आदित्य हृदय स्तोत्र संस्कृत - 2 aditya hriday stotra

आदित्य हृदय स्तोत्र संस्कृत – 3 aditya hriday stotra

आदित्य हृदय स्तोत्र संस्कृत – 2 aditya hriday stotra : सर्वप्रथम निरोगकारी आदित्यहृदय स्तोत्र पद्मपुराणोक्त दिया गया है तत्पश्चात भविष्योत्तरपुराणोक्त आदित्यहृदय स्तोत्र दिया गया है और लंका पर विजय प्राप्त करने के लिये भगवान श्रीराम ने जिस आदित्य हृदय स्तोत्र से भगवान सूर्य की उपासना किया था वह वाल्मीकि रामायण में वर्णित है और वह भी दिया गया है। सभी स्तोत्र संस्कृत में दिये गये हैं

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सूर्य कवच स्तोत्र - surya kavach stotra

सूर्य कवच स्तोत्र – surya kavach stotra

सूर्य कवच स्तोत्र – surya kavach stotra : भगवान सूर्य की अराधना-उपासना करनी हो, पूजा-यज्ञादि हो अथवा सूर्य ग्रह शांति, अशुभ फल निवारण, शुभ फल प्राप्ति आदि का विषय हो, सदा सूर्य कवच स्तोत्र के पाठ की भी आवश्यकता होती है। यहां भगवान सूर्य के 1 नहीं 4 कवच स्तोत्र दिये गये हैं जिनमें से आपको जिस कवच का पाठ करना हो उसका चयन कर सकते हैं।

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सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra

सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra

सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra : किसी को भी प्रसन्न करने के लिये स्तोत्र का विशेष महत्व बताया गया है। स्तोत्रों में देवताओं के 108 नाम अर्थात अष्टोत्तरशत नामों का भी विशेष होता है। यहां सूर्य का अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र (surya 108 naam stotra) दिया गया है।

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सूर्य ग्रह शांति – surya shanti

सूर्य ग्रह शांति | surya shanti

सूर्य ग्रह शांति – रत्नादि धारण का तात्पर्य निर्बल ग्रह को बलयुक्त करना। अर्थात रत्नादि धारण करने का तात्पर्य अनिष्टफलों का निवारण करना नहीं होता है, तथापि किञ्चित लाभ अवश्य प्राप्त होता है।

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