एकादशी व्रत कथा – संक्षेप में 26 एकादशी की व्रत कथा

एकादशी व्रत कथा

यूँ तो सनातन (हिन्दू) में बहुत सारे व्रत होते हैं और संभवतः कोई महीना ऐसा नहीं होता की जिसमें ४-५ व्रत न होते हों। किन्तु सभी व्रतों में एकादशी का विशेष महत्व है। विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के साथ-साथ एकादशी स्वर्ग और मोक्ष भी प्रदान करती है। प्रत्येक वैष्णव एकादशी अनिवार्यतः करते हैं। प्रत्येक महीने में दो पक्ष होते हैं कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष और दोनों पक्षों में १-१ एकादशी होती है। इस प्रकार वर्ष में कुल २४ एकादशी होती है साथ ही अधिकमास में २ एकादशी और होती है जिस कारण एकादशी की कुल संख्या २६ होती है।

एकादशी व्रत कथा
एकादशी व्रत कथा

सभी एकादशी के अलग-अलग नाम कहे गए हैं अरु सभी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा भी विभिन्न नामों से की जाती है। सभी एकादशी के फल भी अलग-अलग बताये गए हैं जो नामानुसार परिलक्षित भी होते हैं। यहाँ सभी एकादशी के कथा संक्षेप में प्रस्तुत की जा रही है। यथाशीघ्र प्रत्येक एकादशी की अलग-अलग पूर्ण कथा भी प्रस्तुत की जाएगी।

1. उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा हिंदी

मार्गशीर्ष (अग्रहायण) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी है। कथा के अनुसार एकादशी भगवान विष्णु के शरीर से इसी दिन उत्पन्न हुई थी और उत्पन्न होने के कारण ही इसका नाम उत्पन्ना एकादशी है।

कथा कुछ इस प्रकार है : प्राचीन काल में चम्पावती नगरी के नाड़ीजंघ दैत्य का बलशाली पुत्र मुर हुआ जिसने देवताओं को जीत लिया। प्रताड़ित देवता भगवान शंकर के पास अपनी व्यथा सुनाने गए तो भगवान शंकर ने विष्णु भगवान के पास क्षीरसागर जाने के लिये कहा। सभी देवता जब क्षीरसागर जाकर भगवान विष्णु को अपना दुःख सुनाये तो भगवान विष्णु ने सेना सजाकर युद्ध करने के लिये कहा और स्वयं भी उपस्थित हुये। युद्ध में देवता गण विकल होकर जब भागने लगे तो भगवान विष्णु युद्ध करने लगे।

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा हिंदी
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा हिंदी

सबसे पहले मुर की सेना एवं अस्त्र-शस्त्रों का नाश किया फिर दोनों के मध्य १००० दिव्य वर्षों तक बाहुयुद्ध हुआ। थककर भगवान विष्णु विश्राम करने के लिये बद्रिकाश्रम के हेमवती गुफा में जाकर सो गये। पीछे से मुर भी आया और सोते समय ही भगवान विष्णु को मारने का प्रयास करने लगा तो भगवान विष्णु की शक्ति ने दिव्य स्वरूप में उत्पन्न होकर मुर वध किया। भगवान विष्णु ने उसका नाम एकादशी रखा और वरदान दिया कि एकादशी करने वाला सभी पापों से मुक्त होकर वैकुण्ठ में वास करेगा।

  • उत्पन्ना एकादशी पहली एकादशी है।
  • यह अगहन माह के कृष्ण पक्ष में उत्पन्न हुयी।
  • इस एकादशी से व्रत का आरम्भ करना चाहिये।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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