सिद्धिविनायक पूजा विधि और मंत्र – siddhivinayak puja

सिद्धिविनायक पूजा विधि और मंत्र – siddhivinayak puja

भगवान विनायक को प्रथम पूज्य हैं, साथ ही विघ्नराज, सिद्धिपति आदि अनेक नामों से भी जाने जाते हैं। विघ्नराज होने का तात्पर्य है कि यदि गणपति अप्रसन्न रहें तो विघ्न-ही-विघ्न उपस्थित होते रहते हैं और सिद्धिपति होने के कारण यदि गणपति प्रसन्न हों तो सभी प्रकार की सिद्धियां सुलभ हो जाती है, विघ्नों का निवारण हो जाता है। भगवान गणपति को प्रसन्न करने के लिये एक विशेष शांति विधि भी जिसे विनायक शांति कहते हैं। इसके साथ भी भगवान गणपति को विशेष प्रसन्न करने वाला एक विशेष व्रत-पूजा भी है जिसका नाम है सिद्धिविनायक पूजा।

सिद्धिविनायक पूजा विधि और मंत्र – siddhivinayak puja

भाद्र शुक्ल चतुर्थी को गणपति का प्राकट्य हुआ था इसलिये इस दिन गणेशोत्सव भी मनाया जाता है और विशेष विधि से पूजा की जाती है। भाद्र शुक्ल चतुर्थी को सिद्धिविनायक की पूजा की जाती है। पूजा के लिये मध्याह्नकाल को प्रशस्त बताया गया है। यह तिथि वर्ष में एक बार ही उपलब्ध होती है किन्तु यदि भक्तिभाव हो तो अन्य दिनों में भी सिद्धिविनायक की पूजा की जा सकती है। यदि कार्यसिद्धि में अनेकानेक विघ्न उत्पन्न होते हों तो सिद्धिविनायक की पूजा करनी चाहिये। सिद्धिविनायक पूजा का माहात्म्य कथा में वर्णित है। सिद्धि विनायक की पूजा की विशेष विधि है जो आगे दी गयी है।

सिद्धिविनायक पूजा के लिये यद्यपि भाद्रशुक्ल चतुर्थी के अतिरिक्त भी जब कभी भक्ति जगे करने की आज्ञा दी गयी है तथापि चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है। अतः यदि विघ्नों द्वारा समस्याग्रस्त हो, कार्य में सिद्धि प्राप्त न होती हो तो किसी भी माह के चतुर्थी तिथि को सिद्धिविनायक की पूजा करके कथा श्रवण करनी चाहिये।

सिद्धिविनायक पूजा के लिये मध्याह्नव्यापिनी तिथि को ग्राह्य कहा गया है और सिद्धिविनायक की पूजा मध्याह्न में ही की जाती है। तथापि तृतीया युक्त चतुर्थी को प्रशस्त कहा गया है एवं पंचमी युक्त चतुर्थी को प्रशस्त नहीं माना गया है। इसका विचार तब किया जाना चाहिये जब दोनों दिन मध्याह्नव्यापिनी चतुर्थी हो अथवा दोनों में से किसी भी दिन मध्याह्नव्यापिनी न हो।

पूजा की तैयारी

सिद्धि विनायक की पूजा करने के लिये विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है अतः सावधानी पूर्वक विशेष सामग्रियों का संग्रह करे। सामग्रियों के विषय में अतिरिक्त जानकारी नहीं दी गयी है तथापि पूजा सामग्री पूजा विधि से ज्ञात हो जायेगी। सिद्धिविनायक की पूजा के लिये मृण्मयी प्रतिमा की भी आवश्यकता होती है, जो लोग धातु या अन्य प्रतिमा रखते हैं वो उन प्रतिमाओं में भी पूजा कर सकते हैं।

