देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

दक्षिण वेदी स्नपन :

दक्षिण वेदी के पीछे स्थापित शेष ११ कलशों से क्रमशः स्नान कराये :

प्रथम पंक्ति कलश अभिषेक मंत्र (दक्षिण वेदी) :

  1. ॐ अग्निर्मूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या अयम् । अपाᳪ रेताᳪ सि जिन्वति ॥ – मृत्तिका (प्रथम कलश)
  2. ॐ यज्ञा यज्ञा वो अग्नये गिरा गिरा च दक्षसे । प्र प्र वयममृतं जातवेदसम्प्रियम्मित्रन्न श ᳪ सिषम् ॥ – कषायोदक (द्वितीय कलश)
  3. ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं …..… ॥ – गोमूत्र (तृतीय कलश)
  4. ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्।ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥ – गोमय (चतुर्थ कलश)
  5. ॐ मानस्तोके तनयेमानऽआयुषिमानो गोषुमानोऽअश्वेषुरीरिष: । मानो विरान्रुद्रभामिनो वधीर्हष्मन्तः सदमित्वा हवामहे ॥ – भस्मोदक (पञ्चम कलश)
  6. ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं ……. ॥ – गंधोदक (षष्ठ कलश)
देवस्नपन विधि - प्राण प्रतिष्ठा
देवस्नपन विधि

द्वितीय पंक्ति के शेष ५ गंधोदक से स्नान कराये (स्थापति संज्ञक कलश से पूर्व ही स्नपन होने के कारण द्वितीय पंक्ति में शेष ५ कलश ही बचेंगे) :

  1. ॐनमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शङ्कराय च मयस्क्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ॥ – प्रथम कलश
  2. ॐ ह ᳪ सः शुचिषद्वसुरन्तरिक्षसद्धोता वेदिषदतिथिर्दुरोणसत् । नृषद्वरसदृतसद्व्योमसदब्जा गोजाऽऋतजाऽअद्रिजा ऽऋतम्बृहत् ॥ – द्वितीय कलश
  3. ॐ या ते रुद्द्र शिवा तनूरघोराऽपापकाशिनी । तयानस्तन्न्वाशन्तमया गिरिशन्ताभिचाकशीहि ॥ – तृतीय कलश
  4. ॐ विष्णोरराटमसि विष्णोः श्नप्त्रेस्त्थो विष्णोः स्यूरसि विष्णोर्ध्र्रुवोसि वैष्णवमसि विष्णवे त्वा ॥ – चतुर्थ कलश
  5. ॐ ब्रह्म यज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमतः सुरुचो वेनऽआवः। सबुध्न्या उपमाऽअस्य विष्ठाः सतश्च योनिमसश्च विवः ॥ – पंचम कलश

देवता पूजा : ॐ शतंबो ऽअम्बधामनि सहस्रमुतवारुहः। अधाशत क्रतवो यूयम्मिम्मे ऽअगदङ्कृत ॥ – दूर्वाक्षतपुष्पादि से देवता की पूजा करे।
वस्त्राच्छादन : ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्मवरूथमासदत्स्वः। वासोऽग्ने विश्वरूप ᳪ संव्ययस्व विभावसो ॥ – महीन वस्त्र से आच्छादित करे।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply