श्री जानकी स्तुति – janaki stuti

श्री जानकी स्तुति - janaki stuti

स्कन्द पुराणोक्त जानकी स्तुति महावीर हनुमान द्वारा किया गया है जिसमें श्लोकों की संख्या ८ है। द्वितीय जानकी स्तुति भुशुण्डिरामयणोक्त है जो धर्मराज कृत और यदि इसमें श्लोकों की संख्या का विचार करें तो २२ हैं किन्तु इसमें गद्य भी सम्मिलित है। यहां स्कन्द पुराणोक्त जानकी स्तुति और भुशुण्डि रामयणोक्त जानकी स्तुति (janaki stuti) दोनों संस्कृत में दिया गया है।

भुशुण्डिरामयणोक्त धर्मराज कृत जानकी स्तुति

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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