जब आप माता जानकी की उपासना करेंगे तो आपको जानकी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (janaki ashtottara shatanama stotram) व अष्टोत्तर शतनामावली की भी आवश्यकता होगी। स्तोत्र करने के अतिरिक्त पूजन-हवन में अष्टोत्तर शतनामावली की आवश्यकता होती ही रहती है। यहां माता सीता अर्थात जानकी के अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र व अष्टोत्तर शतनामावली संस्कृत में दिया गया है।
श्रीजानकी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – janaki ashtottara shatanama stotram
अष्टोत्तरशतं नाम्नामपीदानीं तदुच्यताम् ।
भवद्भिः सानुकम्पं मे सर्वज्ञाः श्रुतिमङ्गलम् ॥१॥
साधुं पृष्टं त्वया राजन् श्रव्यमेकाग्रचेतसा ।
अष्टोत्तरशतं वक्ष्ये नाम्नां परमपावनम् ॥२॥
सीरध्वजसुता सीता स्वाश्रिताभीष्टदायिनी ।
सहजानन्दिनी स्तव्या सर्वभूताशयस्थिता ॥३॥
ह्लादिनी क्षेमदा क्षान्तिः षडर्द्धाक्षहृदिस्थिता ।
श्रीनिधिः श्रीसमाराध्या श्रियः श्रीः श्रीमदर्चिता ॥४॥
शरण्या वेदनिःश्वासा वैदेही विबुधेश्वरी ।
लोकोत्तराम्बा लोकादी रघुनन्दनवल्लभा ॥५॥
रम्यरम्यनिधी रामा योगेश्वरप्रियात्मजा ।
यज्ञस्वरूपा यज्ञेशी योगिनां परमा गतिः ॥६॥
मृदुस्वभावा मृदुला मैथिली मधुराकृतिः ।
मनोरूपा महेज्येज्या महासौभाग्यदायिनी ॥७॥
भूमिजा बुधमृग्याङ्घ्रिकमला बोधवारिधिः ।
फलस्वरूपा तपसां फणीन्द्रवर्ण्यवैभवा ॥८॥
नमस्या प्रियदृष्टिश्च धरारत्नं धरासुता ।
दिव्यात्मा दीप्तमहिमा तत्त्वात्मा जनकात्मजा ॥९॥
जगदीशपरप्रेष्ठा ज्ञानिनां परमायनम् ।
जगन्मङ्गलमाङ्गल्या जरामृत्युभयातिगा ॥१०॥
चन्द्रकलामुखासाद्या चिदानन्दस्वरूपिणी ।
चतुरात्मा चतुर्व्यूहा चन्द्रबिम्बोपमानना ॥११॥
घनश्यामात्मनिलया गोप्त्री गुप्ता गुहेशया ।
गेयोदारयशःपङ्क्तिर्गतैश्वर्यकृतस्मया ॥१२॥
गमनीयपदासक्तिः खलभावनिवारिणी ।
कृपापीयूषजलधिः कृतज्ञा कृतिसाधनम् ॥१३॥
कल्याणप्रकृतिः काम्या कल्याणी कामवर्षिणी ।
कारुण्यार्द्रविशालाक्षी कम्बुकण्ठी कलानिधिः ॥१४॥
केलिप्रिया कलाधारा कल्मषौघनिवारिणी ।
ॐ शब्दवाच्या ह्योजोऽब्धिरुदितश्रीरुदारधीः ॥१५॥
उदारकीर्त्तिरुदिता ह्युदारातुल्यदर्शना ।
इष्टप्रदेभगमना आदिजाऽऽह्लादिनी परा ॥१६॥
आश्रितवत्सलाऽऽराध्या ह्यनिर्देश्यस्वरूपिणी ।
अद्वितीयसुखाम्भोधिरव्याजकरुणापरा ॥१७॥
अनवद्याऽप्रमत्तात्मा अनन्तैश्वर्यमण्डिता ।
अमानाऽयोनिजाऽकोपा अविचिन्त्याऽनघस्मृतिः ॥१८॥
अनीहाऽनियमाऽनादिमध्यान्ताद्भुतदर्शना ।
अजेयाऽकल्मषाऽकारवाच्येत्यवनिपोत्तम ॥१९॥
अष्टोत्तरशतं नाम प्रोच्यतेऽस्या महर्षिभिः ।
पठतां प्रत्यहं भक्त्या काऽपि सिद्धिर्न दुर्लभा ॥२०॥
॥ इति जानकी अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
श्रीजानकी अष्टोत्तरशतनामावलिः
- ॐ सीरध्वजसुतायै नमः ॥
- ॐ सीतायै नमः ॥
- ॐ स्वाश्रिताभीष्टदायिन्यै नमः ॥
- ॐ सहजानन्दिन्यै नमः ॥
- ॐ स्तव्यायै नमः ॥
- ॐ सर्वभूताशयस्थितायै नमः ॥
- ॐ ह्लादिन्यै नमः ॥
- ॐ क्षेमदायै नमः ॥
