मंगल शांति के उपाय | मंगल शांति पूजा

मंगल शांति के उपाय | मंगल शांति पूजा 5th

मंगल शांति के उपाय : मंगल शांति का तात्पर्य है मंगल के अशुभ फलों के निवारण की शास्त्रोक्त विधि। यदि मंगल निर्बल हो तो सबल करने के लिये मूंगा आदि धारण करना लाभकारी होता है। किन्तु यदि मंगल के कोई अशुभ प्रभाव हों तो उसका निवारण रत्न धारण करना नहीं होता, अशुभ प्रभाव का निवारण करने के लिये शांति ही करनी चाहिये।

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ये कौन लोग मंदिरों में जमे हुये हैं जब-जैसे जो करे पूजा करा देते हैं

किन्तु पुनः प्रश्न है कि ज्ञाननगरी काशी में भगवान विश्वनाथ मंदिर में भी ऐसे ब्राह्मण किस प्रकार जमे हुये हैं जो बिना धोती-धारण किये पूजा करा रहे थे ? अमित शाह ने एक हाथ से प्रणाम किया, तो ब्राह्मणों ने बताया क्यों नहीं कि दोनों हाथ से प्रणाम करें ?

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दशाश्वमेध घाट पर मोदी का गंगा पूजन और समझने वाली गंभीर तथ्य

आज मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिये तीसरी बार मुक्तिधाम काशी से अपना नामांकन कराया, जिसका आरम्भ दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन करके किया। इस आलेख में सकारात्मक तथ्य तो उजागर किया ही गया है साथ ही नकारात्मक पक्ष जो कोई नहीं उठाने वाला है उजागर किया गया है और अपेक्षा की जाती है कि…

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चंद्र ग्रह शांति विधि

चंद्र ग्रह शांति विधि | कमजोर चंद्रमा के लक्षण और उपाय 4th

चंद्र ग्रह शांति विधि : हम सभी जानते हैं कि चन्द्रमा मन का कारक है और चन्द्रमा यदि अशुभ हो तो क्या-क्या दुष्परिणाम होते हैं ? मुख्य रूप से चन्द्रमा मन को ही प्रभावित करता है एवं कमजोर चंद्रमा के लक्षण और उपाय समझने के लिये पूर्व में ही आलेख प्रकाशित किया

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सूर्य ग्रह शांति – surya shanti

सूर्य ग्रह शांति | surya shanti

सूर्य ग्रह शांति – रत्नादि धारण का तात्पर्य निर्बल ग्रह को बलयुक्त करना। अर्थात रत्नादि धारण करने का तात्पर्य अनिष्टफलों का निवारण करना नहीं होता है, तथापि किञ्चित लाभ अवश्य प्राप्त होता है।

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नवग्रह शांति विधि

नवग्रह शांति पूजा विधि – navgrah shanti puja 2nd

नवग्रह शांति पूजा विधि – कोई भी ग्रह न तो सदा शुभ फल प्रदान करते हैं न ही सदा अशुभ फल प्रदान करते हैं अर्थात सभी ग्रहों के शुभाशुभ मिश्रित फल होते ही हैं। नवग्रह शांति का तात्पर्य किसी एक अशुभ ग्रह की शांति नहीं है, अपितु सभी ग्रहों की शांति है।

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नवग्रह शांति उपाय – navagrah

नवग्रह शांति उपाय – navagrah : 1st

नवग्रह शांति उपाय – ग्रहाः राज्यं प्रयच्छन्ति ग्रहाः राज्यं हरन्ति च …. इस आलेख में नवग्रह शांति के विभिन्न उपायों पर प्रकाश डाला गया है और साथ-साथ नवग्रहों के वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र, नवग्रह स्तोत्र आदि दिया गया है। – navagrah

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व्रात्य - Vraty

उपनयन संस्कार और व्रात्य

उपनयन संस्कार और व्रात्य, व्रात्य का अर्थ – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तीनों वर्णों के लिये यज्ञोपवीत की एक सुनिश्चित अवधि है, व्रात्य का अर्थ होता है उस अवधि का अतिक्रमण हो जाना। निर्धारित अवधी व्यतीत हो जाने पर जिस व्यक्ति का उपनयन नहीं होता अथवा 10 संस्कारों का लोप हो जाता है उसे व्रात्य कहा जाता है ।

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रजस्वला स्त्री का अर्थ | काल, नियम इत्यादि सम्पूर्ण जानकारी

रजस्वला स्त्री का अर्थ | काल, नियम इत्यादि सम्पूर्ण जानकारी

रजस्वला स्त्री का अर्थ | काल, नियम इत्यादि सम्पूर्ण जानकारी – रजस्वला के सन्दर्भ में कई प्रश्न आते हैं। इस आलेख में पौराणिक आख्यानों, शास्त्रोक्त प्रमाणों का आधार ग्रहण करते हुये रजस्वला के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देते हुये रजस्वला स्त्री होने का क्या अर्थ है, रजस्वला स्त्री के लिये शास्त्रों में क्या-क्या नियम बताये गये हैं, क्या-क्या दोष कहा गया है, कालमान क्या होता है इत्यादि कई महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर भी दिया गया है।

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उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024

उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024

उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024 – उपनयन संस्कार मुहूर्त से मुख्य तात्पर्य उपनयन संस्कार ही होता है, किन्तु उपनयन संस्कार मुहूर्त में ही उपनयन के साथ मुंडन, वेदारम्भ और समावर्तन भी किये जाते हैं।

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