संपूर्ण कर्मकांड विधि

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कमजोर चंद्रमा के लक्षण और उपाय - आत्महत्या विषय के सन्दर्भ में

कमजोर चंद्रमा के लक्षण और उपाय – आत्महत्या विषय के सन्दर्भ में

चन्द्रमा मन का कारक होता है, मन के द्वारा सोच-विचार किया जाता है। विचारों की उत्पत्ति मन में होती है और आत्महत्या संबंधी विचार का जन्म भी मन में ही होता है; लेकिन इससे यह कैसे सिद्ध होता है कि चन्द्रमा आत्महत्या का भी कारक है? जितने भी शुभ-अशुभ विचार होते हैं सभी मन में…

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धर्मो रक्षति रक्षितः का अर्थ

धर्मो रक्षति रक्षितः – पूर्ण श्लोक अर्थ सहित

धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक क्या है ? धर्मो रक्षति रक्षितः श्लोक का अर्थ क्या है ? इस लेख में हम इस श्लोक के ऊपर विस्तृत चर्चा करेंगे। क्या आप धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक को जानते हैं ? यह श्लोक किस ग्रंथ का है ? धर्मो रक्षति रक्षितः का क्या अर्थ है ? हम यहाँ इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे। इसके संदर्भ को समझने का प्रयास करेंगे।

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आत्महत्या के कारण – आत्महत्या रोकथाम के उपाय

आत्महत्या के कारण – आत्महत्या रोकथाम के उपाय

आत्महत्या की मूल समस्या आत्मबल की कमी मानी जाती है। सूर्य के सबल होने से आत्मबल बढ़ता है। निराशावादी और असफलतापूर्ण व्यक्ति के आत्मबल में कमी होती है। इस मुद्दे को दूर करने के लिए आत्महत्या रोकथाम के प्रयासों पर चर्चा करनी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आत्मशक्ति को बढ़ाने, सूर्य उपासना, आशावादी सोच, और परिवारिक एकता को बढ़ाने, और सनातन विद्या को मान्यता देने के बारे में सुझाव दिए गए हैं। आत्महत्या को दूर करने का सफल रास्ता आत्मबल में वृद्धि करना है।

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आत्महत्या क्या है ? आत्महत्या के कारण - या मूल कारण क्या हैं ?

आत्महत्या क्या है ? आत्महत्या के कारण – या मूल कारण क्या हैं ?

ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य जीवन को स्वतंत्र रूप से समाप्त करना आत्महत्या है, जिस पर विचारणीय रूप से कम ही चर्चा होती है। इस लेख में, आत्महत्या का स्वरूप, इसके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई, और क्यों किसी को आत्महत्या का अधिकार नहीं होता है पर विचार किया गया है। आत्मायुक्त शरीर का सम्मान किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें ईश्वर का ही अंश विद्यमान होता है। आत्महत्या को अक्षम्य पाप माना जाता है और इसके प्रतीक आत्महत्या को रोकने का उपाय आत्मा से संबंधित जीवन को समझने और सूर्य की उपासना करने में निहित है।

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रविवार व्रत कब से शुरू करे

रविवार व्रत के नियम क्या-क्या हैं ?

रविवार व्रत के नियम : रविवार व्रत भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इसे वृश्चिक राशि में सूर्य के होने पर जो शुक्ल पक्ष होता है, उसमें शुरू किया जाता है और मेष राशि में सूर्य के होने पर शुक्ल पक्ष में समाप्त किया जाता है। इसे करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं जिससे आरोग्य लाभ होता है, नेत्र पीड़ा से मुक्ति मिलती है, हृदय रोग निवारित होते है और सरकारी नौकरी, पदोन्नति आदि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, दरिद्रता का नाश भी होता है। यदि व्रत का आरंभ और समापन सही समय पर नहीं किया जाता, तो इसके कुछ नकरात्मक परिणाम भी हो सकते हैं।

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देवोत्थान-एकादशी-पूजा-विधि-एवं-मंत्र

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र – Dev uthani ekadashi mantra

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र – Dev uthani ekadashi mantra : पहले पूजा की तैयारी कर लें। चौक पूरकर (रंगोली सजाकर) एक चौकी या पीढिया पर चारों कोने में दीप जलाकर बीच में ताम्रपात्र में शालिग्राम (अथवा विष्णु प्रतिमा हो या पान पर सुपारी और तिलपुंज बनाकर) स्थापित करें।

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एकादशी व्रत कथा

एकादशी व्रत कथा – संक्षेप में 26 एकादशी की व्रत कथा

एकादशी व्रत कथा : सभी एकादशी के अलग-अलग नाम कहे गए हैं अरु सभी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा भी विभिन्न नामों से की जाती है। सभी एकादशी के फल भी अलग-अलग बताये गए हैं जो नामानुसार परिलक्षित भी होते हैं। यहाँ सभी एकादशी के कथा संक्षेप में प्रस्तुत की जा रही है। यथाशीघ्र प्रत्येक एकादशी की अलग-अलग पूर्ण कथा भी प्रस्तुत की जाएगी।

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26 एकादशी के नाम

एकादशी के नाम क्या-क्या हैं ? क्या आप 26 एकादशी के नाम जानते हैं ?

एकादशी के नाम क्या-क्या हैं ? क्या आप 26 एकादशी के नाम जानते हैं ? : एकादशी व्रत को विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में महत्वपूर्ण माना जाता है, यह भगवान विष्णु के प्रति समर्पित होता है। यह व्रत विविध कामनाओं की पूर्ति, स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति सुनिश्चित करता है। सभी 12 महीनों में 26 एकादशी व्रत होते हैं, जिनहें उत्पन्ना, मोक्षदा, सफला, पुत्रदा और अन्य नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत का आरंभ मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी से किया जाता है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति में प्रबल उत्साह हो, तो वह किसी अन्य माह में शुरू कर सकता है।

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कोहरा दान

कोहरा क्या है ? अक्षय नवमी के दिन क्या करना चाहिए ?

अक्षय नवमी का महत्व सनातन धर्म में अत्यंत उच्च है। इस साल 2023 में यह पर्व 21 नवम्बर मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन कूष्माण्ड (कोहरा) दान करने का विशेष महत्व होता है, जिससे पुण्य प्राप्त किया जाता है। कूष्माण्ड दान से पापों की शमन होती है और पुत्र, पौत्र, धन सम्पत्ती की वृद्धि होती है। इसमें दान की विधि और मंत्र भी सम्पूर्ण रूप से निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें जानकर व्यक्ति अधिक से अधिक पुण्य प्राप्त कर सकता है।

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दण्ड क्या है ? दण्ड का उद्देश्य क्या है?

दण्ड क्या है : “दण्ड” शब्द कई अर्थों में प्रयोग होता है: एक डंडा, चोट, सजा, एक समय मापन की इकाई, व्यायाम, और एक प्रणाम. राजनीतिक उपायों में भी इसकी पहचान दण्ड के रूप में की जाती है। इसका अन्य विशेष अर्थ छठ महापर्व में पाया जाता है, जब व्रती सूर्य को प्रणाम कर दण्ड देते हैं, जिसका उद्देश्य किसी कामना की पूर्ति होती है। यहाँ पर “दण्ड” शब्द का अर्थ पूजा घाट तक दण्डवत प्रणाम कर जाना होता है। इसे सूर्य को दण्ड देना कहा जाता है।

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