  • पूजा के दिन सर्वप्रथम नित्यकर्म कर लेना चाहिये। नित्यकर्म का तात्पर्य संध्या-तर्पण-षड्देवता पूजन आदि होता है।
  • नित्यकर्म संपन्न करने के बाद पूजास्थान पर आकर अन्य सभी व्यवस्थायें कर ले यथा मिट्टी, पात्र, आसन, जल, चंदन, नाना पुष्प, नाना पत्र, नैवेद्य, मोदक आदि।

पवित्रिकरणादि (पवित्रीकरण, दिग्रक्षण, स्वस्तिवाचन) करके यदि षड्देवता (पंचदेवता व विष्णु) पूजन न किया हो तो कर ले। धूप-दीप आदि जलाकर त्रिकुशा-तिल-जलादि संकल्प द्रव्य लेकर संकल्प करे :

संकल्प : ॐ अद्य भाद्रे मासे शुक्ले पक्षे चतुर्थान्तिथौ ………. गोत्रस्य ……….. शर्मणः श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलसम फल प्राप्तिपूर्वक श्री सिद्धिविनायकप्रीत्यर्थं साङ्ग सायुध सवाहन सपरिवार श्रीसिद्धिविनायकपूजनं तत्कथाश्रवणं चाहं करिष्ये ॥

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फिर सूर्यादि नवग्रह और दशदिक्पाल की पञ्चोपचार पूजा कर ले। फिर भगवान गणेश की सुंदर प्रतिमा बनाये, यदि पूर्व निर्मित हो या क्रय की हो तो रजतादि पात्र में चंदनादि से अष्टदल बनाकर उसपर प्रतिमा को स्थापित करे। तत्पश्चात अक्षत-पुष्प-दूर्वा लेकर प्राणप्रतिष्ठा करे :

प्राणप्रतिष्ठा : ॐ आगच्छ गजस्कन्ध गजवक्त्र चतुर्भुज । यावद् व्रतं समाप्येत तावत्त्वं सन्निधो भव ॥
ॐ आवाहयामि विघ्नेश सुरराजार्चितेश्वर । अनाथनाथ सर्वज्ञ पूजार्थं गणनायक ॥
ॐ मनो जूतिर्ज्जुषतामाज्ज्यस्य बृहस्पतिर्य्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं य्यज्ञᳪ समिमं दधातु। विश्वे देवासऽइह मादयन्तामों३ प्रतिष्ठ ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः सांग सायुध सवाहन सपरिवार श्रीसिद्धिविनायक इहागच्छ इह तिष्ठ इह सुप्रतिष्ठितो भव ॥

ध्यान : ॐ एकदन्तं शूर्पकर्ण गजवक्त्रं चतुर्भुजम् । पाशांकुशधरं देवं ध्यायेत् सिद्धिविनायकम् ॥

आसन : ॐ विचित्ररत्नरचितं दिव्यास्तरणसंयुतम् । स्वर्णसिंहासनं चारु गृहाण सुरपूजित ॥ इदमासनं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुध-सवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

पाद्य : ॐ सर्वतीर्थसमुद्भूतं पाद्यं गङ्गादिसंयुतम् । विघ्नराज गुहाणेदं भगवन् भक्तवत्सल ॥ इदं पाद्यं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुध-सवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

अर्घ्य : ॐ अर्घ्यं च फलसंयुक्तं गन्धपुष्पाक्षतैर्युतम् । गणाध्यक्ष नमस्तेऽस्तु गृहाण करुणानिधे ॥ इदमर्घ्यं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

मधुपर्क : ॐ दध्याज्यमधुसंयुक्तं मधुपर्कं मया हृतम् । गृहाण सर्वलोकेश गणनाथ नमोऽस्तु ते ॥ इदं मधुपर्कं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

आचमन : ॐ विनायक नमस्तुभ्यं त्रिदशेरभिवन्दित । गङ्गोदकेन शीतेन सुखमाचमनं कुरु ॥ इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

