महाविद्या साधना प्रकरण में दसवीं महाविद्या कमला हैं। माता कमला की उपासना करते हैं उनके लिये कमला कवच स्तोत्र का भी विशेष महत्व होता है। यहां कमला कवच स्तोत्र (Kamla Kavach Stotra) संस्कृत में दिया गया है।
यहां पढ़ें मां कमला कवच स्तोत्र संस्कृत में – kamala kavach
विनियोग : ॐ अस्याश्चतुरक्षराविष्णुवनितायाः कवचस्य श्रीभगवान् शिव ऋषीः । अनुष्टुप्छन्दः । वाग्भवा देवता । वाग्भवं बीजम् । लज्जा शक्तिः । रमा कीलकम् । कामबीजात्मकं कवचम् । मम सुकवित्वपाण्डित्यसमृद्धिसिद्धये पाठे विनियोगः ॥
ऐङ्कारो मस्तके पातु वाग्भवां सर्वसिद्धिदा ।
ह्रीं पातु चक्षुषोर्मध्ये चक्षुर्युग्मे च शाङ्करी ॥१॥
जिह्वायां मुखवृत्ते च कर्णयोर्दन्तयोर्नसि ।
ओष्ठाधारे दन्तपङ्क्तौ तालुमूले हनौ पुनः ॥२॥
पातु मां विष्णुवनिता लक्ष्मीः श्रीवर्णरूपिणी ॥
कर्णयुग्मे भुजद्वन्द्वे स्तनद्वन्द्वे च पार्वती ॥३॥
हृदये मणिबन्धे च ग्रीवायां पार्श्वर्योद्वयोः ।
पृष्ठदेशे तथा गुह्ये वामे च दक्षिणे तथा ॥४॥
उपस्थे च नितम्बे च नाभौ जंघाद्वये पुनः ।
जानुचक्रे पदद्वन्द्वे घुटिकेऽङ्गुलिमूलके ॥५॥
स्वधा तु प्राणशक्त्यां वा सीमन्यां मस्तके तथा ।
सर्वाङ्गे पातु कामेशी महादेवी समुन्नतिः ॥६॥
पुष्टिः पातु महामाया उत्कृष्टिः सर्वदाऽवतु ।
ऋद्धिः पातु सदा देवी सर्वत्र शम्भुवल्लभा ॥७॥
वाग्भवा सर्वदा पातु पातु मां हरगेहिनी ।
रमा पातु महादेवी पातु माया स्वराट् स्वयम् ॥८॥
सर्वाङ्गे पातु मां लक्ष्मीर्विष्णुमाया सुरेश्वरी ।
विजया पातु भवने जया पातु सदा मम ॥९॥
शिवदूती सदा पातु सुन्दरी पातु सर्वदा ।
भैरवी पातु सर्वत्र भेरुण्डा सर्वदाऽवतु ॥१०॥
त्वरिता पातु मां नित्यमुग्रतारा सदाऽवतु ।
पातु मां कालिका नित्यं कालरात्रिः सदाऽवतु ॥११॥
नवदुर्गाः सदा पातु कामाख्या सर्वदाऽवतु ।
योगिन्यः सर्वदा पातु मुद्राः पातु सदा सम ॥१२॥
मात्राः पातु सदा देव्यश्चक्रस्था योगिनी गणाः ।
सर्वत्र सर्वकार्येषु सर्वकर्मसु सर्वदा ॥१३॥
पातु मां देवदेवी च लक्ष्मीः सर्वसमृद्धिदा ॥
॥ इति विश्वसारतन्त्रे श्रीकमलाकवचं सम्पूर्णम् ॥
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