भारतीय ज्योतिष शास्त्र रोगों की उत्पत्ति के कारण और निदान पर विशेष जानकारी प्रदान करता है इसलिये विश्व स्वास्थ्य संगठन को इससे सम्पूर्ण विश्व को लाभान्वित करने के लिये अपेक्षित प्रयास करना चाहिये। ये बात अलग है कि ज्योतिष भी सनातन से संबधित है परन्तु आरोग्य लाभ की आवश्यकता सम्पूर्ण विश्व को है। आज भले कोई अपना ज्योतिष शास्त्र बना चुका हो परन्तु फिर भी भारतीय ज्योतिष ही सबका मूल है क्योंकि जब किसी सभ्यता की जानकारी ज्ञात नहीं होती तब भी भारत में ज्योतिष शास्त्र था।
वैज्ञानिक तथ्य
ज्योतिष शास्त्र को प्रत्यक्ष विज्ञान कहा गया है एवं सूर्य और चन्द्रमा को ज्योतिष शास्त्र का प्रत्यक्ष साक्षी कहा गया है – अन्यानि च शस्त्राणि विवादस्तेषु केवलं। प्रत्यक्षं ज्योतिषं शास्त्रं चन्द्रार्कौ यत्र साक्षिणौ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत की ज्योतिष विद्या
सूर्य और चन्द्रमा की गति से ही दिन-रात होते हैं, ऋतुयें बदलती हैं। आधुनिक मानव भले ही ऋतुओं के प्रभाव का आभास नहीं कर पाता हो किन्तु प्रभावित तो होता ही है, मानव ही नहीं पशु भी ऋतु के अनुसार व्यवहार करते हैं जो ग्रहों का प्रभाव सत्यापित करता है। पृथ्वी में जल की मात्रा 71% है और मनुष्य के शरीर में जल की मात्रा लगभग सामान ही होता है। पृथ्वी का जल सूर्य और चन्द्रमा से प्रत्यक्षतः प्रभावित होता है जिसके कारण वर्षा-सूखा, ज्वार-भाटा, बाढ़ आदि देखने को मिलते हैं।
मनुष्य का शरीर और व्यवहार भी उसी प्रकार प्रभावित होता है। विभिन्न ऋतुओं के अनुसार फसलें होती हैं। वृक्षों के पत्ते झड़ते हैं, नये पत्ते उगते हैं, फूल-फल उत्पन्न होते हैं। ये सभी प्रत्यक्ष प्रभाव हैं। अन्य दूरस्थ ग्रहों की किरणें भी पृथ्वी पर आती है और अपना प्रभाव डालती है जो प्रत्यक्षतः नहीं दिखते एवं सूर्य-चंद्र के भी सूक्ष्म प्रभाव प्रत्यक्षतः नहीं दिखते। इसे ज्योतिष शास्त्र द्वारा देखा जाता है।
चिकित्सा ज्योतिष
भारतीय ज्योतिष शास्त्र प्रत्येक व्यक्ति के कुण्डली द्वारा यह स्पष्ट करता है कि किस काल में, किस अंग में, किस प्रकार की रोगोत्पत्ति हो सकती है; वह साध्य होगा या असाध्य यह भी इंगित करती है। कुण्डली में 12 भाव होते हैं जो विभिन्न अंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और रोगेश (षष्ठेश) के किसी भाव या भावेश से सम्बन्ध के आधार पर संभावित अंग का ज्ञान होता है। ग्रहों का अधिपतित्व भी इस दिशा में और सटीक ज्ञानप्राप्ति हेतु सहयोग प्रदान करता है। दशा-अन्तर्दशाओं एवं गोचर द्वारा काल (समय) के सम्बन्ध में जानकारी उपलब्ध होती है। यदि इस संबंध में कुछ अभाव या कमी है तो वह है वैज्ञानिक शोध की।
रोग के ज्ञान हेतु भारतीय ज्योतिष कैसे लाभ देता है ?
