हरिवासर 2024

हरिवासर 2024

हरिवासर योग क्या है : हरिवासर के विषय में कल्पद्रुम का जो प्रमाण है उससे ज्ञात होता है कि द्वादशी का प्रथम चरण हरिवासर होता है। यहां प्रथम चरण कहने का तात्पर्य प्रथम चतुर्थांश है। यह हरिवासर सभी द्वादशी में होता है और यदि एकादशी रात्र्यंत तक हो तो भी अगले दिन का पारण द्वादशी के प्रथम चतुर्थांश व्यतीत होने के पश्चात् ही करना चाहिये। और यह नियम सभी एकादशी व्रत के संबंध में है।

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नमक चमक रुद्राभिषेक – आगमोक्त

नमक चमक रुद्राभिषेक – आगमोक्त (अनुपनीत-प्रयोग) namak chamak mantra

नमक चमक रुद्राभिषेक – आगमोक्त (अनुपनीत-प्रयोग) namak chamak mantra : अनुपनीतों के लिये आगमोक्त “नमक चमक रुद्राभिषेक” की विधि है। इस आलेख में आगमोक्त नमक चमक स्तोत्र दिया गया है जो विशेष लाभकारी है।

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दीपावली कब है 2024 में, एक महत्वपूर्ण विश्लेषण

दीपावली का त्यौहार – Deepawali 2024

दीपावली का त्यौहार – Deepawali 2024 : दीपावली का दिन एक ऐसा त्यौहार है जिसमें कई पुजायें सम्मिलित होती है और आगे-पीछे के कई व्रत-त्यौहार भी इससे संबंधित होते हैं, जैसे : पितृ विसर्जन, कोजागरा, धनतेरस, यमचतुर्दशी, श्यामा पूजा, लघुदीपावली, देवदीपावली आदि।

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कोजागरा व्रत : कोजागरा कब है - kojagara kab hai 2024

कोजागरा व्रत : कोजागरा कब है – Kojagara kab hai 2024

कोजागरा व्रत : कोजागरा कब है – kojagara kab hai 2024 : माता लक्ष्मी वर्ष में दो बार भ्रमण करती है और कहां वास करना चाहिये घरों का चयन करती है। एक बार दो दीपावली की रात्रि में भ्रमण करती है यह सभी जानते हैं किन्तु उससे पहले भी शरद पूर्णिमा की रात्रि को भ्रमण करती है और कौन जाग रहा है “कोजागर्ति” यह देखती है। “कोजागर्ति” के कारण ही इसका एक नाम कोजागरा भी है।

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केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) - Ketu Ashtottara Shatanamavali

केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) – Ketu Ashtottara Shatanamavali

केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) – Ketu Ashtottara Shatanamavali : राहु की तरह ही केतु भी छाया ग्रह ही है, अर्थात सूर्य और चंद्र पथ का दूसरा संक्रमण बिंदु है और इसकी भी पिण्डात्मक उपस्थिति नहीं है। जिस दैत्य का सिर कटा हुआ धर राहु है वही सिर केतु है। अष्टोत्तरशतनाम का एक विशेष लाभ ज्योतिषियों के लिये भी होता है कि इसके द्वारा फलादेश संबंधी ज्ञान भी मिलता है।

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राहु के 108 नाम (राहु अष्टोत्तर शतनामावली) - Rahu Ashtottara Shatanamavali

राहु के 108 नाम (राहु अष्टोत्तर शतनामावली) – Rahu Ashtottara Shatanamavali

राहु अष्टोत्तर शतनामावली – Rahu Ashtottara Shatanamavali : राहु वास्तव में सूर्य और चंद्र पथ का एक संक्रमण स्थल है जो सदा वक्रमार्ग पर बढ़ता रहता है, इसलिये इसे छाया ग्रह भी कहा जाता है। राहु को अशुभ और पाप ग्रह कहा जाता है। चंद्र या गुरु से साथ राहु की युति हो तो विशेष अशुभफल प्रदायक योग का निर्माण करता है।

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शनि अष्टोत्तर शतनामावली - Shani 108 names

शनि अष्टोत्तर शतनामावली – Shani 108 names

शनि अष्टोत्तर शतनामावली – Shani 108 names : शनि स्वभावतः एक क्रूर व अशुभ ग्रह बताया गया है किन्तु जिस प्रकार गुरु शुभ व सौम्य ग्रह होने पर भी दृष्टि व युति में शुभद होते हैं, जिस भाव में उपस्थिति हो उस भाव के फल का ह्रास ही करते हैं उसी प्रकार शनि की दृष्टि में ही अशुभवत्व होता है, उपस्थिति में भाव के लिये शुभद ही होता है।

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शुक्र अष्टोत्तर शतनामावली (शुक्र ग्रह के 108 नाम) - Shukra ashtottara shatanamavali

शुक्र अष्टोत्तर शतनामावली (शुक्र ग्रह के 108 नाम) – Shukra ashtottara shatanamavali

शुक्र अष्टोत्तर शतनामावली (शुक्र ग्रह के 108 नाम) – Shukra ashtottara shatanamavali : शुक्र ग्रह के 108 नाम वाले स्तोत्र को शुक्र अष्टोत्तरशत नामावली कहा जाता है। स्तोत्रों में देवताओं के 108 नाम अर्थात अष्टोत्तरशत नामों का भी विशेष होता है।

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बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली - Guru ashtottara shatanamavali

बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली – Guru ashtottara shatanamavali guru ke 108 Naam

बृहस्पति अष्टोत्तर शतनामावली – Guru ashtottara shatanamavali : गुरु स्वाभाविक रूप से शुभ और सौम्य ग्रह हैं, गुरु और बृहस्पति दो मुख्य नामों से प्रसिद्ध हैं। गुरु की शुभता दृष्टि-युति में बताई गयी है, किन्तु स्थिति में नहीं। अर्थात जिन-जिन ग्रहों-भावों को देखें तत्तत संबंधी फलों में शुभता की वृद्धि व अशुभता का निवारण करते हैं, किन्तु जिस भाव में उपस्थित हों उस भाव संबंधी फलों की हानि करते हैं।

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बुध अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - Budh ashtottara shatanamavali

बुध अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | बुध ग्रह के 108 नाम – Budh ashtottara shatanamavali

बुध अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – Budh ashtottara shatanamavali : बुध कि एक विशेषता है कि संग के रंग में रंग जाता है अर्थात यदि किसी प्रकार के संसर्ग से रहित हो तो सौम्य, यदि शुभग्रह का संसर्ग हो तो शुभ और यदि अशुभ ग्रह का संसर्ग हो तो अशुभ भी हो जाता है। बुध ग्रह के 108 नाम वाले स्तोत्र को बुध अष्टोत्तरशत नामावली कहा जाता है।

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