पञ्चामृत : ॐ पयो दधि घृतं चैव मधुशर्करया युतम् । पञ्चामृतेन स्नपनात् प्रीयतां गणनायकः ॥ इदं पञ्चामृतस्नानीयं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

शुद्धोदक : ॐ गङ्गादिसर्वतीर्थेभ्य आनीतं तोयमुत्तमम् । भक्त्या सपितं तुभ्यं स्नानाय प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं शुद्धोदकस्नानीयं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥ इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

वस्त्र : ॐ रक्तवस्त्रमिदं देव देवाङ्गसदृश प्रभो । सर्वप्रदं गृहाण त्वं लम्बोदर हरात्मज ॥ इदं रक्तत्वस्त्रं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥ इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

यज्ञोपवीत : ॐ राजतं ब्रह्मसूत्रं च काञ्चनं चोत्तरीयकम् । गृहाण चारु सर्वज्ञ भक्तानां वरदायक ॥ इमे यज्ञोपवीते ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥ इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

चंदन : ॐ कस्तूरी चन्दनं चैव कुंकुमेन समन्वितम् । विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं श्रीखण्डचन्दनं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

सिंदूर : ॐ उद्य‌द्भास्करसंकाशं सन्ध्यावदरुणं प्रभो । शृङ्गारकरणं दिव्यं सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं सिन्दूरं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

रक्ताक्षत : ॐ रक्ताक्षताश्च देवेश गृहाण द्विरदानन । ललाटपटले चन्द्रस्तस्योपर्युपधार्यताम् ॥ इदं रक्ताक्षतं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

आभूषण : ॐ नानाविधानि दिव्यानि नानारत्नोज्ज्वलानि च । भूषणानि गृहाणेश पार्वतीप्रियनन्दन ॥ इदं भूषणार्थ द्रव्यं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

पुष्प : ॐ करवीरैर्जातिपुष्पैश्चम्पकैर्बकुलेः शुभैः शतपत्रैश्च कह्लारैः पूजयामि विनायकम् । सुगन्धीनि च पुष्पाणि जातीकुन्दसुखानि च । त्रिविधानि च पत्राणि गृहाण गणनायक ॥ एतानि पुष्पाणि ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥ इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

अङ्गपूजा : पुष्पाक्षत-दूर्व-चंदन से अग्रांकित नाममंत्रों द्वारा अंगपूजा करे –

  1. ॐ गणेशाय नमः, पादौ पूजयामि ॥
  2. ॐ विघ्नराजाय नमः, जानुनी पूजयामि ॥
  3. ॐ आखुवाहनाय नमः ऊरू पूजयामि ॥
  4. ॐ हेरम्बाय नमः, कटिं पूजयामि ॥
  5. ॐ कामारिसूनवे नमः, नाभिं पूजयामि ॥
  6. ॐ लम्बोदराय नमः, उदरं पूजयामि ॥
  7. ॐ गौरीसुताय नमः, स्तनौ पूजयामि ॥
  8. ॐ गणनायकाय नमः, हृदयं पूजयामि ॥
  9. ॐ स्कूलकण्ठाय नमः, कण्ठं पूजयामि ॥
  10. ॐ स्कन्धाग्रजाय नमः स्कन्धौ पूजयामि ॥
  11. ॐ पाशहस्ताय नमः, हस्तान् पूजयामि ॥
  12. ॐ गजवक्त्राय नमः, वक्त्रं पूजयामि ॥
  13. ॐ विघ्नराजाय नमः नेत्रे पूजयामि ॥
  14. ॐ विघ्नहर्त्रे नमः, ललाटं पूजयामि ॥
  15. ॐ सर्वेश्वराय नमः, शिरः पूजयामि ॥
  16. ॐ गणाधिपाय नमः, इति सर्वाङ्गं पूजयामि ॥

पत्रार्चन : विभिन्न पत्रों जिनके नाम दिये गये हैं से पूजन करे। जो पत्र अनुपलब्ध हो उसके लिये दूर्वा अर्पित करे – २१ (इक्कीस) पत्रों से पूजा : 

