानित और विद्वद्सभा में विजयी होता है।
- दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को २१ बार पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।
उषाकाल कब होता है ?
सूर्योदय से दो घंटे पहले से आरम्भ होकर अगले 24 मिनट तक का समय उषाकाल होता है। साथ ही जो pdf डाउनलोड करना चाहते हैं उनके लिये सिद्ध सरस्वती स्तोत्र pdf डाउनलोड करने का भी विकल्प उपलब्ध है।