चन्द्रमा मन का कारक होता है, मन के द्वारा सोच-विचार किया जाता है। विचारों की उत्पत्ति मन में होती है और आत्महत्या संबंधी विचार का जन्म भी मन में ही होता है; लेकिन इससे यह कैसे सिद्ध होता है कि चन्द्रमा आत्महत्या का भी कारक है? जितने भी शुभ-अशुभ विचार होते हैं सभी मन में ही आते हैं तो क्या सभी गतिविधियों का एक मात्र कारक या मुख्य कारक चन्द्रमा ही है ?
वैसे अधिकतर ऐसा ही सुना जाता है कि आत्महत्या में मुख्य भूमिका चन्द्रमा की होती है, आत्महत्या के लिये पीड़ित चन्द्रमा जिम्मेवार होता है आदि-आदि। न्यूज चैनलों ने भी स्वघोषित ज्योतिषी बनकर यह बात जनमानस में प्रचारित कर दिया है की आत्महत्या का दोषी चन्द्रमा ही होता है, तो फिर कर क्या रहे हो जाओ चन्द्रमा को पकड़ कर लाओ। जब दोषी चन्द्रमा है तो उसे सजा भी मिलनी चाहिये न ! आत्महत्या विषय के सन्दर्भ में चन्द्रमा बिल्कुल भी जिम्मेवार नहीं होता है न ही कोई अन्य ग्रह जिम्मेवार होते हैं।
ग्रह कोई घटना घटित नहीं करते अपितु पूर्व निर्धारित घटनाओं का संकेत करते हैं।
कुण्डली-गोचर में स्थित ग्रह केवल मुख्य घटनाओं का संकेत मात्र करते हैं न कि घटना करते हैं। घटना का घटित होना पूर्व निर्धारित होता है उसमें ग्रहों का योगदान नहीं करते अपितु उसकी सूचना-संकेत प्रदान करते हैं। अब बात आती है चंद्र दोष की। संभवतः अभिव्यक्ति का तरीका गलत हो सकता है चंद्र दोष का प्रयोग करने की जगह चन्द्रमा को जिम्मेवार बना देते हों। आत्महत्या का मुख्य कारण भी चंद्रदोष नहीं होता है।
क्या चंद्रमा आत्महत्या का मुख्य कारक होता है?
वास्तव में मन के विचारों को चन्द्रमा प्रभावित तो करता है किन्तु गतिविधियों का आकलन अन्य ग्रहों कि स्थिति के द्वारा किया जाता है। चन्द्रमा की दशा-अन्तर्दशाओं में विचारों का प्रभाव कुछ अधिक हो सकता है किन्तु विचार उत्पन्न करने में भी अन्य ग्रहों की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है।
यदि आत्मकारक सूर्य कमजोर होगा तो आत्महत्या संबंधी विचार उत्पन्न होंगे और आत्मबल की कमी भी सूर्यदोष के कारण ही होगी जिससे आत्महत्या की घटना होती है। यदि मंगल/शनि/राहु आदि के प्रभाव या दोष से विचार उत्पन्न होगा तो वह झगड़ा, हिंसा, चोरी, बेईमानी आदि सम्बन्धी होगा और गतिविधि भी तदनुसार ही होगी।
अर्थात आत्महत्या का विचार मुख्यतः सूर्यदोष के कारण ही उत्पन्न होगा और आत्महत्या संबंधी गतिविधि भी मुख्य रूप से सूर्यदोष के कारण ही संभावित हो सकती है। हाँ ये बात अवश्य है कि चन्द्रमा का विचार भी अवश्य किया जाना चाहिये लेकिन विचार तो सभी पापग्रहों का, लग्नेश का और अष्टमेश का भी करना चाहिये।
आत्महत्या का मूल कारण क्या है ?
चंद्र दोष क्या होता है ?