  1. ॐ सुमुखाय नमः, मालतीपत्रं समर्पयामि ॥ – मालती पत्र
  2. ॐ गणाधिपाय नमः, भृङ्गराजपत्रम् समर्पयामि ॥ – भृङ्गराज पत्र
  3. ॐ उमापुत्राय नमः बिल्वपत्रम् समर्पयामि ॥ – बिल्व पत्र
  4. ॐ गजाननाय नमः, श्वेतदूर्वापत्रम् समर्पयामि ॥ – श्वेतदूर्वा पत्र
  5. ॐ लम्बोदराय नमः, बदरीपत्रम् समर्पयामि ॥ – बैर का पत्र
  6. ॐ हरसूनवे नमः, धत्तूरपत्रं समर्पयामि ॥ – धत्तूरे का पत्र
  7. ॐ गजकर्णाय नमः, तुलसीपत्रं समर्पयामि ॥ – तुलसी पत्र
  8. ॐ वक्रतुण्डाय नमः, शमीपत्रम् समर्पयामि ॥ – शमी पत्र
  9. ॐ गुहाग्रजाय नमः, अपामार्गपत्रम् समर्पयामि ॥ – चिड़चिड़ी पत्र
  10. ॐ एकदन्ताय नमः बृहतीपत्रम् समर्पयामि ॥ – कंटकारी/भटकटैया पत्र
  11. ॐ विकटाय नमः, करवीरपत्रम् समर्पयामि ॥ – कनेर पत्र
  12. ॐ विनायकाय नमः, अश्मन्तकपत्रम् समर्पयामि ॥ – पत्थरचूर पत्र
  13. ॐ कपिलाय नमः, अर्कपत्रम् समर्पयामि ॥ – अर्क पत्र
  14. ॐ गजदन्ताय नमः, अर्जुनपत्रम् समर्पयामि ॥ – अर्जुन पत्र
  15. ॐ विघ्नराजाय नमः, विष्णुक्रान्तपत्रम् समर्पयामि ॥ – विष्णुक्रान्ता पत्र
  16. ॐ बटवे नमः, दाडिमीपत्रम् समर्पयामि ॥ – अनार पत्र
  17. ॐ सुराग्रजाय नमः, देवदारुपत्रम् समर्पयामि ॥ – देवदारु पत्र
  18. ॐ भालचन्द्राय नमः, मरुवकपत्रम् समर्पयामि ॥ – मरुआ का पत्ता
  19. ॐ हेरम्बाय नमः, सिन्दुवारपत्रं समर्पयामि ॥ – निर्गुन्डी का पत्ता
  20. ॐ चतुर्भुजाय नमः जातीपत्रम् समर्पयामि ॥ – जाती पत्र
  21. ॐ सर्वेश्वराय नमः, अगस्तिपत्रम् समर्पयामि ॥ – अगस्त पत्र

धूप : ॐ दशाङ्गं गुग्गुलुं धूपं सुगन्धं च मनोहरम् । गृहाण सर्वदेवेश उमासुत नमोऽस्तु ते ॥ एष धूपः ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

दीप : ॐ सर्वत्र सर्वलोकेश त्रैलोक्यतिमिरापह । गृहाण मङ्गलं दीपं रुद्रप्रिय नमोऽस्तु ते ॥ एष दीपः ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥  

२१ मोदक का नैवेद्य : ॐ शालितण्डुलचूर्णोत्थान् सगुडान् घृतपाचितान् । मोदकान् दद्मि नैवेद्यम् नमस्ते विघ्ननाशिने ॥ नैवेद्यम् गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरु । ईप्सितं च वरं देहि परत्र च परां गतिम् ॥ इत्येकविंशतिमोदकनैवेद्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

आचमन : इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

करोद्वर्तन : ॐ मलयाचलसम्भूतं कर्पूरेण समन्वितम् । करोद्वर्तनकं चारु गृह्यतां जगतीपते ॥ इदं करोद्वर्तनं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

