भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु नरसिंह अवतार लिया था। नरसिंह भगवान की कथा पुराणों में वर्णित है। ऋण बहुत कष्टकारक होता है और भक्त जब ऋण से पीड़ित हो तो उसके लिये श्रीनृसिंह पुराण में ऋणमोचन स्तोत्र है जिसमें ८ मंत्र हैं जिसकी ध्रुव पंक्ति “श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये” है एवं नवां श्लोक फलश्रुति है। इस स्तोत्र में नरसिंह भगवान की स्तुति करते हुये उनसे ऋण मुक्ति की प्रार्थना की गयी है। यहां नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र (narsingh rin mochan stotra) संस्कृत में दिया गया है।
नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र – narsingh rin mochan stotra
ॐ देवानां कार्यसिध्यर्थं सभास्तम्भसमुद्भवम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥१॥
लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गं भक्तानामभयप्रदम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥२॥
प्रह्लादवरदं श्रीशं दैतेश्वरविदारणम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥३॥
स्मरणात्सर्वपापघ्नं कद्रुजं विषनाशनम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥४॥
अन्त्रमालाधरं शङ्खचक्राब्जायुधधारिणम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥५॥
सिंहनादेन महता दिग्दन्तिभयदायकम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥६॥
कोटिसूर्यप्रतीकाशमभिचारिकनाशनम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥७॥
वेदान्तवेद्यं यज्ञेशं ब्रह्मरुद्रादिसंस्तुतम् ।
श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॐ ॥८॥
इदं यो पठते नित्यं ऋणमोचकसंज्ञकम् ।
अनृणीजायते सद्यो धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥९॥
॥ इति श्रीनृसिंहपुराणे ऋणमोचनस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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