हम किसी भी देवता की पूजा-उपासना करें हमें उनके ध्यान मंत्र की आवश्यकता होती है। जब हम हनुमान जी की पूजा करेंगे तो उनके ध्यान मंत्र की भी आवश्यकता होती है यद्यपि “मनोजवं मारुततुल्यवेगं.., अतुलित बलधामं..” आदि पढ़कर कर लेते हैं किन्तु हनुमान जी के कुछ विशेष ध्यान मंत्र अथवा ध्यान श्लोक मार्कण्डेय पुराण में मिलता है और जिन्हें हनुमान जी के ध्यान मंत्र की आवश्यकता हो उनके लिये यह विशेष महत्वपूर्ण आलेख है क्योंकि इसमें मार्कण्डेयपुराणोक्त हनुमान ध्यान मंत्र (hanuman dhyan mantra) दिया गया है।
मार्कण्डेय पुराणोक्त हनुमान ध्यान मंत्र – hanuman dhyan mantra
मरकतमणिवर्णं दिव्यसौन्दर्यदेहं
नखरदशनशस्त्रैर्वज्रतुल्यैः समेतम् ।
तडिदमलकिरीटं मूर्ध्नि रोमाङ्कितं च
हरितकुसुमभासं नेत्रयुग्मं सुफुल्लम् ॥१॥
अनिशमतुलभक्त्या रामदेवस्य योग्या-
न्निखिलगुरुचरित्राण्यास्यपद्माद्वदन्तम् ।
स्फटिकमणिनिकाशे कुण्डले धारयन्तं
गजकर इव बाहुं रामसेवार्थजातम् ॥२॥
अशनिसमद्रढिम्नं दीर्घवक्षःस्थलं च
नवकमलसुपादं मर्दयन्तं रिपूंश्च ।
हरिदयितवरिष्ठं प्राणसूनुं बलाढ्यं
निखिलगुणसमेतं चिन्तये वानरेशम् ॥३॥
॥ इति मार्कण्डेयपुराणतः श्रीहनुमद्ध्यानम् ॥
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