फल : ॐ बीजपूराम्रपनसखर्जूरीकदलीफलम् । नारिकेलफलं दिव्यं गृहाण गणनायक ॥ एतानि नानाफलानि ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

ताम्बूल : ॐ पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम् । कर्पूरैलासमायुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं ताम्बूलं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

छत्र-चामर-पादुका-दर्पणादिकं (नाममात्र) – ॐ गणाधिप नमस्तेऽस्तु उमापुत्राधनाशन । एकदन्तेभवक्त्रेति तथा मूषकवाहन॥ विनायकेशपुत्रेति सर्वसिद्धिप्रदायक । कुमारगुरवे तुभ्यमिमां दूर्वा निवेदये ॥ इति दूर्वाङ्करं ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुध- सवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

नीराजन : ॐ चन्द्रादित्यौ च धरणी विद्य दग्निस्तथैव च । त्वमेव सर्वज्योतींषि आर्यातः प्रतिगृह्यताम् ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

प्रदक्षिणा : ॐ विघ्नेश्वर विशालाक्ष सर्वाभीष्टफलप्रद । प्रदक्षिणां करोमि त्वां सर्वान् कामान् प्रयच्छ मे ॥

प्रणाम : ॐ गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम् । उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम् ॥ नमस्ते विघ्नसंहत्रे नमस्तेऽभीप्सितप्रद । नमस्ते देवदेवेश नमस्ते गणनायक ॥

पुष्पाञ्जलि : ॐ विनायकेशतनय गजराज सुरोत्तम । देहि मे सकलान् कामान् सर्वसिद्धिप्रदायक ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः सांगसायुधसवाहनसपरिवार श्रीसिद्धिविनायकाय नमः ॥

प्रणाम तत्पश्चात सिद्धिविनायक कथा श्रवण करे। कथा अलग आलेख में दी गयी है जिसका लिंक यहां दिये गये चित्र के साथ संलग्न किया गया है। सिद्धिविनायक व्रत कथा

हवन यदि करना चाहे तो करने में कोई निषेध नहीं है तथापि हवन अनिवार्य भी नहीं है। हवन यदि सविधि कर सके तो करे अन्यथा न करे। सिद्धिविनायक कथा श्रवण करने के बाद पुनः आरती करके विसर्जन करे।

अथ विसर्जनम्

प्रार्थना : ॐ विनायक गणेशान सर्वदेवनमस्कृत । पार्वतीप्रिय विघ्नेश मम विघ्नान्निवारय ॥
यन्मया चरितं देव व्रतमेतत् सुदुर्लभम् । त्वत्प्रसादाद् गणेश त्वं सफलं कुरु सर्वदा ।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् । पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥

विसर्जन : व्रतं कृतं मया देव यत्तेऽद्य विधिवन्मया । व्रजेदानीं गणेशस्त्वं स्वस्थानं वे यदृच्छया ॥
ॐ यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम् । इष्टकामप्रसिद्धयर्थं पुनरागमनाय च ॥
ॐ पूजितदेवताः पूजिताः स्थ क्षमध्वम् स्वस्थानं गच्छत ॥
ॐ साङ्गसायुधसबाहनसपरिवार श्रीगणेश पूजितोऽसि प्रसीद क्षमस्य स्वस्थानं गच्छ ॥

दक्षिणा : त्रिकुशा-तिल-जल-दक्षिणाद्रव्य लेकर दक्षिणा करे – ॐ अद्य कृतैतत् साङ्गसायुधसवाहनसपरिवार श्री सिद्धविनायक गणेश पूजनंतत्कथा श्रवणकर्म प्रतिष्ठार्थम् एतावद्रव्यमूल्यक हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ॥

॥ इति सिद्धविनायकव्रतपूजा ॥

तत्पश्चात ब्राह्मण भोजन कराकर स्वयं भी भोजन करे ।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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