देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र – Dev uthani ekadashi mantra

देवोत्थान-एकादशी-पूजा-विधि-एवं-मंत्र

गौरी शंकर पूजन –

अक्षत-पुष्प – ॐ गौरीशंकरौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥

  • जल – एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयपुनराचमनीयानि। ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • चंदन – इदमनुलेपनं । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • फूल – इदं पुष्पं। ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • अक्षत – इदमक्षतं। ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • धूप – एष धूपः । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • दीप – एष दीपः । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
गौरी शंकर पूजन
गौरी शंकर पूजन
  • नैवेद्य – इदं नैवेद्यं । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • आचमन – इदमाचमनीयं । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • फल – इदं फलं । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • ताम्बूल – इदं ताम्बूलं सपूगीफलं । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • द्रव्य – इदं दक्षिणाद्रव्यं । ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥
  • पुष्पांजलि – एष मंत्रपुष्पाञ्जलिः। ॐ गौरीशंकराभ्यां नमः॥

तत्पश्चात् कथा श्रवण करे।

कथा श्रवण के बाद आरति करें – ॐ चन्द्रादित्यौ च धरणी विद्युदग्निस्तथैव च । त्वमेव सर्वज्योतींषि आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदमार्तिकं सर्वेभ्यो पूजितदेवताभ्यो नमः ।

प्रदक्षिणा – ॐ यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यासमानि च । तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिण ! पदे पदे ॥ चार प्रदक्षिणा करें।

प्रार्थणा – ॐ विधिहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं यदर्चितम् । पूर्णं भवतु तत्सर्वं त्वत्प्रसादान् जनार्दन॥ रूपं देहि यशो देहि भाग्यं केशव देहि मे । धर्मान् देहि धनं देहि सर्वान् कामान् प्रदेहि मे ॥

पंचदेवतादिकों का विसर्जन – ॐ यान्तु देवगणाः सर्वे पूजामादाय मामकीम् । इष्टकामप्रसिध्यर्थं पुनरागमनाय च । ॐ गणपत्यादिपञ्चदेवताः पूजिताः स्थ क्षमध्वं स्वस्थानं गच्छत । ॐ भगवन् श्री विष्णो पूजितोऽसि प्रसीद क्षमस्व (यदि तिलपुंज पर ही आवाहन किया गया हो तो स्वस्थानं गच्छ कहें, शालिग्राम/प्रतिमा का विसर्जन न करें)

गौरी शंकर का विसर्जन – ॐ गौरीशङ्करी पूजितौ स्थः क्षमेयाथां स्वस्थानं गच्छतम् ।

अंत में एकतंत्र से ब्रह्मपूजा करें – ‘ॐ ब्रह्मणे नमः’ ।

दक्षिणा – तिल, कुश, जल, दक्षिणाद्रव्य लेकर पढें :- ॐ अस्यां रात्रौ कृतैतत् श्रीविष्णुपूजन तत्कथाश्रवण कर्म प्रतिष्ठार्थम् एतावद्द्रव्यमूल्यक हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ।

ॐ स्वस्तीति प्रतिवचनम् ।
तत्पश्चात् नृत्यगीतकीर्तन आदि करते हुए रात्रिजागरण करें । प्रातः नित्य कर्म करके ब्राह्मणों को भोजन कराकर पारण करें। वैसे तो लगभग सभी व्रतों में रात्रि जागरण का नियम है ही किन्तु देवोत्थान एकादशी में जब भगवान का उत्थापन किया जाता है तो रात्रि जागरण अनिवार्य हो जाता है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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