मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? दान करने की विधि

मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? दान करने की विधि
मकर संक्रांति दान विधि
मकर संक्रांति दान विधि

विशेष ध्यातव्य : जो वस्तु उपलब्ध न हो सके लेकिन दान करने की इच्छा हो तो उस वस्तु के लिये उसका मूल्य (रूपया) भी दान किया जा सकता है।

  • वस्तु के मूल्य हेतु यह अवश्य ध्यान रखे की रूपया उस वस्तु का वास्तविक मूल्य हो।
  • जैसे : यदि रजाई दान करने की इच्छा हो और रजाई उपलब्ध न हो सके तो रजाई का जितना मूल्य हो उतना रूपया किसी पात्र या पत्ते पर रखकर इस प्रकार दान किया जा सकता है –
  • ‘ओं एतावद्द्रव्य मूल्योपकल्पित तूलपट्टिकायै नमः’॥
  • इसी तरह अन्य वस्तु के लिये भी उसका मूल्य दान किया जा सकता है।

सारांश : मकर संक्रांति धार्मिक और खगोलीय दोनों दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय मनाया जाता है। यह महत्वपूर्ण पर्व शिशिर ऋतु के आगमन को चिन्हित करता है जो विशेष ठंड के महीने का आरंभ होता है। इस दिन विशेष रूप से तिल का उपयोग होता है, इसलिए इसे तिलासंक्रांति भी कहा जाता है। स्नान, दान और पूजन, मकर संक्रांति के पुण्यकाल में किये जाते हैं। यह पर्व – धर्म, खगोल विज्ञान और सामाजिक आयोजनों के संगम का प्रतीक है।

मकर संक्रांति कब है ?

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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