- लग्नेश और चंद्र यदि बलवान हो तो व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम होगा इसके विपरीत होने से आरोग्य का अभाव होगा।
- रोगेश (षष्ठेश) जिस भाव और भावेश को प्रभावित करते हों उस अंग एवं भावेश की प्रकृति से सम्बंधित रोग हो सकते हैं।
- जो भाव एवं भावेश कमजोर हो, पाप-पीड़ित हो, दुःस्थान के प्रभावित हो उस भाव एवं भावेश संबधी रोग संभावित होते हैं।
- पीड़ित भाव के स्वामी या पीड़ित ग्रह की दशा-अन्तर्दशाओं से रोग होने के समय का अनुमान किया जा सकता है।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र रोगों के सन्दर्भ में मुख्यतः ये सभी तथ्य प्रस्तुत करते हैं –
- रोग किस प्रकृति का होगा वातज, पित्तज या कफज ?
- रोग से प्रभावित अंग कौन सा होगा ?
- रोग का समय कितना होगा – दीर्घकालिक होगा या अल्पकालिक ?
- रोग किस प्रकार का होगा – साध्य या असाध्य अथवा सामान्य या गंभीर ?
ये तथ्य बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जो कि चिकित्सा में चिकित्सक और रोगी दोनों को लाभान्वित कर सकते हैं। यदि किसी रोगी के संदर्भ में इतने तथ्य चिकित्सक को पूर्व से ज्ञात रहें तो चिकित्सा करना सरल और सहज हो सकता है। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि किसी एक रोग का उपचार करने के क्रम में ही वह रोग ठीक हो या न हो अन्य रोग उत्पन्न हो जाता है जो एक गंभीर समस्या है और इसके बारे में गंभीरता से विचार करने की भी आवश्यकता है।
उदहारण : जैसे कोई कफ प्रकृति का व्यक्ति किसी अन्य रोग की चिकित्सा लेता है तो ये पूर्वज्ञात होने के कारण कि इसे कफ संबंधी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है, श्वसन तंत्र के रोग संभावित हैं, चिकित्सा क्रम में तदनुसार सावधानी बरती जा सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य : विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्य कार्य या उद्देश्य तो यही होना चाहिये कि सम्पूर्ण विश्व आरोग्य लाभ प्राप्त करे, रोग की उत्पत्ति से पहले सजग रहे ताकि रोग उत्पन्न ही न हों। यदि एक रोग उत्पन्न हो गया है तो उसकी चिकित्सा क्रम में अन्य रोग उत्पन्न न हो। इसके लिये शोध, निर्देश आदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य हैं। यदि भारत की ज्योतिष विद्या पर शोध किया जाय तो आशातीत सम्भावनायें उपलब्ध हो सकती है।
ज्योतिष और रोग विचार की दिशा में विश्वगुरु भारत क्या करे ?
वर्तमान समय की सरकार से ही ये आशा की जा सकती है कि इस दिशा में भी भारत सजग होकर कार्य करेगा। चिकित्सा ज्योतिष के विषय में नाना प्रकार के शोध करके प्राप्त परिणामों का संग्रहण करते हुये विश्व को बताने की दिशा में भारत सरकार को प्रयास आरंभ करना चाहिये।
उदहारण : उदहारण व्यक्तिगत है। मैंने विचार किया कि दुनियां को किस प्रकार से क्या दे सकता हूँ जिससे लोगों को लाभ मिले तो ज्ञात हुआ कि ब्लॉग पर लेख के माध्यम से दुनियां को बहुत सारी बातें बता सकता हूँ। लाभान्वित होना या नहीं होना इसका निर्णय दुनियां स्वयं ले। इसी तरह भारत को उन सभी विषयों के बारे में विचार करना चाहिये जिसके बारे में दुनियां को लाभ मिल सकता हो और तदनुसार पहल भी करना चाहिये। ये विश्वगुरु भारत के लिये आवश्यक है।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।
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