नामकरण कैसे करें ? नामकरण संस्कार

नामकरण कैसे करें ? नामकरण संस्कार

नामकरण संस्कार विधि

नामकरण संस्कार हेतु ३ ब्राह्मणों को निमंत्रण दे। नामकरण वेला के समय बच्चा और माता स्नानादि करके शुद्ध (अहत) वस्त्र धारण करे, पंचगव्य से बच्चे और माता को प्रोक्षित करे, पंचगव्य पान भी करा दे। तत्पश्चात् बच्चे को माता के गोद में दे । मंगलवाद्य आदि बज रहा हो, आगे-आगे सिर पर कलश लिये सौभाग्वती स्त्री/कुमारी कन्या और उसके पीछे बालक को अंक में धारण करी हुई सूतिका/माता पूजा के स्थान पर आये । लेकिन यह क्रिया हवन करने के बाद की है जिसका पुनः निर्देश किया गया है।

पिता अथवा अन्य संस्कारकर्ता – पवित्रीकरण, दिग्बंधन, पंचदेवता व विष्णु पूजन, स्वस्तिवाचन करके संकल्प करे। संकल्प हेतु पान, सुपारी, तिल, जल, पुष्प, चंदन, त्रिकुशा आदि लेकर इस प्रकार संकल्प करे :-

नामकरण संस्कार विधि
नामकरण संस्कार विधि

संकल्प मंत्र – ॐ अद्यैतस्य मासानां मासोतमे ………. मासे …………    पक्षे ………… तिथौ …………  वासरे …………    गोत्रोत्पन्नः ………….. शर्माऽहं ममास्य जातस्य पुत्रस्य बीजगर्भसमुद्भवैनोऽपमार्जनायुरभिवृद्धिद्वारा नामकरणं करिष्ये ॥ तत्रादौ गणपत्यादि पूजनं करिष्ये ॥

आचार्य वरण – ॐ अद्य कर्तव्य पुत्रस्य कन्याया नामकरण कर्मणि आचार्य कर्मकर्त्तुं एभिः वरणीय वस्तुभिः ……. गोत्रं ……… शर्माणमाचार्यत्वेन त्वामहंवृणे ॥

गणेशाम्बिकादि पूजन करके हवन करे। हवन विधि के अनुसार अग्निस्थापन करके विधि नामक (अन्य मत से पार्थिव) अग्नि पूजन करके नवाहुति (आज्याहुति) दे । फिर सात से अधिक या न्यूनतम सात कुशाओं की पिंजुली (पंचगव्य होम हेतु ग्रंथित कर ले) बनाकर निम्न मंत्रों से पंचगव्य की आहूति दे :

  1. ॐ इरावती धेनुमती हि भृत ぴ सूर्यवसिनीमनवेदशस्या । व्यस्कनारोदसी विष्णवेतेदाधतं पृथिवीमभितोमयूरवैः स्वोहा । इदं विष्णवे ॥
  2. ॐ इदं विष्णुर्विचक्रमेत्रेधा निदधेपदम् । समूढमस्यपा ぴ सुरेस्वाहा । इदं विष्णवे ।
  3. ॐ मानस्तोके तनयेमान ऽआयुषिमानो गोषुमानोऽअश्वेषुरीरिषः । मानोव्वीरान्रुद्रभामि नोवधीर्विष्मन्तः सदमित्वाहवामहे स्वाहा । इदं रुद्राय ॥ प्रणीतोदक से बालक को अभिसिक्त करे । पुनः पूर्ववत पंचगव्य होम करे :
  4. ॐ शन्नोदेवीरभिष्टयऽआपो भवन्तुपीतये । संथ्यो रभिश्रवन्तुनः स्वाहा इदमद्भ्यो ।
  5. ॐ भूर्भुवःस्वः, तत्सवितु० स्वाहा । इदं सबित्रे ।
  6. ॐ प्रजापतेनत्वदेतान्यन्यो- व्विश्वारूपाणिपरितावभूव । यत्कामास्तेजुहुगस्तन्नोऽश्रस्तुव्यय ぴस्यामपतयोरयीषाएँ स्वाहा । इदं प्रजापतये ।

फिर हवन विधि के अनुसार शेष उत्तर क्रिया संपन्न करे। (एक मत से पूर्णाहुति रहित करे)

हुतशेष पंचगव्य प्रयोग :

  • नामकरण कर्ता हवन करने के बाद हुतशेष पंचगव्य लेकर सूतिका गृह जाकर सूतिका, बालक, सूतिका गृह का प्रोक्षण करे।
  • सूतिका को पंचगव्य प्राशन करा दे।
  • फिर पूर्व बताई विधि के अनुसार बालक को लेकर सूतिका पूजा स्थान पर आये।
  • बालक को गोद में ली हुई माता अग्नि की प्रदक्षिणा करके संस्कारकर्ता के बांयी ओर बैठे ।
  • आचमन करके पूजित देवताओं का स्मरण करके पुष्पांजलि दे।
  • फिर आचार्य अथवा बालक का पिता स्वर्ण शलाका से अष्टगंधादि द्रव्य का द्वारा पीपल के पांच पत्ते या श्वेत वस्त्र पर बच्चे के लिये निर्धारित पंचनाम लिखे।
  • फिर पंचनामों को तण्डुलपूर्ण पात्र में रखकर अक्षत-पुष्पादि लेकर उसकी प्रतिष्ठा करे :

ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टंयज्ञᳪ समिमं दधातु। विश्वे देवास इह मादयन्तामों ३  प्रतिष्ठ ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः, बालकस्य नामानि सुप्रतिष्ठितानि भवन्तु । फिर ॐ नामदेवताभ्यो नमः मंत्र से पूजा करे। फिर ग्रहदान, लग्नदान करे।

  • फिर बालक के दाहिने कान में कहे : भो कुमार ! त्वं अमुक शर्मा (वर्मा/ गुप्त) इति नामासि दीर्घायुर्भव ॥3
  • फिर ब्राह्मणों से कहे : भो ब्राह्मणाः ! अमुक नामाऽयं भवन्तोऽभिवादयते ।
  • ब्राह्मण आशीर्वाद दें : आयुष्मान्भव – अमुक । इसी क्रम से पांचो नाम रखे।।

पुनः आशीर्वाद दें : ॐ अब्रह्मन ब्राह्मणो ……. ॐ वेदोऽसि येन त्वं देव वेद देवेभ्यो वेदोऽभवस्तेन मह्यं वेदो भूयाः ॥

फिर बच्चे को पिता अपनी गोद में लेकर यह मंत्र पढे – ॐ अङ्गादङ्गात्संभवसि हृदयादधिजायसे । आत्मा वै पुत्रनामासि सञ्जीव शरदः शतम् ॥

दक्षिणा – ॐअद्येत्यादि अनुकराशेरमुकबालकस्य वैजिक गार्भिक, दुरितोपशान्तये नामकरण कर्मणः साद्गुण्यार्थं एतावद्द्रव्यमूल्यक हिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणां अहं ददे ।

भूयसी – न्यूनातिरिक्त दोपपरिहारार्थ नाना नामगोत्रेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नटनर्तक गायकादिभ्यश्च विभज्य …

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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