- ॐ क्षान्त्यै नमः ॥
- ॐ षडर्द्धाक्षहृदिस्थितायै नमः ॥
- ॐ श्रीनिधये नमः ॥
- ॐ श्रीसमाराध्यायै नमः ॥
- ॐ श्रियः श्रियै नमः ॥
- ॐ श्रीमदर्चितायै नमः ॥
- ॐ शरण्यायै नमः ॥
- ॐ वेदनिःश्वासायै नमः ॥
- ॐ वैदेह्यै नमः ॥
- ॐ विबुधेश्वर्यै नमः ॥
- ॐ लोकोत्तराम्बायै नमः ॥
- ॐ लोकाद्यै नमः ॥
- ॐ रघुनन्दनवल्लभायै नमः ॥
- ॐ रम्यरम्यनिधये नमः ॥
- ॐ रामायै नमः ॥
- ॐ योगेश्वरप्रियात्मजायै नमः ॥
- ॐ यज्ञस्वरूपायै नमः ॥
- ॐ यज्ञेश्यै नमः ॥
- ॐ योगिनां परमागत्यै नमः ॥
- ॐ मृदुस्वभावायै नमः ॥
- ॐ मृदुलायै नमः ॥
- ॐ मैथिल्यै नमः ॥
- ॐ मधुराकृत्यै नमः ॥
- ॐ मनोरूपायै नमः ॥
- ॐ महेज्येज्यायै नमः ॥
- ॐ महासौभाग्यदायिन्यै नमः ॥
- ॐ भूमिजायै नमः ॥
- ॐ बुधमृग्याङ्घ्रिकमलायै नमः ॥
- ॐ बोधवारिधये नमः ॥
- ॐ तपसां फलस्वरूपायै नमः ॥
- ॐ फणीन्द्रवर्ण्यवैभवायै नमः ॥
- ॐ नमस्यायै नमः ॥
- ॐ प्रियदृष्ट्यै नमः ॥
- ॐ धरारत्नायै नमः ॥
- ॐ धरासुतायै नमः ॥
- ॐ दिव्यात्मायै नमः ॥
- ॐ दीप्तमहिमायै नमः ॥
- ॐ तत्त्वात्मायै नमः ॥
- ॐ जनकात्मजायै नमः ॥
- ॐ जगदीशपरप्रेष्ठायै नमः ॥
- ॐ ज्ञानिनां परमायनायै नमः ॥
- ॐ जगन्मङ्गलमाङ्गल्यायै नमः ॥
- ॐ जरामृत्युभयातिगायै नमः ॥
- ॐ चन्द्रकलामुखासाद्यायै नमः ॥
- ॐ चिदानन्दस्वरूपिण्यै नमः ॥
- ॐ चतुरात्मायै नमः ॥
- ॐ चतुर्व्यूहायै नमः ॥
- ॐ चन्द्रबिम्बोपमाननायै नमः ॥
- ॐ घनश्यामात्मनिलयायै नमः ॥
- ॐ गोप्त्र्यै नमः ॥
- ॐ गुप्तायै नमः ॥
- ॐ गुहेशयायै नमः ॥
- ॐ गेयोदारयशःपङ्क्त्यै नमः ॥
- ॐ गतैश्वर्यकृतस्मयायै नमः ॥
- ॐ गमनीयपदासक्त्यै नमः ॥
- ॐ खलभावनिवारिण्यै नमः ॥
- ॐ कृपापीयूषजलध्यै नमः ॥
- ॐ कृतज्ञायै नमः ॥
- ॐ कृतिसाधनायै नमः ॥
- ॐ कल्याणप्रकृत्यै नमः ॥
- ॐ काम्यायै नमः ॥
- ॐ कल्याण्यै नमः ॥
- ॐ कामवर्षिण्यै नमः ॥
- ॐ कारुण्यार्द्रविशालाक्ष्यै नमः ॥
- ॐ कम्बुकण्ठ्यै नमः ॥
- ॐ कलानिधये नमः ॥
- ॐ केलिप्रियायै नमः ॥
- ॐ कलाधारायै नमः ॥
- ॐ कल्मषौघनिवारिण्यै नमः ॥
- ॐ ॐ शब्दवाच्यायै नमः ॥
- ॐ ओजोऽब्ध्यै नमः ॥
- ॐ उदितश्रिये नमः ॥
- ॐ उदारधिये नमः ॥
- ॐ उदारकीर्त्यै नमः ॥
- ॐ उदितायै नमः ॥
- ॐ उदारातुल्यदर्शनायै नमः ॥
- ॐ इष्टप्रदायै नमः ॥
- ॐ इभगमनायै नमः ॥
- ॐ आदिजायै नमः ॥
- ॐ आह्लादिन्यै परायै नमः ॥
- ॐ आश्रितवत्सलायै नमः ॥
- ॐ आराध्यायै नमः ॥
- ॐ अनिर्देश्यस्वरूपिण्यै नमः ॥
- ॐ अद्वितीयसुखाम्भोधये नमः ॥
- ॐ अव्याजकरुणापरायै नमः ॥
- ॐ अनवद्यायै नमः ॥
- ॐ अप्रमत्तात्मने नमः ॥
- ॐ अनन्तैश्वर्यमण्डितायै नमः ॥
- ॐ अमानायै नमः ॥
- ॐ अयोनिजायै नमः ॥
- ॐ अकोपायै नमः ॥
- ॐ अविचिन्त्यायै नमः ॥
- ॐ अनघस्मृत्यै नमः ॥
- ॐ अनीहायै नमः ॥
- ॐ अनियमायै नमः ॥
- ॐ अनादिमध्यान्तायै नमः ॥
- ॐ अद्भुतदर्शनायै नमः ॥
- ॐ अजेयायै नमः ॥
- ॐ अकल्मषायै नमः ॥
- ॐ अकारवाच्यायै नमः ॥
॥ इति श्रीजानकी अष्टोत्तरशतनामावलिः समाप्ता ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।