यहां दशमहाविद्या में से दसवीं महाविद्या कमला के सौ नामों वाला स्तोत्र अर्थात कमला अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (Kamla ashtottara shatanamavali) संस्कृत में दिया गया है।
यहां पढ़ें मां कमला अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – kamala ashtottara shatanamavali
श्रीशिव उवाच
शतमष्टोत्तरं नाम्नां कमलाया वरानने ।
प्रवक्ष्याम्यतिगुह्यं हि न कदापि प्रकाशयेत् ॥१॥
महामाया महालक्ष्मीर्महावाणी महेश्वरी ।
महादेवी महारात्रिर्महिषासुरमर्दि नी ॥२॥
कालरात्रिः कुहूः पूर्णा नन्दाऽऽद्या भद्रिका निशा ।
जया रिक्ता महाशक्तिर्देवमाता कृशोदरी ॥३॥
शचीन्द्राणी शक्रनुता शङ्करप्रियवल्लभा ।
महावराहजननी मदनोन्मथिनी मही ॥४॥
वैकुण्ठनाथरमणी विष्णुवक्षःस्थलस्थिता ।
विश्वेश्वरी विश्वमाता वरदाऽभयदा शिवा ॥५॥
शूलिनी चक्रिणी मा च पाशिनी शङ्खधारिणी ।
गदिनी मुण्डमाला च कमला करुणालया ॥६॥
पद्माक्षधारिणी ह्यम्बा महाविष्णुप्रियङ्करी ।
गोलोकनाथरमणी गोलोकेश्वरपूजिता ॥७॥
गया गङ्गा च यमुना गोमती गरुडासना ।
गण्डकी सरयूस्तापी रेवा चैव पयस्विनी ॥८॥
नर्मदा चैव कावेरी केदारस्थलवासिनी ।
किशोरी केशवनुता महेन्द्रपरिवन्दिता ॥९॥
ब्रह्मादिदेवनिर्माणकारिणी वेदपूजिता ।
कोटिब्रह्माण्डमध्यस्था कोटिब्रह्माण्डकारिणी ॥१०॥
श्रुतिरूपा श्रुतिकरी श्रुतिस्मृतिपरायणा ।
इन्दिरा सिन्धुतनया मातङ्गी लोकमातृका ॥११॥
त्रिलोकजननी तन्त्रा तन्त्रमन्त्रस्वरूपिणी ।
तरुणी च तमोहन्त्री मङ्गला मङ्गलायना ॥१२॥
मधुकैटभमथनी शुम्भासुरविनाशिनी ।
निशुम्भादि हरा माता हरिशङ्करपूजिता ॥१३॥
सर्वदेवमयी सर्वा शरणागतपालिनी ।
शरण्या शम्भुवनिता सिन्धुतीरनिवासिनी ॥१४॥
गन्धर्वगानरसिका गीता गोविन्दवल्लभा ।
त्रैलोक्यपालिनी तत्त्वरूपा तारुण्यपूरिता ॥१५॥
चन्द्रावली चन्द्रमुखी चन्द्रिका चन्द्रपूजिता ।
चन्द्रा शशाङ्कभगिनी गीतवाद्यपरायणा ॥१६॥
सृष्टिरूपा सृष्टिकरी सृष्टिसंहारकारिणी ।
इति ते कथितं देवि रमानामशताष्टकम् ॥१७॥
त्रिसन्ध्यं प्रयतो भूत्वा पठेदेतत्समाहितः ।
यं यं कामयते कामं तं तं प्राप्नोत्यसंशयम् ॥१८॥
इमं स्तवं यः पठतीह मर्त्यो वैकुण्ठपत्न्याः परसादरेण ।
धनाधिपाद्यैः परिवन्दितः स्यात् प्रयास्यति श्रीपदमन्तकाले ॥१९॥
॥ इति श्रीकमलाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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