- चन्द्रमा नीच हो तो चंद्रदोष कहलाता है। चन्द्रमा वृश्चिक राशि में नीच होता है।
- चन्द्रमा पापाक्रांत हो तो भी चंद्रदोष कहलाता है – चन्द्रमा के दोनों ओर पापग्रह हों तो पापाक्रांत कहलाता है।
- चन्द्रमा पापग्रहयुति कर रहा हो तो भी चंद्रदोष कहलाता है – चन्द्रमा के साथ यदि पापग्रह भी हों तो पापग्रहयुति कहलाता है।
- चन्द्रमा यदि पापदृष्ट हो तो भी चंद्रदोष कहलाता है – पापग्रह की दृष्टि यदि चन्द्रमा पर पड़ती हो तो पापदृष्ट कहलाता है।
- चन्द्रमा यदि दुःस्थान में स्थित हो तो भी चंद्रदोष कहलाता है – ६, ८, १२ भावों को दुःस्थान कहा जाता है। ये मुख्य चंद्रदोष कहे जाते हैं।
चंद्र दोष के लक्षण :
चन्द्रमा मुख्यतः मन, रक्त, कफ, नींद, माता, राजकृपा, स्मृति आदि का कारक होता है।
- मन – मन-मस्तिष्क में ही विचार उत्पन्न होते हैं। चंद्र दोष होने पर बुड़े विचार उत्पन्न होते हैं, मानसिक तनाव, मन में विकलता होती है आदि।
- रक्त – चन्द्रमा रक्त का भी कारक होता है; चंद्रदोष हो तो रक्ताल्पता या रक्त सब संबंधी अन्य दोष संभावित होता है।
- कफ – चन्द्रमा कफ का कारक होता है; चंद्रदोष होने से कफजन्य रोगों की वृद्धि संभावित होती है। श्वसन तंत्र के रोग की भी संभावना रहती है।
- नींद – चन्द्रमा नींद का भी कारक होता है; यदि चंद्रदोष हो तो नींद संबंधी समस्या भी देखी जा सकती है।
- माता – चन्द्रमा माता का कारक होता है; चंद्रदोष होने पर मातृसुख, मातृकृपा, मातृप्रेम संबंधी कमी देखी जा सकती है।
- राजकृपा – चन्द्रमा राजकृपा का भी कारक होता है और यदि चंद्रदोष हो तो राजकृपा प्राप्ति में विघ्न होता है और विपरीत प्रभाव देखा जा सकता है।
- स्मृति – चन्द्रमा स्मृति का भी कारक होता है और चंद्रदोष हो तो स्मृति भी प्रभावित होती है।
इसके अतिरिक्त भी अन्य बहुत सारी चीजों का कारक चन्द्रमा होता है; किन्तु मुख्यतः उपरोक्त लक्षण दिखने पर चंद्रदोष समझा जा सकता है। कमजोर चंद्रमा के संकेत प्राप्त होने पर या लक्षण दिखने पर चंद्र को मजबूत करने के उपाय पर विचार करना चाहिये।
चंद्र दोष निवारण उपाय
चंद्रदोष निवारण के लिये भी मंत्र जप, पूजा, हवन, दान, रत्नधारण, जड़ी धारण किया जा सकता है जिसके लिए ज्योतिषीय परामर्श की आवश्यकता होती है।
F&Q :
प्रश्न : चंद्र दोष क्या होता है ?
उत्तर : यदि चंद्र पापाक्रांत हो, पापयुत हो, पापदृष्ट हो, नीच हो, दुःस्थान में स्थित हो तो चंद्र दोष कहलाता है।
प्रश्न : चंद्रमा किसका कारक होता है?
उत्तर : चन्द्रमा मुख्यतः मन, रक्त, कफ, नींद, माता, राजकृपा, स्मृति आदि का कारक होता है।
प्रश्न : क्या चंद्रमा आत्महत्या का मुख्य कारक होता है?
उत्तर : नहीं चन्द्रमा आत्महत्या का मुख्य कारक नहीं होता है। चंद्रदोष के कारण नकात्मक विचार उत्पन्न हो सकते हैं किन्तु आत्महत्या का विचार उत्पन्न होने के लिये आत्मबल की कमी होना आवश्यक होता है और आत्मबल का कारक सूर्य होता है।
प्रश्न : चंद्र दोष के लक्षण क्या है?
उत्तर : चंद्र दोष के कारण मुख्यतः ये सभी लक्षण दृष्टिगत हो सकते हैं – नकारात्मक विचार आना, मानसिक थकान, अनिद्रा, रक्त और कफ विकार, नेत्र रोग, मातृसुख में कमी, प्रशासनिक अड़चन आदि ।
प्रश्न : चंद्र ग्रह किसके लिए जिम्मेदार है?
उत्तर : चंद्र ग्रह ज्वार-भाटा, भूकंप आदि के लिये जिम्मेदार है और इस सन्दर्भ में चन्द्रमा को उपग्रह कहा जायेगा ग्रह नहीं ।
प्रश्न : चंद्र दोष कैसे दूर करें ?
उत्तर : चंद्रदोष निवारण के लिये भी मंत्र जप, पूजा, हवन, दान, रत्नधारण, जड़ी धारण किया जा सकता है जिसके लिए ज्योतिषीय परामर्श की आवश्यकता होती है।
प्रश्न : रोगों के संदर्भ में विचार करते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन को किस बात का विशेष विचार करना चाहिये ?
उत्तर : विश्व स्वास्थ्य संगठन को चाहिये कि रोगों के ऊपर विचार करते समय ज्योतिषीय पहलू का ध्यान रखे। क्योंकि ज्योतिष रोगों के प्रकार से सबंधित जानकारी उपलब्ध करता है।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।
Discover more from संपूर्ण कर्मकांड विधि
Subscribe to get the latest posts sent to your email.