छठ पूजा के बाद कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष नवमी को अक्षय नवमी कहा जाता है। अक्षय नवमी को किया गया कर्म अक्षय फलदायी होता है चाहे वह पुण्य कर्म हो या पापकर्म। अक्षय का अर्थ होता है जिसका क्षय न हो अर्थात जो समाप्त न हो। इसलिए अक्षय नवमी को दान-पूजा आदि पुण्य कर्म किये जाते हैं और पाप कर्मों (झूठ बोलना, ठगना, चोरी, अभक्ष्य भक्षण, हिंसा इत्यादि) से बचा जाता है। – akshaya navami
अक्षय नवमी का महत्व
शास्त्र पुराणों में अक्षय नवमी का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। अक्षय नवमी करने वाला अक्षय पुण्य का भागी बनकर सुख का भाजन बनता है, उसे यम यातना नहीं मिलती अर्थात नरक नहीं जाना पड़ता है। अक्षय नवमी कथा में वर्णन मिलता है कि इसके प्रभाव से पापी धनञ्जय और कृष्ण का भी कल्याण हो गया और दोनों भाई भगवान विष्णु के प्रिय पार्षद पुण्यशील और सुशील बने।
अक्षय नवमी कब है – akshaya navami
अक्षय नवमी कब है 2024
2024 में अक्षय नवमी कब है इसे जानने के लिये दृक पञ्चाङ्गानुसार प्रथमतया तिथि मान को देखते हैं :
- कार्तिक शुक्ल नवमी आरंभ : 9 नवंबर 2024, शनिवार, रात्रि 10:45 बजे।
- कार्तिक शुक्ल नवमी समाप्त : 10 नवंबर 2024, रविवार, रात्रि 9:01 बजे।
द्रिक पञ्चाङ्गानुसार प्राप्त तिथ्यादि मान के आधार पर 2024 में अक्षय नवमी 10 नवंबर 2024, रविवार को है।
अक्षय नवमी को क्या करना चाहिए
- स्नान : अक्षय नवमी का पुण्य अक्षय होता है अतः तीर्थ स्नान, गंगा स्नान या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिये।
- पूजा : भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिये। नाना प्रकार के पक्वान्न, फल, मिष्टान्न आदि का भोग लगाना चाहिये।
- कूष्माण्ड दान : अक्षय नवमी को कूष्माण्ड दान का विशेष महत्व बताया गया है। कूष्माण्ड (कुम्हर/कोहरा) में स्वर्ण एवं रत्न गुप्त रूप से देकर दान देने की विधि शास्त्रों में बतायी गई है।
- अन्य दान : जहां तक सम्भव हो अक्षय नवमी को अन्न-वस्त्रादि का दान करना चाहिये।
- धात्री छाया में भोजन : अक्षय नवमी को धात्री (आंवला का वृक्ष) की छाया में भोजन करना चाहिये।
सारांश : अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस दिन किया गया कर्म अक्षय फलदायी होता है। अक्षय का अर्थ होता है – जो समाप्त नहीं होता। अक्षय नवमी के दिन स्नान-दान-पूजा, आदि पुण्य कर्म किये जाते हैं और पापकर्मों से बचा जाता है। शास्त्र-पुराणों के अनुसार इस दिन स्नान-पूजा-दान आदि करने से नरक से मुक्ति मिलती है एवं अक्षय सुख प्राप्त होता है। अक्षय नवमी को स्वर्ण-रत्न के गुप्तदान सहित कूष्माण्ड दान का विशेष महत्व होता है।
F&Q :
प्रश्न : अक्षय नवमी को क्या नहीं करना चाहिए ?
उत्तर : अक्षय नवमी को पापकर्म नहीं करना चाहिए।
प्रश्न : तो क्या अन्य दिनों पापकर्म करना चाहिए ?
उत्तर : अक्षय नवमी को पापकर्म नहीं करना चाहिए, इसका ये अर्थ नहीं है कि अन्य दिनों पापकर्म किया जा सकता है। तात्पर्य यह है कि पापी व्यक्ति भी अक्षय नवमी को पापकर्म नहीं करे।
प्रश्न : अक्षय नवमी को क्या-क्या करना चाहिए ?
उत्तर : अक्षय नवमी को को गंगा या अन्य पुण्यदायी नदियों/तीर्थों में स्नान, विष्णु भगवान की पूजा, दान, धात्री छाया में भोजन आदि करनी चाहिए।
प्रश्न : अक्षय नवमी का क्या महत्व है ?
उत्तर : अक्षय नवमी के प्रभाव से यम यातना नहीं भोगनी पड़ती है।
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