लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजियउ तेहु॥

लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजियउ तेहु॥

लखि सुबेष जग बंचक जेऊ। बेष प्रताप पूजियउ तेहु॥ : जनभावना और भारतीय परंपरा या व्यवहार यही है कि गांवों के लोग आज भी “न जाने किस वेश में नारायण मिल जाय” में विश्वास रखते हैं भले ही कितने ही पाखंडियों ने ठगा क्यों न हो।

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भक्ति की शक्ति भाग २

भक्ति की शक्ति भाग 2

भक्ति की शक्ति का वर्णन यदि भगवान भी करना चाहें तो बड़ी विकट स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। भगवान स्वयं भी स्वयं का पूर्ण वर्णन नहीं कर सकते हैं और जैसे भगवान स्वयं का वर्णन नहीं कर सकते वैसे ही भक्ति की महिमा या शक्ति का वर्णन भी नहीं कर सकते।

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भक्ति मार्ग की प्राचीनता

भक्ति मार्ग की प्राचीनता

भक्ति मार्ग की प्राचीनता : भारत की संस्कृति और सनातन का इतिहास पुस्तकों में ही नहीं नदियों और पहाड़ों में भी लिखी हुयी है किन्तु यदि उसे झुठलाने का ही दुराग्रह लेकर इतिहास लिखा जाये तो ये षड्यंत्र के अतिरिक्त और कुछ नहीं माना जा सकता। आधुनिक भारतीय इतिहास को संवत से क्यों नहीं व्यक्त किया जा सकता ?

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