महाशिवरात्रि कब है ? Mahashivratri kab hai

महाशिवरात्रि कब है - Mahashivratri kab hai
वर्षमासदिनांकदिन
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2029फरवरी11रविवार
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महाशिवरात्रि कब है Chart

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  • भगवान शिव और पार्वती का विवाह फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था और इसी कारण इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।
  • महाशिवरात्रि भगवान शंकर का व्रत है जिसमें उपवास करके भगवान शंकर की विशेष विधि से पूजा – अर्चना की जाती है।
  • महाशिवरात्रि व्रत १४ वर्षों तक करना चाहिए।
  • इस व्रत में रात के चारों पहर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है।
  • पूजा के साथ-साथ रात्रिजागरण, नृत्य-गीत, मन्त्र जप, स्तोत्र पाठ आदि करनी चाहिए।
  • दान और पंडितों की आवश्यकता पर भ्रम फैलाया हुआ है इससे बचने की आवश्यकता है। इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि ब्राह्मण भोजन कराये बिना कोई भी पूजा-व्रत-हवन आदि सम्पूर्ण ही नहीं होता।
  • इस भ्रम से बाहर निकलने पर अगला भ्रम यह फैलाया गया है कि जन्म का महत्व नहीं होता है, श्रद्धालु सनातनियों को स्वयं विचार करना होगा कि बीज का क्या महत्त्व होता है? आम के बीज से आम और ईमली के बीज से ईमली के वृक्ष का ही जन्म होता है।
  • पुनः अगला भ्रम दान पात्र को लेकर फैलाया गया है, ब्राह्मण के अतिरिक्त वर्णों को मात्र कन्यादान लेने का ही अधिकार है, इसके अतिरिक्त अन्य दान लेना दोनों के लिये हानिकारक है। अन्य सभी प्रकार का दान ग्रहण करने का अधिकार मात्र ब्राह्मण को ही है। विशेष विधि और मंत्रों द्वारा आत्मकल्याण की कामना करते हुये उत्सर्ग करके पुनः उत्सर्ग की प्रतिष्ठा के लिये दक्षिणा भी देना देना आवश्यक होता है।
  • यदि बंजर भूमि में बीजारोपण किया जाय तो बीज भी नष्ट हो जाता है उसी प्रकार ब्राह्मणों में भी योग्य और अयोग्य विभाजन करते हुये यह बताया गया है कि अयोग्य ब्राह्मण को भी दिया गया दान कल्याणकारी नहीं अपितु अनर्थकारी ही होता है।
  • गरीबों को कभी भी कुछ नहीं देना चाहिये, जब दान-दक्षिणा से ब्राह्मण को संतुष्ट कर दिया गया हो तब दरिद्रों में आवश्यक वस्तुओं का वितरण करना चाहिये। गरीब का संबंध सनातन से नहीं होता है। हम जिसको सहयोग कर रहे हैं वह सनातन धर्म के विरुद्ध कोई षड्यंत्र नहीं करता है यह भी हमें ही सुनिश्चित करना होगा। गरीबों में तो रोहिंग्या भी आते हैं और रोहिंग्या को किया गया सहयोग सनातनियों के लिये हानिकारक है, इस कारण रोहिंग्या का सहयोग करना भी नरक का ही द्वार खोलने वाला है। नारायण दरिद्रों को कहा जाता है दरिद्र-नारायण इसे समझने का प्रयास करना चाहिये।

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